बिस्मार्क की गृह नीति, बिस्मार्क के कार्य - in 2024

बिस्मार्क के कार्य

तो स्टूडेंट्स अभी हम बिस्मार्क की गृह नीति को समझाइए इसके बारे में चर्चा करेंगे , बिस्मार्क की गृह नीति का मूल्यांकन

बिस्मार्क की गृह नीति (Bismarck ki Grih Neeti)


             बिस्मार्क ने जर्मनी की अनेक रियासतों को एक सूत्र में बांधा था उनमें एकता स्थापित कर एक राष्ट्रीय भावना का सृजन किया जर्मनी की आंतरिक स्थिति को अच्छी तरह से बनाने के लिए आंतरिक समस्याओं के समाधान के लिए निम्नलिखित कार्य किए थे।

1. जर्मनी साम्राज्य के संविधान का निर्माण—
        बिस्मार्क द्वारा 1870 ई. में फ्रैंकफर्ट की संधि के समय जर्मन सम्राट के लिए एक संविधान तैयार किया गया। जिससे सविधान को संघात्मक संविधान भी कहा जाता है। इस संघ में 25  रियासतें एवं एक राजकीय क्षेत्र अल्सास, लोरेन सम्मिलित किया गया।एकता के लिए संगीत चांसलर रखा गया जो सम्राट द्वारा नियुक्त होता था और उसी के प्रति उत्तरदायित्व सम्राट और चांसलर कार्यपालिका का कार्य करते थे यह संविधान की अन्य विशेषताएं हैं:-
a. प्रथम सदन लोकसभा था जिसमें समस्त साम्राज्य के प्रतिनिधि के थे।
b. दूसरा सदन राज्यसभा था जिसमें विभिन्न राज्यों को प्रतिनिधित्व दिया गया था। 
         राज्यसभा केवल राजाओं का प्रतिनिधित्व करती थी। वह एक राजतंत्रीय संस्था थी। उसके प्रतिनिधि राजाओं द्वारा नियुक्त होते थे। राजाओं के संकेत पर मतदान भी करते थे। सब राज्यों को इसमें समान प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था। इसमें 58 सदस्य थे, जिनमें 17 तो प्रशा के थे 6 बुल्गारिया के और इसी प्रकार अन्य राज्यों के प्रतिनिधि थे।

2. विविध सुधार —
      बिस्मार्क ने जर्मन साम्राज्य की आंतरिक दशा सुधारने के लिए निम्नांकित कार्य किए-

1. राष्ट्रीय रेल बोर्ड का निर्माण— साम्राज्य के विभिन्न भागों के आवागमन की सुविधा के लिए एक राष्ट्रीय रेल बोर्ड का निर्माण किया गया तथा उसे टेलीग्राफ की सुविधा उपलब्ध कराई थी।
2. साम्राज्य के लिए एक विधान— बिस्मार्क ने जर्मनी के विभिन्न राज्यों में एक से कानून लागू किए। इससे कानूनों में एकरूपता आ गई।
3. अनिवार्य सैनिक कार्य—  देश की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली सेना की आवश्यकता थी अतः पूरे देश में अनिवार्य सैनिक सेवा लागू कर दी गई और जर्मन सेना की संस्था 4 लाख निश्चित कर दी गई।
4. टकसाल की स्थापना—  विभिन्न राज्यों में प्रचलित मुद्राओं को समाप्त करते हुए संपूर्ण जर्मन साम्राज्य के लिए एक ही मुद्रा मार्ग प्रचलित की।
5. इंपीरियल बैंक—  बिस्मार्क ने राजकीय बैंक की इंपीरियल बैंक के नाम 1876 ई. में स्थापना की तथा साम्राज्य के समस्त बैंकों को उससे संयुक्त कर दिया। 


3. जर्मन जातियों की समस्या
        प्रसाद की जनता प्रोटेस्टेंट थी किंतु जर्मनी मैं रोमन कैथोलिक धर्म मानने वाले का स्थान था। स्मारक की जर्मनी एकीकरण की नीति के विरोधी थे। उनका विश्वास था कि एक ही गर्म होने से वे प्रस्ताव की प्रोटेस्टेण्टों के नियंत्रण में आ जाएंगे और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का अंत हो जाएगा बिस्मार्क उनका दमन करना चाहता था। अतः उसने कैथोलिकों का दमन करने के लिए अनेक कानून बनाए थे। इन कानूनों में 1873 का कानून सर्वाधिक प्रसिद्ध है। पोप ने इन कानूनों को रद्द कर दिया। इससे कैथोलिकों को भीषण यातनाएं सहनी पड़ी थी। कुछ वर्षों बाद भी स्मारक ने अनुभव किया कि कैथोलिकों का दमन नहीं किया जा सकता था अतः उसने उन कानूनों को रद्द कर दिया।

4. समाजवाद पर रोक— 
       श्रमिक आंदोलन के रूप में जर्मनी ने समाजवाद का प्रादुर्भाव  हुआ। यह पूंजीवाद को चुनौती देने का अस्त्र था। समाजवाद का जन्म काल मार्क्स द्वारा हुआ था किंतु जर्मनी में आधुनिक समाजवाद तथा श्रमिक आंदोलन का नेता फर्डिनेण्ड लासाले था। कार्ल मार्क्स और लासाले के सिद्धांत में अनेक प्रकार के विभिन्नताएं थी।इससे समाजवादी न्यायालयों का संरक्षण प्राप्त करने में असफल हो गए इतना सब होने पर भी बिस्मार्क पूर्ण रूप से समाजवाद का अंत करने में सफल ना हो पाया।

5. कृषको और श्रमिकों की उन्नति के प्रयास—
            बिस्मार्क ने समाजवाद के बढ़ते हुए प्रभाव को देखकर वह बहुत चिंतित हुआ। उसने समाजवाद का अंत करने के उद्देश्य से श्रमिकों तथा किसको की दशा सुधारने के प्रयास प्रारंभ कर दिए।उसका उद्देश्य था कि कृषक और श्रमिक राज्य को अपना हितैषी मानें। बिस्मार्क के इस प्रयास को राज्य समाजवाद कहा जाता है। उसके अंतर्गत 1883 में बीमारी के लिए 1884 में आकस्मिक दुर्घटना के लिए अपाहिज तथा वृद्धावस्था के लिए बीमा की व्यवस्था के नियम पारित हुए। रविवार छुट्टी का दिन घोषित किया गया काम के घंटे निश्चित किए गए।

6. उत्पादन तथा व्यापार में वृद्धि
          बिस्मार्क का विश्वास था कि किसी देश को शक्तिशाली बनाने के लिए उद्योग और व्यापार का विकास आवश्यक है। अतः उसने अधिक उत्पादन पर जोर दिया और अपने देश में विदेशी वस्तुओं के आयात पर भारी चुंगी लगा दी।


निष्कर्ष:— इस प्रकार बिस्मार्क ने अपनी लौह और रक्त नीति के आधार पर जर्मनी को एक उन्नत राष्ट्र के रूप में परिणित कर दिया। 1871 ई. से 1890 ई. के बीच का काल बिस्मार्क का युग कहलता है।

बिस्मार्क कौन था (who was bismarck)


         बिस्मार्क का प्रारंभिक जीवन— बिस्मार्क का जन्म 1 अप्रैल 1815 ई. में बुनकर परिवार में हुआ था। उनके पिता पामेरीनिया में जागीरदार था, उसकी माता एक राज्य पदाधिकारी की पुत्री थी। बिस्मार्क ने अपना व्यक्तित्व तथा निरंकुशता की प्राप्ति अपने पिता से की। दूसरी ओर उसने बुद्धि की कुशलता एवं दूरदर्शिता अपनी माता से प्राप्त की। उसकी शिक्षा बर्लिन तथा गोटीगटन विश्वविद्यालय में हुई । बिस्मार्क बचपन से ही अध्ययन की अपेक्षा करता था उसेे कुश्ती लड़ने तथा मध्य पान का शौक था। शिक्षा प्राप्त कर उसने न्याय विभाग में कार्य किया। सन 1839 में उसकी माता का देहांत हो गया। उसने 8 वर्ष तक अपनी जागीर की देखभाल की। इसी काल में उसे राजनीति में रुचि उत्पन्न हो गई। उसने घर पर खूब अध्ययन किया तथा बहुत से स्थानों का भ्रमण किया। प्रारंभ से उसे गणतंत्र वाद के प्रति आस्था थी, पर आगे चलकर उसका संपर्क प्रतिक्रिया वादियों से हो गया।

  • बिस्मार्क की मृत्यु कब हुआ था?
बिस्मार्क की मृत्यु 30 जुलाई सन 1898 को हुआ था|


राजनीति में दर्पण— 1845 ई. में वह पमेरिनिया विधानसभा का सदस्य बना। 1847 में वह बर्लिन की राज्यसभा का सदस्य बना। प्रसाद के शासक फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ ने लोकतंत्र वादियों को प्रसन्न करने के विचार से बर्लिन की रचना की थी जिसका स्मारक भी एक सदस्य बन गया। 1859 ई. में बिस्मार्क रूस का राजदूत बना। 1852 ई. में फ्रांस में जर्मन राजदूत होने के पश्चात उसी वर्ष में प्रशा के सम्राट का प्रधानमंत्री नियुक्त हुआ।

(जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क )

जर्मनी का उदय एवं बिस्मार्क का योगदान— सन् 1870 ई. में फ्रांस की पराजय के पश्चात जर्मनी यूरोप का सर्वाधिक शक्ति संपन्न राज्य था। यूरोप की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में 1871 से 1890 तक बिस्मार्क एक प्रभावशाली व्यक्ति बना रहा। सेडवा के युद्ध के पश्चात 1899 तक यूरोप में पेरिस के स्थान पर बर्लिन की प्रधानता रही। इस काल में बहुत अधिक औद्योगिक विकास हुआ था। यूरोप के देशों में जर्मनी की प्रधानता स्थापित हुई और सामाजिक-आर्थिक का भी बहुत विकास हुआ था। इसके कारण जर्मनी का नया इतिहास बन सका था। इस समय जर्मनी का सम्राट विलियम कैसर प्रथम था। उसके बाद जर्मनी सम्राट के सर विलियम द्वितीय था जिसने 1888 से 1918 ई. तक राज्य किया।
             जर्मन राज्य के एकीकरण के पश्चात प्रशा बवेरिया , सेक्सनी तथा बूट्सबर्ग के राज्य 18 छोटे राज्यों, 3 स्वतंत्र नगरों तथा अल्सास और लारेन का एकीकरण करके बनाया गया था । उस समय प्रशा ही प्रधान था ।ऑस्ट्रिया के पश्चात कोई भी राज्य इतना शक्तिशाली नहीं था। सभी राज्यों की निगाहें प्रसव पर लगी थी उस राज्य का चांसलर बिस्मार्क था।

1871 के बाद भी स्मारक की नीति—बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण के पश्चात जर्मनी एकता को बनाए रखने के लिए जर्मनी के अंदर और बाहर दोनों प्रकार से सुदृढ़ बनाया। और 1890 ई. तक जर्मनी का सब कुछ अच्छा चल रहा था। वह सैनिक वाद का समर्थक था उसके प्रयत्नो द्वारा ही जर्मन सम्राट यूरोप में सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बन सका।

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  • Bismarck ka janm Kab hua tha?
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Comments

  1. #nayadost.in
    notes बनाने हेतु सटीक क्रमबध्द , विश्लेषण

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    1. Isi tarah age badhte rahiye... God bless you

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    1. 👍Good job, Have a Good Day...✌️✌️

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    1. Welcome' have a good day ❤️❤️❤️

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  4. very helpful notes,thank you.

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