प्रश्नावली का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं एवं गुण, दोष

 प्रश्नावली क्या है | प्रश्नावली किसे कहते हैं

प्रश्नावली सामाजिक अनुसंधान में सामग्री एकत्रित करने हेतु सरल, सस्ती और अच्छी प्रणाली है। यह प्रणाली विस्तृत एवं दूर तक फैले हुए क्षेत्र में प्रयुक्त की जाती है। अल्प विकसित देशों में यह प्रणाली पर्याप्त लोकप्रिय होती जा रही है। प्रश्नावली डाक द्वारा सूचना दाताओं के पास भेज दी जाती है और उनसे यह अनुरोध किया जाता है कि वे प्रश्नावलिओं को स्वयं भर कर उन्हें पुनः डाक द्वारा अनुसंधानकर्ताओं के पास भेज दें। प्रश्नावली के बारे में और कुछ वर्णन करने से पूर्व प्रश्नावली की परिभाषा व अर्थ पर विचार पूर्वक मनन करना अति आवश्यक है।

प्रश्नावली का अर्थ

किसी भी अध्ययन विषय से संबंधित प्रश्नों की एक सूची होती है, जिसे डाक द्वारा सूचनादाताओं के पास भेजा जाता है, जिससे सूचनादाता स्वयं भर कर पुनः लौटाता है।

          प्रश्नावली संबंधित समस्या के बारे में प्रश्नों का वह प्रपत्र अथवा सूची है, जिसे विस्तृत एवं विक्रय क्षेत्र में बिना अनुसंधानकर्ता की सहायता के कम से कम समय में सूचनाएं एकत्र करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। साधारणतया यह प्रणाली विभिन्न व्यक्तियों से सूचना एकत्र करने हेतु अपनाई जाती है।


प्रश्नावली की परिभाषा

1. लुण्डबर्ग के अनुसार- "मूल रूप से प्रश्नावली प्रेरणाओं का एक समूह है, जिसके अंतर्गत शिक्षित लोग इन प्रेरणाओं के अंतर्गत अपने मौखिक व्यवहार का निरीक्षण प्रकट करने के लिए प्रस्तुत करते हैं।"

2. डॉ. पी. वी. यंग के शब्दों में - "समाज वैज्ञानिक प्रश्नावली को प्रमुख माफी योग्य सामाजिक घटना के अध्ययन के एक सहायक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।"

3. बोगार्ड्स के अनुसार- "प्रश्नावली एक समूह के व्यक्तियों को उत्तर देने हेतु प्रश्नों की एक तालिका है।"

4. पोप के अनुसार-" प्रश्नावली को प्रश्न के एक समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जिसका उत्तर सूचनादाता को बिना किसी अनुसंधानकर्ता अथवा व्यक्तिगत सहायता के देना होता है।"

प्रश्नावली के उद्देश्य

1. प्रश्नावली का पहला उद्देश्य 'सामग्री संकलन में समय व धन की बचत करना है।' सभी क्षेत्र में एक दिन डाक द्वारा सूचनादाताओं के पास प्रश्नावलीओं को भेजा जा सकता है और सूचनादाता भी उन्हें शीघ्र वापस कर सकते हैं। इनमें केवल प्रश्नावलीओं को छापने व डाक द्वारा भेजने पर ही धन खर्च करना पड़ता है।

2. विस्तृत व बिखरे अनुसंधान क्षेत्र में रहने वाले सदस्यों से वैषयिक, संख्यात्मक व गुणात्मक तथ्यों को इकट्ठा करना है। सूचनादाता बिना किसी प्रभाव के आवश्यक सूचना कम से कम समय में दे सकते हैं, यदि प्रश्नावली के बनाने में पूरी सावधानी बरती गई हो।

प्रश्नावली के प्रकार | प्रश्नावली कितने प्रकार की होती है?


1. बंद तथा प्रतिबंधित प्रश्नावली- इस प्रकार की प्रश्नावली में सूचना दाता के उत्तरों को प्रश्नों द्वारा निश्चित सीमा में बांध दिया जाता है। अधिक सरल व सुविधाजनक होने के कारण सूचना दाता इनको भरकर शीघ्र लौटा सकते हैं इसके उदाहरण इस प्रकार हैं-

  • आपका परिवार कैसा है?                -             संयुक्त/एकाकी
  • आपके यहां किस प्रकार के विवाह होते हैं?        -         जातीय/अंतर्जातीय

2. खुली तथा अप्रतिबंधित प्रश्नावली- ऐसी प्रश्नावली में सूचना दाता को खुलकर विचार रखने की स्वतंत्रता होती है और इस प्रकार विवरणात्मक अथवा गुणात्मक सूचनाएं प्राप्त हो जाती हैं। प्रत्येक प्रश्न के लिए प्रश्नावली में उचित स्थान छोड़ दिया जाता है इसके उदाहरण इस प्रकार से हैं-

  • सहशिक्षा के बारे में आपके क्या विचार हैं?
  • भारत में शराबबंदी के बारे में आप क्या कह सकते हैं?

इस प्रकार के प्रश्नों में सूचनादाता को विस्तारपूर्वक उत्तर देने होते हैं।


3. चित्र युक्त प्रश्नावली- आधुनिक युग में मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वह लंबे-लंबे प्रश्नों का उत्तर दे। इसलिए चित्रों के द्वारा प्रश्नावली को अधिक से अधिक नवीन आकर्षण व सरल बना दिया जाता है। व्यस्त व्यक्ति भी ऐसी प्रश्नावली की ओर आकर्षित हो जाते हैं और प्रश्नों को सुविधा पूर्वक ढंग से समझ सकते हैं। इस प्रश्नावली को भरने में कम पर इतना और समय की आवश्यकता होती है और उत्तरों की जांच भी सरलता से की जा सकती है।

4. मिश्रित प्रश्नावली- यह प्रश्नावली न तो शुद्ध रूप से प्रतिबंधित होती है और न ही आप्रतिबंधित। दोनों प्रकार के प्रश्नों का समावेश इस प्रश्नावली में होता है। अधिकांश प्रश्नावलीयां इसी प्रकार की होती हैं।

प्रश्नावली के गुण एवं दोष

प्रश्नावली के गुण | प्रश्नावली के गुण स्पष्ट कीजिए

1. विशाल जनसंख्या का अध्ययन- इस प्रश्नावली विधि द्वारा बहुत बड़े क्षेत्र में फैले हुए सी मितवा अधिक जनसंख्या का अध्ययन सफलतापूर्वक किया जा सकता है।  प्रश्नावली एक विशाल एवं विस्तृत क्षेत्र में बिखरे हुए व्यक्तियों के समूह में से सूचनाएं संकलित करने की शीघ्र तम तथा सरलतम विधि प्रदान करती है।

2. कम समय- इस विधि में प्रश्नावलीयां डाक द्वारा एक साथ विस्तृत क्षेत्र में भेज दी जाती है और उनसे बहुत ही कम समय में सूचना प्राप्त हो जाती हैं। इस विधि में कम से कम समय में जानकारियां एकत्रित की जा सकती है, अन्य विधियों में अधिक समय लगता है।

3. कम खर्चीला- इसमें कम खर्च होता है। डाक खर्च और अनुगामी पत्र के अलावा इसमें और कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होता है। तुलनात्मक दृष्टि से कहा जा सकता है कि अनुसूची विधि के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण उनके वेतन भत्ते आदि की आवश्यकता और समस्याओं का सामना इस विधि में नहीं करना पड़ता है।

4. न्यूनतम परिश्रम- इसमें परिश्रम भी ज्यादा नहीं करना पड़ता। डाक से भेज देने के बाद वापसी की कुछ दिन प्रतीक्षा करना होता है। उन्हें अनुगामी पत्र भेजना और पर्याप्त मात्रा में सूचनाएं एकत्र ना होने पर अन्य लोगों के पास प्रश्नावली भेजने का श्रम मात्र करने की आवश्यकता इसमें पढ़ती है।

5. सुविधाजनक- यह विधि उत्तर दाता के लिए अधिक सुविधाजनक मानी जाती है, क्योंकि उत्तर दाता अपनी सुविधा से प्रश्नावली के प्रश्नों का जवाब बिना किसी डर या संकोच के देता है। प्रश्न करता के सामने रहने पर उतर जाता को संकोच हो सकता है।

6. निष्पक्ष सूचनाएं- उत्तर दाता के समक्ष प्रश्न करता उपस्थित रहने से जानकारियां पक्षता पूर्ण हो सकती है, क्योंकि प्रश्न करता उत्तर देता को प्रभावित कर सकता है। जबकि प्रश्नावली विधि में ऐसी संभावना नहीं होती और निष्पक्ष सूचनाएं संकलित की जा सकती है।

7. स्वयं प्रशासित- प्रश्नावली क्योंकि डाक द्वारा अन्य व्यक्ति तक भेजी जाती है इस कारण अनुसंधानकर्ता को संगठन या व्यवस्था की समस्या से उलझना नहीं पड़ता है। कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण उनका परिश्रमिक संगठन या प्रशासन संबंधी समस्या नहीं आती इसलिए इस विधि को स्वयं प्रशासित कहते हैं।

8. सांख्यिकीय प्रयोग- प्रश्नावली पद्धति से प्राप्त सूचनाओं का सांख्यिकीय प्रयोग, वर्गीकरण, सारणीयन एवं श्रेणीबाध्द करना सरल होता है क्योंकि इसमें सांख्यिकीय प्रयोग किए जा सकने वाले प्रश्न निर्धारित कर दिए जाते हैं।

प्रश्नावली के दोष क्या है

1. सार्वभौमिकता का अभाव- यह विधि समाज के सभी व्यक्तियों पर लागू नहीं की जा सकती है। इसका दायरा केवल शिक्षित वर्ग तक सीमित होता है। कम पढ़े लिखे व्यक्तियों जिनकी संख्या भारत में अधिक है और जो विभिन्न सामाजिक राजनीतिक समस्याओं की समझ नहीं रखते लेकिन इस विधि को अपनाया जाना संभव नहीं है।

2. आधी अधूरी सूचनाएं- कई बार उत्तरदाता मुख्य प्रश्नों का उत्तर नहीं देते। यह संभव है कि वह प्रश्न विषय को समझें ही नहीं अथवा गुप्त सूचनाएं देना ना चाहते हों, ऐसी दशा में वे जितना चाहेते हैं केवल उन्हीं प्रश्नों का जवाब देते हैं। राखी आधी अधूरी सूचना के माध्यम से सही निष्कर्ष तक पहुंचना संभव नहीं होता है।

3. वापसी की समस्या- प्रश्नावली भेज देने के बाद अध्येता के पास उत्तरदाता को उत्तर देने के लिए प्रेरित करने का कोई माध्यम नहीं होता यह केवल अनुगामी पत्र प्रेषित कर उनसे प्रत्युत्तर का अनुरोध कर सकता है। कई बार ऐसा होता है कि उत्तर दाता अपनी लापरवाही या समय का अभाव के कारण प्रश्नावली वापस भेजते ही नहीं और तब इस विधि का मुख्य उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।

4. प्रेरणा का आभाव- उतदाता से प्रत्यक्ष संपर्क न होने के कारण अध्येता उत्तर दाता को सूचनाएं देने के लिए भावात्मक रूप से प्रेरित नहीं कर सकता है।

5. सहायता का अभाव- कई बार सूचनादाता प्रश्नों को समझ नहीं पाता और उसकी सहायता करना संभव नहीं होता। ऐसी दशा में प्राप्त सूचनाएं अनुसंधान की दृष्टि से उपयुक्त नहीं होती है।

प्रश्नावली की विशेषताएं

प्रश्नावली की विशेषताओं के आधार पर इसे और अधिक स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है इसकी विशेषताएं इस प्रकार से हैं।

1. प्रश्नावली अध्ययन किए जाने वाले विषय से संबंधित प्रश्नों की एक सूची होती है।

2. प्रश्नावली को डाक द्वारा सूचना दाताओं के पास भेजा जाता है। कभी-कभी स्थानीय स्तर पर इसे विस्तृत भी कराया जाता है।

3. प्रश्नावली को सूचना दाता स्वयं ही भरता है। इसके लिए वह किसी की सहायता नहीं लेता है।

4. प्रश्नावली का प्रयोग केवल शिक्षित सूचना दाताओं के लिए ही किया जाता है क्योंकि अध्ययन करता उसके समक्ष नहीं होता। इसलिए प्रश्नों को पढ़कर सूचना दाताओं को ही उनके उत्तर भरने होते हैं।

5. प्रश्नावली प्राथमिक सूचना संकलित करने की एक अप्रत्यक्ष विधि है।

6. प्रश्नावली का प्रयोग विशाल एवं विस्तृत क्षेत्र में फैले हुए सूचना दाताओं के लिए किया जाता है। प्रश्नावली में सरल और स्पष्ट भाषा का प्रयोग किया जाता है और प्रयास में प्रेरणादायक प्रश्न होते हैं।

7. प्रश्नावली को सूचनादाता भरकर प्राय: डाक द्वारा ही लौटाता है किंतु कभी-कभी स्थानीय लोगों से इसका संग्रह व्यक्तिगत स्तर पर भी कराया जा सकता है।

8. प्रश्नावली को डाक द्वारा एक साथ अनेक सूचना दाताओं के पास भेजा जाता है। इसलिए प्रश्नावली के द्वारा सूचनाएं शीघ्र संकलित की जाती हैं।

9. प्रश्नावली में अनुसंधानकर्ता चूंकी सूचनादाता के समक्ष नहीं होता इसलिए वह नि:संकोच अनेक गुप्त और आंतरिक सूचनाएं दे देते हैं।


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