संगठन के सिद्धांत | संगठन के सिद्धांतों को संक्षिप्त में लिखिए

संगठन के सिद्धांत

दोस्तों मैं उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों ने संगठन का अर्थ एवं परिभाषा तो समझ लिया होगा, अब बारी आती है संगठन के सिद्धांत की तो संगठन के सिद्धांत इस प्रकार हैं_

1. सोपनिक सिद्धांत-

कौन व्यक्ति किस प्रबंधक की अधीनता में काम करेगा और किससे आदेश लेगा इस बात का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन ना करें।

2. अपवाद का सिद्धांत-

प्रत्येक अधीनस्थ को अधिकार दिए जाएं ताकि वह दैनिक कार्यों को स्वयं निपटा सकें। केवल असाधारण मामले को ही अधीक्षक के पास आने चाहिए। इस प्रकार प्रबंधक का समय अधिक महत्वपूर्ण मामलों के लिए सुरक्षित रहता है।

3. लोच का सिद्धांत-

संगठन में पर्याप्त लोच होनी चाहिए ताकि इसमें परिस्थितियों व समय के अनुसार आसानी से परिवर्तन किया जा सके।

4. अधिकार एवं दायित्व-

संगठन के प्रत्येक सदस्य को उसके अधिकार और दायित्व के साथ-साथ उन्हें कार्य दिए जाने चाहिए। अधिकार वाद दायित्व में तालमेल के बिना कोई भी व्यक्ति कुशलता पूर्वक कार्य नहीं कर पाएगा। अधीनस्थों को पर्याप्त अधिकार सौंपे जाने चाहिए।

5. संतुलन का सिद्धांत-

संगठन में विरोधी दबाव वाले तत्वों जैसे केंद्रीय करण एवं विकेंद्रीकरण नियंत्रण का प्रभावी स्तर एवं संचार संचार के स्तर अधिकार प्रत्यायोजन एवं योग्यता आदि में उचित संतुलन होना चाहिए। इससे विभिन्न कार्यों में उचित सामंजस्य रखा जा सकता है।

6. निरंतरता का सिद्धांत-

संगठन में व्यवसाय की आवश्यकताओं को निरंतर पूरा करने की क्षमता होनी चाहिए। व्यवसाय में निरंतर विकास होता रहे और पदों की रिक्तियों को भरने के लिए समय पर नए प्रबंधक उपलब्ध हों, तभी यह संभव है।

इन्हें भी पढ़ें:-

Comments

Post a Comment

Share your Experience with us, So that we can know our Weakness. Google