प्रशिक्षण का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएं, उद्देश्य, प्रकार, तत्व, विधि, आवश्यकता

प्रशिक्षण का अर्थ | prashikshan ka arth

prashikshan ka arth है, किसी कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए कर्मचारियों के अंदर कौशल तैयार करना ताकि कार्य को कुशलता तथा निपुणता के साथ कर सकें।

साधारण भाषा में, हम प्रशिक्षण को (Trainingट्रेनिंग कह सकते हैं, Training के जरिए किसी संस्था के कर्मचारियों को किसी कार्य को करने के लिए तैयार किया जाता है तथा उनके बुद्धि तथा कौशल में वृद्धि की जाती है।

प्रशिक्षण क्या है

प्रशिक्षण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कर्मचारियों को किसी विशेष कार्य हेतु कुशलतापूर्वक उनको तैयार करना व उनके अंदर ज्ञान और कौशल में वृद्धि करना ही प्रशिक्षण है।

प्रशिक्षण की परिभाषाएं | प्रशिक्षण की परिभाषा

एडविन बी. फ्लिप्पो के अनुसार- “किसी विशेष कार्य को करने के लिए कर्मचारियों के ज्ञान, कौशल में वृद्धि करने से संबंधित क्रिया को प्रशिक्षण कहते हैं।”

डेल एस. बीच के अनुसार- “प्रशिक्षण एक ऐसी संगठित कार्यविधि है जिसके द्वारा लोग किसी निश्चित उद्देश्य के लिए ज्ञान एवं कौशल सीखते हैं।”

माइकल जे. जूसियस के अनुसार- “प्रशिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा विशिष्ट कार्य को संपादन संपन्न करने हेतु कर्मचारियों की योग्यताओं में वृद्धि की जाती है।”

प्लाण्टी, कोर्ड एवं इफर्सन के अनुसार- “प्रशिक्षण सभी स्तर के कर्मचारियों के ज्ञान व कंपनी के विकास तथा कल्याण में योगदान देते हैं।”

प्रशिक्षण की विशेषताएं

1. प्रशिक्षण कर्मचारी विकास की एक सतत प्रक्रिया है।

2. प्रशिक्षण कर्मचारियों के विकास का एक सुनिश्चित ढंग है।

3. प्रशिक्षण से कर्मचारियों के ज्ञान और कौशल में वृद्धि होती है।

4. प्रशिक्षण से कर्मचारियों के कार्य क्षमता में वृद्धि होती होती।

5. प्रशिक्षण मानव पूंजी में उद्देश्य निवेशक‌ है।

6. प्रशिक्षण की व्यवस्था करना उपक्रम का उत्तरदायित्व एवं आवश्यकता है।

7. प्रशिक्षण से कर्मचारियों को आत्म संतुष्टि मिलती है।

प्रशिक्षण के उद्देश्य | Prashikshan ke uddeshy kya hain

किसी भी संस्था संगठन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम एक आवश्यकता बन गई है प्रशिक्षण के बिना औद्योगिक सफलता नहीं मिल सकती है।

प्रशिक्षण के प्रमुख उद्देश्य से इस प्रकार से हैं

1. व्यवसाय की सामान्य जानकारी देना

नवीन कर्मचारियों को व्यवसाय की सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है कभी-कभी कार्य परिवर्तन के कारण भी नए स्थान में कर्मचारियों को जानकारी प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

2. कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने हेतु

प्रशिक्षण से कर्मचारी का मनोबल सदैव ऊंचा रहता है तथा प्रशिक्षित कर्मचारी का मनोबल प्रतिकूल रहने से इसका उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ता है, उत्पादन कार्य में निरंतर प्रगति के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना आवश्यक है।

3. सूचना प्रसारित करने हेतु

व्यवसाय उद्योग में कुछ ऐसी सूचनाएं दी जाती है जिन्हें प्रशिक्षण केंद्रों पर प्रदर्शन देना महत्वपूर्ण होता है अतः ऐसी सूचना कर्मचारियों के प्रदान करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण आवश्यक है।

4. संगठन के प्रति निष्ठावान बनाने हेतु

प्रत्येक संगठन के लिए कर्मचारियों का निष्ठावान होना बहुत आवश्यक है प्रशिक्षण के दौरान वैज्ञानिकों प्रबंधकों व श्रम संगठनों के नेताओं द्वारा विभिन्न विचारों और भावनाओं के द्वारा निष्ठावान बनाना प्रशिक्षण का उद्देश्य है।

5. उत्पादन में वृद्धि हेतु

संस्था उत्पादन में वृद्धि चाहता है इसके लिए कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होती है कुशल कर्मचारी प्रशिक्षण द्वारा बनाए जाते हैं अतः उत्पादन में वृद्घि करने बाजार का विस्तार करने के उद्देश्य से कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना आवश्यक है।

6. देहाती पन को दूर करने हेतु

यहां देहातीपन का आशय पुरानी रूढ़िवादी विचारधारा व कार्यशैली से है, वर्तमान वैज्ञानिक युग में पुरानी शैली से विकास की बात करना व्यर्थ है। अतः संस्था के पुराने कर्मचारियों के मन मस्तिष्क से देहातीपन की विचारधारा को हटाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण देना आवश्यक है।

प्रशिक्षण के प्रकार

प्रशिक्षण के प्रकार इस प्रकार से है:-

1. नौकरी प्रशिक्षण

यह प्रशिक्षण उन कर्मचारियों को दिया जाता है जो पहले से ही नौकरी कर रहे हैं, और इस प्रकार के प्रशिक्षण को देने का उद्देश्य कर्मचारियों को अधिक कुशल बनाने के लिए होता है ताकि वे बेहतर से बेहतर प्रदर्शन कर सकें, और नौकरियों में दी जाने वाली शस्त्रों व उपकरणों को सही ढंग से उपयोग कर सकें।

2. पदोन्नति प्रशिक्षण

इस प्रकार का प्रशिक्षण तब दिया जाता है जब किसी कर्मचारी को निम्न पद से उच्च पद के लिए नियुक्त किया जाता है। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों में आत्मविश्वास  के साथ उच्च पदों की जानकारियां देना है।

3. पुनर प्रशिक्षण

यह प्रशिक्षण कर्मचारियों के ज्ञान को तंरोंताजा रखने के लिए दिया जाता है। समय बीतने के साथ-साथ कर्मचारी अपने प्रशिक्षण को भूलने लगते हैं इस वजह से समय-समय पर पुनर परीक्षण के द्वारा उन्हें पुनर प्रशिक्षण दिया जाना बहुत आवश्यक है। ताकि वे अपने कर्तव्यों का पालन सही तरीके से कर सकें।

4. शिल्प प्रशिक्षण

इस प्रकार का प्रशिक्षण कर्मचारियों को विभिन्न‌ प्रकार के नौकरियों को संभालने के लिए तैयार करने के लिए दिया जाता है। यह प्रशिक्षण इस धारणा पर दिया जाता है कि यदि कोई कर्मचारी विभिन्न नौकरियों को संभालने के लिए कुशल है, तो संस्था के किसी कर्मचारी की अनुपस्थिति में कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आए इसलिए कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार के कामों में कुशल बनाने के लिए इस तरह का प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है।

5. अभिमुखीकरण प्रशिक्षण

यह प्रशिक्षण उन कर्मचारियों को दिया जाता है जो नौकरी में पहली बार आते हैं, यह प्रशिक्षण देने का प्रमुख उद्देश्य कर्मचारियों को संगठन से अवगत कराना होता है।

6. कार्य प्रशिक्षण

यह प्रशिक्षण कर्मचारियों को निपुण बनाने व कार्यों को बारीकी से समझाने के लिए दिया जाता है ताकि वे कार्य को सफलतापूर्वक कर सकें।

प्रशिक्षण तथा शिक्षा में अंतर

प्रशिक्षण शिक्षा
1. इसके अंतर्गत कर्मचारियों के कौशल तथा योग्यता में वृद्धि होती है। 1. इससे कर्मचारियों के ज्ञान में वृद्धि होती है।
2. यह नए कौशल तथा प्रक्रिया को सिखाती है। 2. यह तर्क करने की योग्यता का विकास करती है।

अच्छे प्रशिक्षण के आवश्यक तत्व | प्रशिक्षण के तत्व

एक अच्छे प्रशिक्षण कार्यक्रम के आवश्यक तत्व इस प्रकार से हैं-

1. प्रशिक्षण कार्यक्रम संस्था के उद्देश्यों व लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए।

2. कमजोर कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

3. प्रशिक्षण कार्यक्रम निरंतर चलते रहना चाहिए।

4. प्रशिक्षण कार्यक्रम लोचदार होना चाहिए।

5. प्रशिक्षण कार्य किसी विशिष्ट या अनुभवी व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए।

प्रशिक्षण से संस्था और कर्मचारियों को क्या-क्या लाभ होते हैं

प्रशिक्षण से संस्था को लाभ

1. उत्पादन की क्वालिटी एवं मात्रा में सुधार

प्रशिक्षण के द्वारा माल की क्वालिटी एवं मात्रा में सुधार होता है, परिणाम स्वरूप उत्पादन की लागत में कमी आती है। यहां प्रशिक्षण से सभी स्तरों के कर्मचारियों के ज्ञान में वृद्धि होती है और वे अच्छे से अच्छे काम करने लगते हैं।

2. माल एवं मशीन का सही प्रयोग

संस्था में कार्य करने वाले कर्मचारी चाहे वह किसी भी स्तर का क्यों ना हो माल एवं मशीन का प्रयोग करता है। एक प्रशिक्षित कर्मचारी माल एवं मशीनों का ठीक ढंग से प्रयोग करके व्यर्थ खर्च को कम करते हैं।

3. दुर्घटनाओं में कमी

दुर्घटनाओं का मुख्य कारण मशीनों को चलाने वाले व्यक्तियों को उनके उपयोग की सही जानकारीओं का ना होना है। प्रशिक्षण द्वारा उन्हें मशीनों के बारे में सही तरीके सिखाए जाते हैं जिसके फलस्वरूप दुर्घटनाओं की संभावनाएं कम होती है।

4. पर्यवेक्षण की कम जरूरत

प्रशिक्षण कर्मचारी अपने कार्य में निपुण हो जाते हैं जिसके कारण पर्यवेक्षकों को उनकी देखरेख में अधिक समय नहीं लगाना पड़ता है। इस समय में किसी अन्य कार्य को भी कर सकते हैं।

5. श्रम परिवर्तन में कमी

प्रशिक्षित कर्मचारी संस्था के वातावरण और अपने कार्य से संतुष्ट रहते हैं कि जिसके फलस्वरूप उनकी संस्था को छोड़कर जाने वालों उपस्थित रहने की दर में कमी आती है।

6. ग्रहणशीलता में वृद्धि

प्रशिक्षण से कर्मचारियों का मानसिक विकास होता है और वे नवीनतम पद्धतियों को शीघ्र ग्रहण कर लेते हैं, इतना ही नहीं बल्कि उनमें नई बातें सीखने की लगन भी पैदा हो जाती है।

प्रशिक्षण से कर्मचारियों को लाभ

1. कार्य संतुष्टि

कर्मचारियों के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बात है कार्य संतुष्टि, अर्थात कर्मचारी जो कार्य कर रहा है उससे वह पूरी तरह से संतुष्ट होना चाहिए। तभी वह कार्य को अच्छी तरह से कर सकता है। इसके लिए प्रशिक्षण का होना बहुत जरूरी है प्रशिक्षण द्वारा कर्मचारी को अपने कार्य में संतुष्टि प्राप्त होती है।

2. दुर्घटनाओं में कमी

दुर्घटनाओं में कमी से जहां एक ओर संस्था को लाभ होता है वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों का जीवन भी अधिक सुरक्षित रहता है, मशीनों को चलाने की कला को सीख कर दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है और यह कला प्रशिक्षण द्वारा ही सीखी जा सकती है।

3. कार्यक्षमता एवं कुशलता में वृद्धि

प्रशिक्षण में किसी विशेष कार्य को पूर्ण करने की कला सीख लाई जाती है, इससे कर्मचारियों की कार्यक्षमता व कुशलता में वृद्धि होती है।

4. जीवन स्तर में सुधार

प्रशिक्षण द्वारा कर्मचारियों की कार्य कुशलता में वृद्धि होती है साथ ही उनकी धन कमाने की शक्ति बढ़ती है। इसका सीधा प्रभाव उनके जीवन स्तर पर पड़ता है जीवन स्तर में सुधार से उनकी कार्यकुशलता में फिर से वृद्धि होती है वह अधिक धन कमाने लगते हैं और यह क्रम चलता रहता है।


प्रशिक्षण की विधि | प्रशिक्षण विधि

1. कार्य का प्रशिक्षण

इस विधि के अंतर्गत जिस स्थान पर कर्मचारी कार्य करते हैं उसी स्थान पर प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाती है। प्रशिक्षण देने का मुख्य उद्देश्य कम से कम समय में कर्मचारियों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाना है। इसमें परीक्षार्थी रुचि से कार्य करता है। इस विधि का एक बड़ा दोष है कि कार्य में बाधा उत्पन्न होती है और उत्पादन में गिरावट आती है।

2. प्रशिक्षण केंद्रों पर प्रशिक्षण

इस विधि में प्रशिक्षण देने के लिए अलग-अलग विशिष्ट प्रशिक्षण केंद्र खोले जाते हैं, ऐसे प्रशिक्षण केंद्र सरकार और बड़े-बड़े उद्योगपतियों द्वारा चलाए जाते हैं। इन केंद्रों पर सैद्धांतिक और व्यवहारिक दोनों प्रकार के प्रशिक्षण पर बल दिया जाता है। इस विधि में उत्पादन कार्य में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती है।

3. पर्यवेक्षकों द्वारा प्रशिक्षण

पर्यवेक्षकों द्वारा जब कोई प्रशिक्षण दिया जाता है तो प्रशिक्षणार्थियों को अपने अधिकारियों से परिचित होने का अवसर मिल जाता है। साथ ही पर्यवेक्षकों को भी परीक्षार्थियों की योग्यता को परखने का अवसर मिल जाता है।

4. यंत्रों द्वारा प्रशिक्षण

यह प्रशिक्षण के आधुनिक विधि है इसमें यंत्रों का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है यह प्रशिक्षणार्थियों को काम के बारे में विभिन्न सूचनाएं देते हैं।

5. उद्योग में प्रशिक्षण

वर्तमान समय में उद्योग में प्रशिक्षण देने का ढंग अत्यंत ही लोकप्रिय हो गया है इसमें उद्योग की आवश्यकता के अनुरूप ही कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।


प्रशिक्षण की आवश्यकता | प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों पड़ती है

1. उत्पादकता में वृद्धि हेतु

प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी कार्य को अच्छे तरीके से और शीघ्रता से किया जाए। प्रशिक्षण के द्वारा कर्मचारियों में कार्य के प्रति लगन में वृद्धि होती है और उनका आत्मविश्वास बढ़ता है जिनके परिणामस्वरूप उनमें कार्य करने की तीव्र इच्छा जागृत होती है जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है।

2. दुर्घटनाओं में कमी

प्रशिक्षित कर्मचारी कार्य को सही ढंग से करते हैं इसलिए उन्हें पहले से ही ज्ञात होता है कि कार्य किस तरीके से करना है तथा उन्हें यंत्रों का उपयोग किस प्रकार करना है, दुर्घटनाओं से किस तरह से बचा जा सकता है इन सभी को प्रशिक्षण के दौरान बताया जाता है। तो इस तरह से दुर्घटनाओं में कमी आती है।

3. पर्यवेक्षक तथा निर्देशन में कमी

किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए पर्यवेक्षण तथा निर्देशन किया जाता है लेकिन एक प्रशिक्षित कर्मचारी अपने कार्य को सही तरीके से संपन्न कर लेता है इसलिए प्रशिक्षण के बाद पर्यवेक्षण करने की आवश्यकता नहीं होती है।

4. कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि

प्रशिक्षित कर्मचारी अपने कार्य को पूर्ण कौशल के साथ करता है जिसके परिणाम स्वरुप उसके कार्य में स्थायित्व मिलता है और पदोन्नति के अवसर अधिक मिलते हैं और उसके मनोबल में वृद्धि होती है।

5. स्थायित्व की भावना में वृद्धि

जब कोई भी संस्था किसी कर्मचारी को प्रशिक्षण प्रदान करती है तो प्रशिक्षण के दौरान अतिरिक्त भार पड़ता है जिसकी पूर्ति वह कर्मचारी से कार्य करवाती है अतः कर्मचारी को कार्य में स्थायित्व प्रदान किया जाता है।

6. कार्य क्षमता व कुशलता में वृद्धि

प्रशिक्षण में विशेष कार्य को विधिपूर्वक करने की कला सिखाई जाती है इससे कर्मचारियों की कार्य क्षमता एवं कुशलता में वृद्धि होती है।

निष्कर्ष

तो आज के इस लेख के माध्यम से हमने यह जाना कि प्रशिक्षण क्या होता है, प्रशिक्षण का अर्थ एवं परिभाषा, प्रशिक्षण से संस्था को क्या लाभ होता है, और प्रशिक्षण से संस्था के किसी कर्मचारियों को क्या लाभ होता है। और हमें प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों पड़ती है, इन सब के बारे में जाना है, प्रशिक्षण से संबंधित अगर कोई सूचना छूट गई है तो कमेंट करें हम उस पर भी लेख लिखेंगे। अगर आपको पोस्ट अच्छी लगती है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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Comments

  1. Tqu soo much

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  2. Jpardeep348@gmail.com

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  3. Thanks 😊😊👍

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  4. Prashukshar manovigyan m shikshar k Kendra Bindu mana hai

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  5. Its amazing

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