वन क्या है, वन संसाधन के प्रकार एवं महत्व, वन संसाधन पर लेख लिखिए

वन क्या है | Van sansadhan kya hai

अब यहां एक सवाल पैदा होता हैं कि वन क्या है, तो वन हमारे दैनिक जीवन के लिए एक संसाधन है जो हमारे रोजमर्रा के जीवन में काम आते हैं। कैसे आइए जानते हैं, हमारे घरों में वनों से प्राप्त लकड़ियों से कई प्रकार के उपयोग होने वाले चीजें बनाई जाती है जैसे- खिड़की, दरवाजे, पलंग, टेबल, कुर्सी, अलमारी, मूर्तियां जैसे और भी अन्य कई सारे फर्नीचर के कार्य किए जाते है। जिसका उपयोग हम अपने जीवन में कभी ना कभी तो जरुर करते है।

आइए अब हम जानते हैं वनों के प्रकार के बारे में

विश्व में पाए जाने वाले प्राकृतिक वनस्पतियों को कई भागों में बांटकर उनका अध्ययन किया जाता है। विश्व में मुख्य निम्नलिखित प्रकार के वन पाए जाते हैं।


वन संसाधन के प्रकार

1. उष्णकटिबंधीय सदापर्णी वन-

इस प्रकार के 1 मुख्य रूप से विश्वत रेखा से 5° उत्तरी व 5° दक्षिणी अक्षांश पर अधिकतर पाए जाते हैं। इन वृक्षों में कभी पतझड़ नहीं होता इसी कारण इसे सदाबहार वन भी कहते हैं, सदाबहार वनों में मुख्य रूप से महोगनी, एबोनी, रोजवुड, रबड़, आइरनवुड, सिनकोना, देवदार, बालनट, ताड़, नारियल आदि के वृक्ष आते हैं। यहां वर्षा का औसत 200 सेंमी. से अधिक रहता है। और प्रिया हां शुष्क रितु नहीं पाई जाती है। इन वनों की ऊंचाई 70 से 100 मीटर तक होती है, और यह अमेजन घाटी तथा पश्चिमी मध्य अफ्रीका में कांगो बेसिन और दक्षिण पूर्वी एशिया में सघन वन पाए जाते हैं।

2. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन-

इस प्रकार के वनों का विस्तार मानसूनी प्रदेशों में अधिकतर मिलता है, इसलिए इन्हें मानसूनी वन या पतझड़ वन भी कहते हैं। यह वन प्रय: उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहां कम वर्षा होती है और शुष्क जलवायु पाई जाती है। यह छायादार वृक्ष होते हैं और यहां घास फूस की कमी पाई जाती है। इन वनों में सागौन, बांस, साल, शीशम, नारियल, चंदन, पीपल, मोम आदि मुख्य रूप से पाए जाते हैं। इस तरह के वन दक्षिणी पूर्वी एशिया में भारत, मलेशिया, हिंद, चीन, उतरी बर्मा, उत्तरी थाईलैंड, लाओस, उत्तरी वियतनाम, दक्षिणी जापान और मध्य रूस, ब्राजील के पूर्वी भाग उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तथा पूर्वी अफ्रीका में पाए जाते हैं।

3. शीतोष्ण कटिबंधीय शुष्क सदापर्णी वन-

यह वन भूमध्य सागर के तटीय क्षेत्रों जैसे- कैलिफोर्निया, ऑस्ट्रेलिया आदि में पाए जाते हैं इन वनों में सदाबहार वन पाए जाते हैं, हलांकी इन वनों में वर्षा वर्ष भर नहीं होती है, लेकिन यहां विशेष सागरीय जलवायु के कारण वृक्षों से ग्रीष्म ऋतु में भी पत्तियां गिरती है। इन वनों में जैतून, ओक, कर्क, बर्च, चेस्टनट, वोलनट, यूकेलिप्टस के वन पाए जाते हैं। और फल वाले वृक्षों में जैतून, अंगूर, नींबू व नारंगी मुख्य रूप से है।

4. शीतोष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन-

इस प्रकार के वनों का विस्तार उतरी गोलार्ध में 40° से 60° अक्षांशों के मध्य और दक्षिणी गोलार्ध में 25° से 40° अक्षांशों के मध्य पाया जाता है। इस प्रकार के वन चीन, जापान, कोरिया, उत्तरी पश्चिमी यूरोप, पश्चिमी कनाडा व पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका के क्षेत्रों में पाए जाते हैं, इन वनों के वृक्षों की पत्तियां वर्ष में एक बार गिर जाती है अर्थात यह पर्णपाती वृक्ष होते हैं। इन वृक्षों में मुख्य रूप से अखरोट, चेस्टनट, बालनट, हेमलोक, ओक, बीच, पोपलर, हिकोरी, आदि है, यह वन विश्व में लगभग 48 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं, इन वनों का 47% भाग एशिया में और 24.1% उत्तरी अमेरिका में व 16.2% यूरोप में और 9.6% दक्षिण अमेरिका में और 1.4% अफ्रीका में और 1.2% ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है।

5. शीत कटिबंधीय सदापर्णी वन-

इस प्रकार के वनों का विस्तार उत्तरी गोलार्ध में अमेरिका यूरोप और एशिया के प्रदेशों में मिलता है, इन वनों के वृक्ष हमेशा हरे भरे रहते हैं इन वृक्षों से मुलायम और हल्की लकड़ी मिलती है। इन वृक्षों के ऊंचाई 70 फीट तक होती है। यहां वृक्षों में चीड़, स्प्रूस, हेमलाक, फर, लार्च, सीडार और साइप्रस आदि वृक्ष मिलते हैं। इस प्रकार के वनों का उपयोग फर्नीचर बनाने दियासलाई, खेल के समान, पैकिंग के बक्से आदि बनाने में किए जाते हैं। पृथ्वी पर इस प्रकार के वनों का विस्तार 106 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर उपलब्ध है, इनमें 39.5 प्रतिशत भाग उत्तरी अमेरिका और 33.6% एशिया व 21.9% यूरोप और 4.1% दक्षिणी अमेरिका और 6% ऑस्ट्रेलिया और 3% अफ्रीका में है।

6. घास के वन -

इस प्रकार के वन मुख्यतः उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां वर्षा की मात्रा कम होने के साथ-साथ धूप भी कम होती है। इन वनों में घास व छोटे-छोटे पेड़ एवं झाड़ियां पाई जाती है। विश्व में घास के क्षेत्र काफी विस्तृत रूप से बिखरे हुए हैं तथा घास की लंबाई के आधार पर इन्हें विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। अफ्रीका में पाई जाने वाली घास को सवाना घास कहते हैं। इस घास के प्रदेश अश्रिका महाद्वीप के अतिरिक्त दक्षिण अफ्रीका वेनेजुएला कोलंबिया एवं ब्राजील में भी पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों में पाई जाने वाली सवाना घास की लंबाई 1 मीटर से 4 मीटर के बीच होती है। और हरी घास के क्षेत्रों को प्रेयरी के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार के वन उत्तरी अमेरिका के संयुक्त राज्य एवं कनाडा, यूक्रेन आदि में पाए जाते हैं।

7. मरुस्थलीय वन-

इस प्रकार के वन मरुस्थलों में जहां-तहां बिखरे हुए पाए जाते हैं। हालांकि मरुस्थलीय प्रदेशों में किसी भी प्रकार की वनस्पति नहीं पाई जाती है, लेकिन जिन भागों में थोड़ी भी मात्रा में नमी उपलब्ध होती है वहां कटीली झाड़ियां तथा मरउद्यान मिल जाते हैं। इन वृक्षों की पत्तियां एवं साले दोनों मोटी होती है जिससे कि गर्म जलवायु में भी उठ जाते हैं, इन मरुस्थलीय वनों में उत्तरी अमेरिका मैं सैगब्रुश, ग्रीसवुड, मैस्कवाइट, नागफनी, याका आदि के वृक्ष पाए जाते हैं और एशिया में सैक्सोल, अफ्रीका में एकेशिया तथा ऑस्ट्रेलिया में यूकेलिप्टस के वृक्ष पाए जाते हैं।


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