निदर्शन पद्धति का अर्थ एवं परिभाषा , प्रकार

निदर्शन विधि क्या है | Nidarshan vidhi kya hai

निदर्शन एक ऐसी पद्धति है, जिसके द्वारा हम सभी इकाइयों में से कुछ इकाइयों का चयन अनेक स्वीकृत कार्य विधियों की सहायता से इस प्रकार करते हैं, जिससे चुनी गई इकाइयां संपूर्ण विशेषताओं का प्रतिनिधित्व कर सके।

निदर्शन पद्धति की परिभाषा

फेयरचाइल्ड के अनुसार- "निदर्शन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक विशिष्ट समग्र में से निश्चित संख्या में व्यक्तियों, विषयों एवं निरीक्षणों को निकाला जाता है।"

सिन पाओ यंग के अनुसार- "एक सांख्यिकीय निदर्शन संपूर्ण समुह का प्रतिनिधि अंश है।"

प्रोफेसर ए .पी. श्रीवास्तव के अनुसार -"संपूर्ण में से अध्ययन के लिए प्रतिनिधित्व पूर्ण इकाइयों के चयन करने की विधि का नाम निदर्शन है।

बोगार्ड्स के अनुसार-"निदर्शन रीति एक पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार इकाईयों के वर्ग में जो एक निश्चित प्रतिशत का चुनाव है।"

निदर्शन की विशेषताएं

इस परिभाषा में कुछ विशेषता प्रकट करती हैं। इस आधार पर निदर्शन में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए-
  1. निदर्शन संपूर्ण सामग्री का एक प्रतिनिधि अंश होना चाहिए।
  2. निदर्शन का स्वरूप समग्र के अनुरूप में छोटा हो।
  3. निदर्शन में शुद्धता अधिक मात्रा में होनी चाहिए।
  4. निदर्शन अध्ययन विषय के अनुकूल होना चाहिए।

निदर्शन के प्रकार

1. दैव निदर्शन- दैव निदर्शन का तात्पर्य वह निदर्शन जो मनुष्य की अपनी इच्छा या निर्णय से नहीं बल्कि जो देव योग से चुना जाए। वास्तव में दैव निदर्शन शब्द का प्रयोग उस समय किया जाता है जब समग्र में से प्रत्येक व्यक्ति या तत्व को चुने जाने का समान अवसर प्राप्त होता है।

2. उद्देश्य पूर्ण निदर्शन- ऐसी इकाइयों का समूह चुनाव है, जिसके द्वारा वही आवश्यक तथा अनुपात प्राप्त हो जो समग्र में है। इस पद्धति में दैव योग या आकस्मिक चुनाव का महत्व नहीं होता जब अध्ययन करता जानबूझकर किसी उद्देश्य से विचार पूर्वक निर्णय करके अपनी इच्छा के अनुसार इकाइयों को चुनता है तब उसे उद्देश्य दर्शन कहा जाता है।

3. वर्गीय या संस्तारित निदर्शन- वर्गीय निदर्शन को मिश्रित प्रणाली भी कहते हैं, क्योंकि इसमें दैव निदर्शन तथा उद्देश्य पूर्ण निदर्शन दोनों प्रणालियां प्रयोग में लाई जाती है। पहले उद्देश्य पूर्ण प्रणाली के द्वारा जाती लिंग व्यवसाय अथवा अन्य किसी आधार पर समग्र को कुछ सजातीय वर्गों को और कुछ वर्गों में बांट लिया जाता है उसके बाद प्रत्येक वर्ग में निर्धारित इकाइयों को दैव निदर्शन द्वारा चुनाव कर लिया जाता है।

4. बहुस्तरीय निदर्शन- यह विधि बहुत बड़े क्षेत्र में अध्ययन करने के प्रयोग में लाई जाती है-
पहली अवस्था में संपूर्ण अध्ययन क्षेत्र को कुछ सजातीय क्षेत्रों में बांट लिया जाता है।
प्रत्येक क्षेत्र में से कुछ ग्राम या नगर, जिन का अध्ययन करना हो दैव निदर्शन प्रणाली से चुन लिए जाते हैं।

5. सुविधापूर्ण निदर्शन- इस पद्धति से अनुसंधानकर्ता अपनी सुविधा के अनुसार निदर्शन का चुनाव करता है। धन, समय, योग्यता आदि के आधार पर अपनी इच्छा के अनुसार निदर्शन चुन लिया जाता है। इस पद्धति को अनियंत्रित अविश्वास पूर्ण अवसरवादी आदि के नाम से पुकारा जाता है। यह पद्धति आ वैज्ञानिक है, क्योंकि इसमें पक्षपात को पूर्ण स्वतंत्रता दी जाती है।

6. स्वयं निर्वाचित निदर्शन- जब संबंधित व्यक्ति स्वयं अपना नाम देकर निदर्शन की इकाई बन जाए और अध्ययन करता को उनका चुनाव ना करना पड़े तो उसे स्वयं निर्वाचित निदर्शन कहा जाता है।

7. क्षेत्रीय निदर्शन- इस पद्धति में अध्ययन करता अपनी सुविधा तथा निर्णय के अनुसार कई छोटे-छोटे क्षेत्रों में से एक को चुन लेता है और फिर उनके समस्त निवासियों का संपूर्ण अध्ययन कर लिया जाता है।

8. कोटा निदर्शन- दैव निदर्शन के अंतर्गत इकाइयों के चयन की विभिन्न प्रणालियों में से कोटा निदर्शन भी एक महत्वपूर्ण प्रणाली है। कोटा निदर्शन को हिंदी भाषा में नियतांश अथवा अभ्यांश निदर्शन के नाम से संबोधित किया जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कोटा निदर्शन में समग्री को कई वर्गों में बांट लिया जाता है और उसके बाद यह निश्चित किया जाता है कि प्रत्येक वर्ग में से कितनी इकाइयां चुन्नी है। इसके बाद शोधकर्ता अपनी इच्छा अनुसार उतनी इकाइयां चुन लेता है। इस प्रकार कोटा निदर्शन से अभिप्राय समग्र को विभिन्न वर्गों का उप वर्गों में बांट कर निर्धारित संख्या के अनुसार निदर्शन इकाइयों का चुनाव कर के अध्ययन करना है।

निदर्शन प्रणाली के लाभ | महत्व, गुण

1. कम खर्च- निदर्शन प्रणाली से अध्ययन करने में खर्च कम होता है, क्योंकि कुछ चुनी हुई इकाइयों का ही अध्ययन किया जाता है।

2. कम समय- निदर्शन में समय का अध्ययन न करके केवल कुछ प्रतिनिधि कार्यों का ही अध्ययन किया जाता है, अतः समय कम ही लगता है। समय की बचत प्रत्येक अनुसंधान कार्य के लिए आवश्यक है। निदर्शन वैज्ञानिक कार्यकर्ता के समय की बचत कर के कार्य को अधिक वैज्ञानिक रूप प्रदान करता है। किसी एक दृष्टिकोण से एकत्रित सामग्री के विश्लेषण पर अधिक घंटे खर्च करने की अपेक्षा वह इस समग्र को विभिन्न दृष्टिकोण से परीक्षा करने में प्रयोग कर सकता है। दूसरे शब्दों में वह थोड़े मामलों का अधिक अध्ययन कर सकते हैं।

3. अधिक गहनअध्ययन- इकाइयों की संख्या कम होती है इसलिए अधिक समय तक अध्ययन किया जा सकता है। सामाजिक अनुसंधान में अधिक अध्ययन की आवश्यकता पड़ती है।

4. शुध्द निष्कर्षों की प्राप्ति- निदर्शन प्रणाली द्वारा जो निष्कर्ष प्राप्त होते हैं वे विश्वसनीय होते हैं, क्योंकि इस प्रणाली में अनुसंधानकर्ता का ध्यान कुछ निश्चित इकाइयों पर केंद्रित होता है।

5. सूचनाओं की प्राप्ति में सुविधा- निदर्शन प्रणाली में एक सीमित भाग से ही सूचना प्राप्त करनी होती है, अतः विस्तृत भाग से सूचनाओं को संकलित करने की अपेक्षा उसके सीमित भाग से सूचना प्राप्त करना अधिक सुविधाजनक होता है।

6. प्रशासनिक सुविधा- निदर्शन पद्धति की संख्या कम रहती है, इस कारण अनुसंधान संगठन की सरल हो जाता है। कार्यकर्ताओं की नियुक्ति, उन पर नियंत्रण, सूचनाओं से संपर्क तथा संपूर्ण सर्वेक्षण की प्रशासनिक व्यवस्था में सुविधा होती है।

निदर्शन प्रणाली की सीमाएं | दोष

1. पक्षपात की संभावना- इस प्रणाली का सबसे बड़ा दोष या है कि निदर्शन का चुनाव बिना पक्षपात के नहीं हो पाता। यदि निदर्शन प्रतिनिधि है तो उससे जो निष्कर्ष प्राप्त होंगे वह सभी भ्रमित करने वाले होंगे।

2. विशेष ज्ञान की आवश्यकता- निदर्शन के चुनाव के लिए विशिष्ट ज्ञान की जरूरत होती है। निदर्शन पद्धति का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति नहीं कर सकता।

3. प्रतिनिधि निदर्शन के चुनाव की कठिनाई- प्रतिनिधि ने दर्शनों का चुनाव करना स्वयं ही एक कठिन कार्य है। सामाजिक अनुसंधान में व्यक्तियों के प्रतिनिधित्व निदर्शन का चुनाव करना बहुत कठिन है। क्योंकि विभिन्न व्यक्तियों में बहुत अधिक अंतर और विविधता पाई जाती है।

4. निदर्शन पालन की कठिनाई- इस प्रणाली में कठिनाई के आधार पर निष्कर्ष निकालने में अनुसंधानकर्ता को कठिनाई होती है। निदर्शन की इकाइयां दूर-दूर तक बिखरी हो सकती है। कुछ लोग निदर्शन में ऐसे भी आ सकते हैं जो सहयोग करने से इंकार कर दें, और दूसरे लोगों से संपर्क स्थापित करना संभव न हो सके। ऐसे में मूल निदर्शन पर कायम रहना कठिन हो जाता है। निदर्शन प्रणाली से अध्ययन करने में यह आवश्यकता है कि जिन इकाइयों को निदर्शन के रूप में चुना गया है केवल उन्हीं का अध्ययन किया जाए।

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Comments

  1. सैम्पलिंग/निदर्शन से जुड़ी बेहतरीन जानकारी हेतु धन्यवाद।
    इससे जुड़े अन्य पहलुओं को जानने के लिए विजिट करें।
    https://vkmail93.blogspot.com/2017/11/blog-post_16.html?m=1

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