अकबर की राजपूत नीति के परिणाम -Akbar ki Rajpoot Neeti ke Parinaam

 अकबर की राजपूत नीति के परिणाम

तो  हेल्लो स्टूडेंट्स आज हम अकबर की राजपूत नीति के परिणाम के बारे में चर्चा करेंगे। इसके पिछले पोस्ट में हमने अकबर की राजपूत नीतिके बारे में चर्चा की थी, अगर इसके बारे में आपने नहीं पढ़ा तो इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं

1. मुगल शासन के लिए लाभदायक- अकबर की राजपूत नीति मुगल शासन के लिए भी अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हुई। इस मित्रता ने मुगल साम्राज्य की सेवा के लिए राजपूतों के रूप में भारत के श्रेष्ठतम वीरों की सेवाएं उपलब्ध करवाई। उनकी मित्रता से ना केवल मुगल साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार हुआ बल्कि उन्होंने अकबर को अपनी सैनिक तथा प्रशासनिक सेवाएं देकर मुगल साम्राज्य को सुदृढ़ बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। और राजपूतों के सहयोग से अकबर को भारत के लगभग 50,000 सर्वोत्तम घुड़सवारओं की सेवाएं मिल सकी। अफ़गानों, उजबेकों, पठानों तथा तुर्कों की सहायता की अधिक चिंता नहीं रही। राजपूत अब मुगल साम्राज्य के शत्रु के स्थान पर मित्र बन गए।

2. राजपूतों को लाभ- अकबर की राजपूतों के प्रति उदार और मित्रता की नीति से राजपूतों को भी बहुत लाभ मिला। इसी नीति के फल स्वरुप राजपूताना में शांति बनी रही जिससे राजपूत अपनी रियासतों की सुरक्षा के प्रति निश्चिंत हो गए। उन्हें शाही सेवा करते हुए सम्मान, अच्छा वेतन, उच्च पद और मनसब, बड़ी-बड़ी जागीरें मिली। राजा भारमल को उच्च पद मिला। भगवानदास को लाहौर और मानसी को काबुल बिहार और बंगाल का गवर्नर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जागी रे मिलने से उनकी आय के स्रोतों में वृद्धि हुई।

3. सांस्कृतिक समन्वय- अकबर की राजपूत नीति के कारण हिंदू मुस्लिम सांस्कृतिक समन्वय की गति को प्रोत्साहन मिला। इस नीति के फल स्वरुप हिंदू और मुसलमानों ने एक दूसरे के रीति-रिवाजों और त्यौहारों में भाग लेना शुरू कर दिया। अकबर ने राज्य की ओर से संस्कृत हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन दिया। राजपूतों ने फारसी पढ़ने के साथ-साथ कला तथा साहित्य की उपलब्धियों के क्षेत्र में प्रशंसनीय योगदान दिया।


4. भावी शासकों का प्रदर्शन- अकबर की राजपूत नीति में उसके दो परवर्ती मुगल सम्राटों के लिए मार्गदर्शन का कार्य किया। जहांगीर और शाहजहां ने इसी के अनुरूप राजपूतों के प्रति मित्रता की नीति अपनाई। जहांगीर ने कछवाहा राजकुमारी और एक जोधपुर की राजकुमारी से विवाह किए। उसने एक जैसलमेर और बीकानेर की राजकुमारियों के साथ भी विवाह किया। और राजपूतों को उच्चतम सम्मान दिया। शाहजहां के काल में भी राजपूतों के प्रति उदार नीति जारी रही। जब तक मुगल सम्राट अकबर की आदर राजपूत नीति पर चलते रहे तब तक मुगल साम्राज्य पर कोई आंच नहीं आई। यहां तक कि औरंगजेब जैसे सुन्नी मुसलमान ने जब तक इस नीति को नहीं त्यागा तब तक मुगल साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई।

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