गुप्त साम्राज्य के पतन के कारण

गुप्त साम्राज्य के पतन के कारण निम्नलिखित थे

गुप्त साम्राज्य जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त प्रथम ने कि, जिसकी सीमाओं में समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने अधिक विस्तार किया। भारत को राजनीतिक एकता के सूत्र में बांधा जिसके परिणाम स्वरूप लगभग 250 वर्षों तक गुप्त साम्राज्य अस्तित्व में रहा लेकिन, प्रकृति का नियम है कि जिसका उत्थान हुआ है, उसका पतन भी आवश्यक है गुप्त साम्राज्य पर भी लागू हुआ और एक दिन ऐसा भी समय आया जब गुप्त शासकों का अंत हो गया गुप्त साम्राज्य के पतन के लिए निम्नलिखित कारण थे।

  1. साम्राज्य की विशालता
  2. आयोग्य के उत्तराधिकारी
  3. उत्तराधिकार का युद्ध
  4. आंतरिक विद्रोह
  5. हूणों के आक्रमण
  6. बौद्ध धर्म का हानिकारक प्रभाव
  7. आर्थिक दुर्बलता

1. साम्राज्य की विशालता- समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने अपने प्रयासों से गुप्त साम्राज्य का बहुत अधिक विस्तार किया था। साम्राज्य की विशालता के कारण समय ऐसा आया जब गुप्त शासकों के लिए अयोग्यता दूसरे अन्य समुचित साधनों के अभाव में दूरस्थ प्रांतों पर शासन करना दुष्कर हो गया। ऐसी स्थिति में दूरस्थ प्रांत के अनेक शासकों ने गुप्त साम्राज्य की अधीनता को स्वीकार कर दिया और स्वतंत्र हो गए।

2. आयोग्य के उत्तराधिकारी- स्कंद गुप्त की मृत्यु के बाद जितने भी गुप्त साम्राज्य हुए उनमें इतनी क्षमता एवं योग्यता नहीं थी, कि वह अपने पूर्वजों की विशाल साम्राज्य की सुरक्षा कर सकें उदाहरण के लिए पूरूगुप्त और बुध्दगुप्त में योग्यता और क्षमता का नितांत अभाव था अतः वे केंद्रीय शासन सत्ता को सुदृढ़ ना रख सके परिणाम स्वरूप अनेक छोटे छोटे राज्य उत्पन्न हो गए और गुप्त साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया।

3. उत्तराधिकार का युद्ध- गुप्त काल में सम्राट पद के लिए कई बार गुप्त शासकों ने संघर्ष किया उदाहरण के लिए चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने सिंहासन प्राप्त करने के लिए अपने बड़े भाई रामगुप्त का वध कर दिया था। इसी प्रकाश स्कंदगुप्त की अनुपस्थिति में उसका भाई पूरूगुप्त शासक बन गया था। निश्चित रूप से उत्तराधिकार के युद्ध ने गुप्त शासकों को आंतरिक रुप से कमजोर कर दिया होगा आगे चलकर उत्तराधिकार के युद्ध के कारण ही राजभवन षड्ययंत्रों का केंद्र हो गया ऐसी स्थिति में गुप्त साम्राज्य का पतन अवश्य होना था।

4. आंतरिक विद्रोह- गुप्त वंश के अंतिम शासकों की अयोग्यता के कारण साम्राज्य में आंतरिक विद्रोह प्रारंभ हो गया क्योंकि प्रांतपतियों को पर्याप्त अधिकार प्राप्त है अतः ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर प्रांतपतियों ने विद्रोह करना प्रारंभ कर दिया। उदाहरण के लिए पुष्यमित्र का विद्रोह, जिसको दबाने में कुमारगुप्त प्रथम और स्कंद गुप्त को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा था। इनके बाद के गुप्त शासक आंतरिक विद्रोह को दबाने में असफल रहे। परिणाम स्वरूप गुप्त साम्राज्य का पतन हो गया और मालवा, वल्लबी तथा कन्नौज जैसे छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्यों की स्थापना हुई।

5. हूणों के आक्रमण- उत्तरकालीन गुप्त सम्राटों की सीमांत प्रदेश सीमा नीति का संतोषजनक थी। जिसका लाभ उठाकर हूं नो ने गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किए और गुप्त साम्राज्य को अत्यधिक क्षति पहुंचाई। यद्यपि स्कंद गुप्त ने दोनों को परास्त कर दिया था किंतु उसकी मृत्यु के पश्चात दोनों को अपने आक्रमण की सफलता मिली और गुप्त साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया। डॉ. आर. एस. त्रिपाठी ने गुप्त साम्राज्य के पतन के लिए हुण अक्रमाणों को उत्तरदाई ठहराया है।

6. बौद्ध धर्म का हानिकारक प्रभाव- गुप्तकालीन सम्राट ब्राह्मण धर्म के अनुयाई थे उनकी प्रवृत्ति सामरिक थी किंतु उत्तर कालीन गुप्त सम्राटों ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया इन सम्राटों की सामरिक प्रवृत्ति भी मंद पड़ गई परिणाम स्वरूप गुप्त साम्राज्य का पतन हो गया।

7. आर्थिक दुर्बलता- चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, विक्रमादित्य, कुमारगुप्त प्रथम आदि गुप्त शासकों ने अनेक युद्ध द्वारा विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। इन युद्धों में अपार धन राशि खर्च हुई होगी, लेकिन योग्य गुप्त शासकों के कारण आर्थिक अभाव प्रारंभ में नहीं हुआ, लेकिन बाद में गुप्त शासकों को धन की कमी महसूस हुई। अब वे जनता की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति में भी असमर्थ रहने लगे। स्कंद गुप्त के लगातार हूणों से आक्रमण होने के कारण राजकोष पूर्णता खाली हो गया। अतः ऐसी स्थिति में गुप्त साम्राज्य का पतन होना स्वाभाविक था।

इससे स्पष्ट होता है, कि गुप्त वंश के पतन के लिए कोई एक कारण उत्तरदाई नहीं था बल्कि अनेक कारण उत्तरदाई थे। इन कारणों ने धीरे-धीरे गुप्त साम्राज्य को संकुचित कर गुप्त सम्राटों को कमजोर किया और एक समय ऐसा आया जब गुप्त साम्राज्य पूर्ण रूप से पतन हो गया।

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Comments

  1. बहुत शानदार काम कर रहे हैं किशोर जी! एक शिक्षक के तौर पर मुझे आपकी सामग्री से बहुत सहायता मिल रही है। इस नेक कार्य के लिए आपका हृदय से धन्यवाद!

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  2. Anonymous19 July, 2023

    Gupta samrajya ke patan ke karno ka prichhan kare?

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