तुलनात्मक पद्धति का अर्थ, परिभाषा, उपयोग

 तुलनात्मक पद्धति का अर्थ

तुलनात्मक पद्धति का अर्थ सीधी सी भाषा में समझे तो आपस में तुलना करना है।

       तुलनात्मक पद्धति का प्रयोग हम अपने दिन प्रतिदिन के जीवन में भी करते हैं। हम नेताओं, अधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं मित्रों की तुलना कर उन्हें भला या बुरा, उचित या अनुचित, सफल या असफल, सक्षम और सक्षम ठहराते हैं। तुलनात्मक पद्धति का प्रयोग प्राकृतिक और सामाजिक सभी विज्ञानों में किया जाता है। हम विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, आर्थिक तथ्यों, जनसंख्या के आंकड़ों आदि की परस्पर तुलना करके विभिन्न प्रदेशों की आर्थिक समृद्धि जीवन स्तर जनसंख्या वृद्धि की दर वहां की प्रगति, विकास, खुशहाली और समृद्धि का पता लगाते हैं हम ग्रामीण और नगरीय जीवन की तुलना करके भी अनेक निष्कर्ष निकालते हैं।

तुलनात्मक पद्धति का केवल यह अर्थ नहीं है कि इसमें कुछ घटनाओं की परसपरिक तुलना प्रस्तुत की जाती है लेकिन यह तुलना उद्देश्यात्मक होती है।


तुलनात्मक पद्धति की परिभाषा

गिन्सबर्ग लिखते हैं— "तुलनात्मक पद्धति का कार्य केवल कुछ घटनाओं की तुलना करना ही नहीं है, लेकिन तुलना के द्वारा उनकी व्याख्या करना भी है।"

हर्सकोविट्स का कहना है कि— "तुलनात्मक पद्धति के अंतर्गत व्यक्तियों के बीच पाए जाने वाले स्वरूपों की तुलना के द्वारा मानवीय संस्थाओं तथा विश्वासों के विकास पूर्ण क्रम को स्थापित किया जाता है।"


तुलनात्मक पद्धति

       समाज विज्ञान में सामाजिक घटनाओं के अध्ययन हेतु तुलनात्मक पद्धति का प्रयोग वर्तमान में बहुत हुआ है। तुलनात्मक पद्धति के द्वारा एक ही समूह अथवा समाज में घटने वाली समान प्रकृति की सामाजिक घटनाओं या समस्याओं की परस्पर तुलना की जाती है। और उनकी समानता व असमानता को ज्ञात किया जाता है। एक ही समाज में विभिन्न समय मैं घटने वाली घटनाओं अथवा विभिन्न समाजों में विभिन्न स्थानों पर घटने वाली समान प्रकृति की घटनाओं का तुलनात्मक अध्ययन भी इस विधि के द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए औद्योगिकरण एवं नगरीकरण ने यूरोपीय परिवारों को एवं भारतीय परिवारों को किस रूप में प्रभावित किया है, उन में कौन-कौन सी जीवन प्रवृतियां उत्पन्न हुई है। दोनों समाजों में परिवर्तन की समानताएं और भिन्न का ए क्या है, आदि सभी पक्षों को जानने के लिए हमें तुलनात्मक पद्धति का सहारा लेना पड़ता है। इस प्रकार से विभिन्न समूह समाजों संस्थाओं व समुदायों में घटने वाली सामाजिक घटनाओं का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए हमें इसी पद्धति का प्रयोग करना होता है।

तुलनात्मक पद्धति का प्रयोग या उपयोग

तुलनात्मक पद्धति का प्रयोग समाजशास्त्र और मानव शास्त्र में अनेक विद्वानों ने किया है। सामाजिक और सांस्कृतिक मानव शास्त्रियों ने सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को जानने के लिए इसका प्रयोग किया था। प्रारंभिक मानव शास्त्रियों में जिन्होंने की इस पद्धति का प्रयोग किया उनके नाम मार्गन, बेकोफन, टेगार्ट, हेनरीमैन, मैक्लीनन, टॉयलर, फ्रेजर, लेवी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। विकासवादी समाज वैज्ञानिकों ने ऐतिहासिक और तुलनात्मक पद्धति का साथ साथ प्रयोग किया। समाजशास्त्र के जनक "अगस्ट काम्टे" ने समाज के विकास के विभिन्न चरणों की तुलना की। इन्होंने सामाजिक विकास के तीन स्तरों का नियम में कल्पनिक दार्शनिक एवं वैज्ञानिक स्तरों का उल्लेख किया और इनकी तुलना भी की।

हरबर्ट स्पेंसर ने समाजवाद सवयव की तुलना की और दोनों के बीच कई समानताएंओं  का उल्लेख किया। इसी आधार पर इन्होंने समाज को एक सावयव कहा। उन्होंने विभिन्न समाजों की भी परस्पर तुलना की।

दुर्खीम ने अपनी पुस्तक "THE RULE OF SOCIYOLOGY MATHOD" में इस पद्धति के महत्व को स्वीकार किया तथा उन्होंने यूरोप के विभिन्न देशों में आत्महत्या की दर व कारणों का तुलनात्मक अध्ययन कर आत्महत्या का सामाजिक सिद्धांत प्रस्तुत किया।


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Comments

  1. Anonymous06 May, 2022

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  2. Anonymous06 May, 2022

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  3. Anonymous08 June, 2022

    Its very helpful sir 👍

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