जलधारा किसे कहते हैं?
एक निश्चित दिशा की ओर सागर में नदी के समान बहने वाला जल जिसके दोनों किनारे स्थित सागर जल के होते हैं उसे जलधारा कहते हैं।
लहर किसे कहते हैं?
वायु प्रवाह के प्रभाव से सागर तट के किसी भाग में जल के ऊपर नीचे होने की क्रिया लहर कहलाती है इस क्रिया में जल आगे नहीं बढ़ता वह अपने स्थान पर ऊपर नीचे होता रहता है उसे लहर कहते हैं।
ज्वार भाटा क्या है?
समुद्री जल के नियमित चढ़ाव को ज्वार और उतार को भाटा कहते हैं।
ज्वार भाटा की उत्पत्ति में किसका प्रभाव है?
ज्वार भाटा की उत्पत्ति में चंद्रमा का प्रभाव अधिक है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के समीप है।
एक ज्वार एवं भाटा के बीच कितने समय का अंतर होता है?
एक ज्वार एवं भाटा के बीच 6 घंटे 13 मिनट का अंतर होता है।
महासागरीय धाराएं क्या है in Hindi | महासागरीय धाराओं के उत्पन्न होने के कारण
धाराओं के उत्पन्न होने के कारण इस प्रकार से हैं।
1. तापमान की भिन्नता- भूमध्य रेखीय प्रदेशों में तापमान की अधिकता के कारण पानी फैल कर दो की ओर प्रवाहित होने लगता है इस जल की पूर्ति हेतु ध्रुवों की ओर से ठंडा जल विश्वत रेखा की ओर प्रवाहित होने लगता है।
2. खारेपन्न की भिन्नता- लवणता के कारण सागर जल के घनत्व में अंतर मिलता है जहां कहीं विभिन्नता घनत्व वाले समुद्र आपस में मिलते हैं उनके बीच धाराएं चलने लगती है भूमध्य सागर में आंध्र महासागर की अपेक्षा अधिक खारापन है। इसलिए भूमध्य से उसकी पूर्ति हेतु आंध्र महासागर की ओर से धारा बहती है।
3. स्थाई हवाएं- स्थाई हवाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से धाराओं की ओर उत्पत्ति का कारण है। विश्व की अधिकांश मुख्य धाराएं स्थाई प्रचलित हवाओं की दिशा के अनुरूप बहती है। हिंद महासागर में चलने वाली हवाएं मानसूनी हवाओं के अनुरूप दिशा बदल देती है।
4. पृथ्वी का घूर्णन गति- पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण धाराएं वृत्ताकार रूप में प्रवाहित होती है फेरल के नियम अनुसार धाराएं उत्तरी गोलार्ध में दाएं और एवं दक्षिणी गोलार्ध में बायीं और मुड़ जाती है।
5. वर्षा तथा वाष्पीकरण- जिन महासागरों में वाष्पीकरण अधिक होता है वहां जल स्तर अपेक्षाकृत नीचे रहता है तथा वाष्पीकरण की क्रिया धीमी तथा वर्षा अधिक होती है वहां जलस्तर अपेक्षाकृत ऊंचा रहता है अतः ऊंचे समुद्री तल से नीचे समुद्र तल की ओर धाराएं चलने लगती है।
डायटम क्या है, यह मनुष्य के किस प्रकार उपयोगी है
Diatom एक कोशिए सूक्ष्म शैवाल है, इसमें कोशिका के चारों ओर सिलिका का कवच बना होता है। अतः यह कांच की तरह दिखाई देते हैं। मरने के बाद यह मिट्टी में मिल जाते हैं, सुखी डायटम युक्त मिट्टी का प्रयोग डायनामाइट बनाने में तथा मिट्टी के बर्तनों पर चमक लाने में किया जाता है। यह एक मूल्यवान फिल्टर पदार्थ है साथ ही मछलियों एवं अनेक समुद्री जीवो का प्रमुख भोजन भी है।
ज्वार भाटा से होने वाले लाभ और हानि
ज्वार-भाटा से कोई तीन लाभ बताइए | ज्वार-भाटा का महत्व बताइए
1. ज्वार का सबसे अधिक लाभ समुद्री यातायात को मिलता है जहां गहराई कम होती है वहां ज्वार के समय जल स्तर पर चढ़ जाने से बड़े जहाज ज्वार के साथ समुद्र के किनारे तक आ जाते हैं एवं भाटे के साथ पुनः गहरे समुद्र में चले जाते हैं।
2. नदियों द्वारा लाए गए औषध और गंदगी को ज्वार भाटा समुद्र से दूर ले जाते हैं इससे समुद्र तट साफ रहता है।
3. ज्वार भाटा के कारण सागर का जल गतिशील रहता है, इसके फलस्वरूप उच्च अक्षांश में समुद्र तट पर बर्फ नहीं जानती, जिससे बंदरगाह वर्ष भर खुले रहते हैं।
4. ज्वार भाटा से जल विद्युत उत्पन्न की जाती है।
5. गहरे समुद्र में छिपे हुए शीफ, शंख, कौड़िया आदि ज्वार के साथ समुद्र तट तक आ जाते हैं।
ज्वार भाटा से हानि
1. ज्वार वाले क्षेत्र में दलदल बन जाते हैं।
2. छोटे-छोटे जहाज डूब जाती हैं।
3. मछली पकड़ने में बाधा होती है।
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