नियंत्रण का अर्थ
Niyantran kya hai
नियंत्रण Mines अपने वश में करना, इसे हम English में Control कहते हैं।
नियंत्रण से आशय | Niyantran se kya Ashay hai
नियंत्रण का आशय; नियंत्रण इस बात का पता लगाने और देखने के लिए किया जाता है कि मान लीजिए, आपने कोई Business Start किया है, और उस Business में समस्त कार्य आपके Plans के अनुसार हो रहे हैं या नहीं इसका पता लगाने के लिए नियंत्रण का उपयोग किया जाता है, अर्थात आपके Control में है या नहीं, यह देखना ही नियंत्रण कहलाता है।
नियंत्रण का उद्देश्य | Niyantran ka Uddesya
नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य कार्य की त्रुटियों का पता लगाने व उसमें सुधार करना है।
नियंत्रण के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार से हैं-
- पूर्व निर्धारित योजनाओं के अनुरूप कार्य करना।
- यह ज्ञात करना कि निर्धारित समय में निर्धारित कार्य पूर्ण हो रहे हैं या नहीं इसका पता लगाना।
- सामग्री के दुरुपयोग को रोकना।
- उपलब्ध साधनों का अधिकतम उपयोग करना।
- उत्पत्ति के विभिन्न साधनों के माध्यम चित समन्वय स्थापित करना।
- उत्पादित वस्तुओं की लागत को न्यूनतम करने का प्रयास करना।
नियंत्रण के महत्व | नियंत्रण के कोई चार महत्व लिखिए
1. व्यवसाय के आकार में वृद्धि
वर्तमान में व्यवसाय का आकार काफी बड़ा हो गया है बड़े-बड़े उपक्रमों अनेक लोगों व आम जनता के हित निहित होते हैं अतः किसी भी प्रकार की अनियमितता ना हो जिसका परिणाम आम जनता को भुगतना पड़े इस हेतु नियंत्रण आवश्यक है।
2. कुशल कर्मचारियों के लिए प्रेरणा
कुशल कर्मचारी नियंत्रण विधि का सदैव स्वागत करता है क्योंकि इससे उसे कार्य करने का शुभ अवसर मिलता है एवं प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।
3. पूर्ण अनुशासन के लिए
किसी भी उपक्रम में अनुशासन का होना आवश्यक है अनुशासन बनाए रखने के लिए नियंत्रण अति महत्वपूर्ण है।
4. जोखिम में कमी
व्यवसाय व जोखिम दोनों शब्दों को अलग नहीं किया जा सकता किंतु अधिक जोखिम से खतरा अधिक बढ़ जाता है। अतः व्यापार की सीमाएं को नियंत्रित कर जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
नियंत्रण की विशेषताएं | Niyantran ki Vishestayen
1. प्रबंध का आधारभूत कार्य
नियंत्रण प्रबंध के प्रत्येक स्तर पर किया जाता है। यह प्रबंध के अन्य कार्यों को पूर्ण बनाता है और सफलता निश्चित करता है। नियंत्रण प्रबंध प्रक्रिया को पूर्ण करता है।
2. प्रबंध के सभी स्तरों पर लागू
नियंत्रण प्रबंध के प्रत्येक स्तर पर किया जाता है उच्च स्तर पर नियंत्रण मुख्य प्रबंधक द्वारा तथा निम्न स्तर पर सुपरवाइजर तथा फोरमैन द्वारा किया जाता है।
3. सतत प्रक्रिया
नियंत्रण सदैव किया जाता है कभी भी समाप्त या पूरा नहीं होता है अतः यह हमेशा चलते रहने वाली प्रक्रिया है।
4. अंतिम कार्य
नियंत्रण प्रबंध का अंतिम कार्य होता है क्योंकि जब तक वास्तविक निष्पादन का पता नहीं होगा इसमें नीतियों तथा कमियों का ज्ञान नहीं होता है और सुधार भी नहीं किए जा सकते हैं।
5. वास्तविक आंकड़ों पर आधारित
नियंत्रण हमेशा वास्तविक आंकड़ों पर आधारित होते हैं ना कि व्यक्तिगत या अनुमानित तथ्यों पर।
6. सुधारात्मक प्रक्रिया
नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य गलतियों, कमियों तथा दोषों का पता लगाते हुए उन्हें दूर करना व उनमें सुधार करना है।
नियंत्रण की सीमाएं स्पष्ट कीजिए | Niyantran ki Seemayen
1. मात्रात्मक के निर्धारण में कठिनाई
जब मात्रात्मक प्रमाणों के निष्पादन स्तर का वर्णन नहीं किया जा सकता तब किसी भी मनुष्य के व्यवहार, कुशलता, स्तर, कार्य संतुष्टि आदि के लिए मात्रात्मक प्रमाप का निर्धारण करना कठिन होता है, तब नियंत्रण पद्धति अपना प्रभाव खो देती है।
2. बाह्य कारकों पर नियंत्रण नहीं
किसी उपक्रम के बाह्य कारकों जैसे- सरकारी नीति, फैशन में परिवर्तन बाजार की दशाएं तथा तकनीकी परिवर्तन पर नियंत्रण नहीं कर सकता।
3. उत्तरदायित्व के निर्धारण में कठिनाई
किसी उपक्रम के कार्य ऐसे होते हैं जिसके लिए एक से अधिक व्यक्ति उत्तरदाई होते हैं, ऐसे कार्यों में गलतियां हो जाने पर यह निर्धारित करना कठिन हो जाता है कि इस गलती के लिए कौन उत्तरदाई है।
4. कर्मचारियों द्वारा विरोध
कर्मचारी नियंत्रण का विरोध करते हैं जिसके परिणाम स्वरूप नियंत्रण की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
5. महंगा कार्य
नियंत्रण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अधिक समय व प्रयास शामिल होते हैं। क्योंकि कर्मचारियों की प्रगति के अवलोकन के लिए पर्याप्त ध्यान देना पड़ता है। महंगी नियंत्रण पद्धति को स्थापित करने के लिए संगठन को विशाल राशि खर्च करनी पड़ती है।
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