डॉ. आशिर्वर्दीलाल ने कहा है— "इस काल में वस्तुएं इतनी सस्ती थी कि कम आय वाले लोग भी इन्हें सरलता से प्राप्त कर सकते थे और उनकी जीवन में उपयोग होने वाली आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से हो जाती थी।"
मुगल कालीन भारत की आर्थिक दशा का वर्णन करो
1. संपन्न नगर— इस्लाम धर्म में कई बड़े प्रसिद्ध और संपन्न नगर थे। फितेह ने आगरा और फतेहपुर सीकरी का वर्णन करते हुए लिखा है— "आगरा और फतेहपुर सीकरी दो बहुत बड़े नगर हैं, आगरा और फतेहपुर सीकरी के जनसंख्या की दृष्टि से लंदन की अपेक्षा बहुत बड़े हैं। आगरा और फतेहपुर सीकरी के बीच 12 मील का अंतर है। इस दीर्घ मार्ग के दोनों ओर दुकानें हैं, यहाँ घूमने से लगता है कि मानो हम बाजार में घूम रहे हैं।"
2. यातायात — मुगल काल में व्यापार की उन्नति के लिए यातायात के साधनों की कोई कमी नहीं थी। जल एवं थल मार्ग सुरक्षित थी और आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर सामान को पहुंचाया जा सकता था। लाहौर दूसरा बड़ा व्यापारिक नगर था। इन नगरों के अलावा अहमदाबाद और बुरहानपुर अन्य समृद्ध शाली तथा व्यापारिक नगर थे। इनके अतिरिक्त मछलीपट्टनम, सूरत, भडोच, नागापट्टनम कोचीन, कालीकट, गोवा, चटगांव, समुद्र के किनारे दूसरे व्यापारिक केंद्र थे।
मुगलकालीन भारत की कृषि — वर्तमान के समान ही उस समय भी भारत एक कृषि प्रधान देश था मुख्य फसलें और उपकरण भी वर्तमान के अनुसार ही थे। कृषि की उन्नति के लिए राज्य की ओर से किसानों को पूर्ण मदद दी जाती थी। और सिंचाई के पर्याप्त साधन थे लेकिन कुछ कृत्रिम साधनों का अभाव था। यहां खरीफ और रबी फसलें होती थी। बिहार में कपास, गन्ना, अफीम और चावल प्रमुख उत्पादन थे। ऐसा लगता है कि कृषि की दशा सुधारने के लिए मुगल सरकार ने काफी प्रयोग और प्रयत्न किए। अकबर ने सुबह दरों को आदेश दिया था कि वे कुछ तलाब आदि का निर्माण कराए। और उस समय प्रमुख रूप से गेहूं, चावल, कपास, जौ, गन्ना, मक्का, तिलहन आदि की खेती की जाती थी।
3. व्यापार और शिल्प— मुगल काल में व्यापार उन्नति शील था उस समय देश का यूरोप और अन्य देशों के साथ घनिष्ठ संबंध था। अंग्रेज फ्रांसीसी, पुर्तगाली और बच्चों की कंपनियां भारत में बने सामान को ले जाकर यूरोप के बाजारों में बेचती थी। उस समय के प्रमुख उद्योग धंधे निम्नानुसार हैं—
- सूती वस्त्र उद्योग— मुगल काल में बड़े पैमाने पर कपास उत्पन्न किया जाता था। इससे उच्च किस्म का कपड़ा तैयार किया जाता था। इस समय प्रसिद्ध सूती कपड़ा कैलिको का था, यह छपा हुआ था। सूती वस्त्र के प्रमुख केंद्र अहमदाबाद, बनारस, ढाका, पटना, जौनपुर, लखनऊ आदि थे।
- रेशमी वस्त्र— रेशमी वस्त्र का उद्योग भी उन्नत अवस्था में था आगरा, लाहौर, फतेहपुर, सीकरी, पटना, कश्मीर, रेशमी वस्त्र के लिए प्रसिद्ध थे।
- ऊनी वस्त्र उद्योग — कश्मीरी पट और साल उस समय बहुत प्रसिद्ध थे इसके अलावा ऊनी दरियां अमृतसर, फतेहपुर सिकरी और आगरा में बनती थी।
- शक्कर— शक्कर उस समय विदेशों को निर्यात की जाती थी आगरा और अहमदाबाद शक्कर बनाने के प्रमुख केंद्र थे उस समय मिश्री, दाना और गुड़ ये तीन प्रकार की शक्कर बनाई जाती थी।
- अस्त्र शस्त्र— तलवार, भाले, धनुष बाण, बंदूक आदि अस्त्र शस्त्र भी उस समय बनाए जाते थे इनके प्रमुख केंद्र पंजाब और गुजरात थे।
- सुगंधित तेल— यह गुजरात में बनाया जाता था या उस समय अत्यंत लोकप्रिय था।
- अफीम— प्रमुख रूप से मलवा बिहार और बंगाल में पैदा की जाती थी।
- केसर— केसर से केसरिया रंग बनाया जाता था इसकी उपज कश्मीर में की जाती थी।
- जूट— बंगाल में जूट उद्योग विकसित था।
- नमक— सांभर झील नमक के लिए प्रसिद्ध थी। अजमेर में भी नमक मिलता था।
- खनिज पदार्थ— देश के कई भागों में तांबा लोहा संगमरमर लाल पत्थर सोना चांदी आदि पाया जाता था।
4. रहन सहन — मुगल काल में व्यक्तियों के रहन-सहन के स्तर के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे पास पर्याप्त साधन नहीं है। फिर भी जो सामग्री उपलब्ध है उसके आधार पर हम विभिन्न वर्गों के रहन सहन के बारे में जानेंगे।
- धनी मनी व्यक्ति— धनी मनी व्यक्ति लोग अपने पुत्र पुत्रियों केविवाह पर इमारतों मकबरा और मस्जिदों तथा विदेशों की अनोखी वस्तुएं खरीदने पर खुलकर खर्चा करते थे। ईस खर्चे के कारण उनमें से बहुत से लोग कर्ज में फस जाते थे और फिर किसानों से धन वसूल करते थे।
- मध्यमवर्ग— इस वर्ग में व्यापारी सरकारी कार्यकर्ता नौकरी पेशा लोग आदि थे। स्थिति साधारण व अच्छी थी। व्यापारियों के रहन-सहन का स्तर अन्य व्यक्तियों से श्रेष्ठ था क्योंकि वे धन संपन्न थे। समुद्र तट पर निवास करने वाले व्यापारियों का रहन सहन और भी अच्छा था क्योंकि उन्हें विभिन्न देशों के व्यापारियों के संपर्क में आना पड़ता था।
- निम्न वर्ग — निम्न वर्ग के व्यक्तियों में कारीगर मजदूर किसान चपरासी और छोटे दुकानदार थे। वह सभी व्यक्ति बहुत निर्धन थे। उन्हें जीवन के साधारण सुख भी उपलब्ध नहीं थे। वह दिन भर काम करते थे और उनके पास ऐसी वस्तुएं बहुत कम होती थी जिन्हें वह अपनी कह सकें वह मिट्टी के झोपड़े में रहते थे। और उनके घर में पानी रखने और खाना बनाने के लिए मिट्टी के कुछ बर्तन और दो चारपाइयों के सिवाय और कुछ नहीं होता है।
इस प्रकार मुगल काल में देश की आर्थिक दशा अच्छी थी। जनता को सभी वस्तुएं मिल जाती थी। इस समय सभी क्षेत्र काफी उन्नति पर थे। इन्हें राज्य का पूरा संरक्षण प्राप्त था।
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