ऑगस्ट काॅम्टे के तीन स्तरों का नियम

ऑगस्ट काॅम्टे की प्रमुख रचनाएं

1. The Prospects of The Scientific Work Required For The Organisation of Society.

2. Positive Philosophy.

3. System of Positive Polity.

4. Religion of Humanity.


ऑगस्ट काॅम्टे के तीन स्तरों का नियम (Auguste Comte's law of three levels)

auguste comte ke teen staron ka niyam; अगस्त काम्टे द्वारा प्रतिपादित तीन स्तरों के नियम उनकी एक महत्वपूर्ण देन है। इस नियम के अनुसार सामाजिक विकास का अध्ययन मानव के बौद्धिक विकास के स्तर के आधार पर किया जा सकता है। मानव के बौद्धिक विकास को काॅम्टे ने तीन अवस्थाओं में विभाजित किया है, जो कि इस प्रकार से है-

1. धार्मिक स्तर

इस स्तर में समाज कि सभी घटनाओं की व्याख्या धार्मिक आधार पर की जाती है। मनुष्य प्रत्येक घटना के पीछे किसी ना किसी अलौकिक शक्ति की कल्पना करता है। मनुष्य यह मानता है कि कोई भी घटना आलौकिक शक्ति की क्रिया का ही परिणाम है।

2. तात्विक स्तर

यह अवस्था धार्मिक अथवा वैज्ञानिक अवस्था के बीच की है। मस्तिष्क के विकास के साथ-साथ मनुष्य की तर्कशक्ति बढ़ती गई और इस अवस्था में मनुष्य यह सोचने लगा कि प्रत्येक घटना के पीछे ईश्वर प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित नहीं होता लेकिन अमूर्त रूप में सभी जगह विद्यमान होता है। और इस संसार में जो कुछ भी घटित होता है, उसकी व्याख्या ईश्वर के आधार पर नहीं लेकिन अदृश्य शक्ति के आधार पर करता है।

3. प्रत्यक्षवाद स्तर

इस स्तर में मानव मस्तिष्क धार्मिक और काल्पनिक विचारों को छोड़कर घटनाओं की व्याख्या वैज्ञानिक आधार पर करता है। और मनुष्य का मस्तिष्क तर्क और निरीक्षण एवं वर्गीकरण के आधार पर घटनाओं और तथ्यों को जानने का प्रयास करता है क्योंकि घटनाओं को समझने का यही वास्तविक साधन है। इस स्तर पर ज्ञान का संग्रह की अत्यंत महत्वपूर्ण और एकमात्र उद्देश्य होता है। वैज्ञानिक नियमों का निर्माण इसी स्तर में संभव है और उन्हें समस्त घटनाओं पर लागू किया जाता है।

ऑगस्ट काॅम्टे कहता है कि इन तीन अवस्थाओं का सिद्धांत व्यक्ति समाज और बौद्धिक तथा सामाजिक जीवन पर लागू होता है अर्थात या सभी इन तीनों अवस्थाओं से गुजरते हैं विज्ञान की विभिन्न शाखाओं का विकास भी इन्हीं स्तरों से हुआ है।

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Comments

  1. Anonymous25 May, 2022

    1_धार्मिक- इसके आधार पर यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती थी तो लोग बोलते थे कि जैसा ईश्वर चाहता है वही होता है भगवान ने उसको याद किया इसलिए उसकी मृत्यु हो गई।

    2_ तार्किक- तार्किक के आधार पर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती थी तो लोग बोलते थे कि जो इंसान आया है उसे एक दिन जाना ही है।

    3_ प्रत्यक्षवाद- प्रत्यक्षवाद के आधार पर किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसका पोस्टमार्टम किया जाता है और उसका पता लगाया जाता है कि मृत्यु का कारण क्या है।

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    1. Thankyou ❤️❤️ isi tarah se students ki help karte rahiye.. have a good Day.

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  2. Its really thank full for us..

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  3. Anonymous22 July, 2023

    Thank you so much sir

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  4. Thnk u so much sir

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  5. Thank you 😊 🙏

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