वन संसाधनों का महत्व | वनों का महत्व बताइए

हमारे भारत जैसे कृषि प्रधान देश में वनों का महत्व बहुत अधिक है जैसा कि इन तथ्यों से स्पष्ट होता है-


1. राष्ट्रीय आय में पर्याप्त योगदान-

वनों का भारत के आर्थिक जीवन में बड़ा स्थान है। देश की राष्ट्रीय आय का लगभग 26% भाग कृषि उद्योग से प्राप्त होता है इसमें 2% वन संपत्ति द्वारा मिलता है।

2. पशुओं को चारा, कंदमूल, फल आदि की प्राप्ति-

भारतीय वनों में चरागांवों के अभाव में लगभग 6 करोड़ पशुओं को चराने की सुविधा प्राप्त प्रदान करते हैं, जिन पर समाज एवं ग्रामीणों की जीविका निर्भर करती है।

3. रोजगार उपलब्ध कराना-

वन लगभग 40 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रुप से दैनिक व्यवसाय देते हैं, यह लोग लकड़ी काटने और चीरने लकड़ियां उन्होंने ना आदि तैयार करने तथा गोंद लाख लाल कंदमूल फल फूल आदि एकत्रित करने में लगे हैं इन छेत्र में लगभग चार करोड़ जनजाति के निवास स्थान हैं और वन ही उनके जीवनयापन का महत्वपूर्ण साधन है।

4. सरकार की आय-

वनों से सरकार को काफी आय की प्राप्ति होती है, 1949-50 में सरकार को वनों से शुरू के रुपए में 102 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे जबकि वर्तमान समय में यह आए लगभग 700 करोड़ प्रतिवर्ष है।

5. लकड़ी की प्राप्ति-

हमारे देश को वनों से मूल्यवान लकड़ी प्राप्त होती है, जैसे- साल, सागौन, शीशम, चीड़, देवदार आदि यह लकड़ी इमारती समान, फर्नीचर, खेती के औजार, रेल के डिब्बे आदि बनाने के काम आती है।

6. उद्योगों के लिए कच्चा माल-

वनों से दियासलाई, खेल के समान, रेयान, कृत्रिम रेशे, कागज, वस्त्र, परिवहन आदि उद्योगों को कच्चा माल मिलता है।

7. शक्ति कार्यों के लिए ईंधन-

जलाने और कोयला बनाने के लिए ईंधन की लकड़ी वनों से प्राप्त होती है और इसका प्रयोग शक्ति के साधन के रूप में हजारों वर्षों से किया जाता रहा है।

8. सहायक उपजे प्राप्त होना-

वनों से अनेक सहायक उपजे प्राप्त होती है जैसे रबड़ गोंद बिरोजा और भी अन्य प्रकार के कंद, मूल, फल, बहेड़ा, आंवला आदि हमें वनों से ही प्राप्त होते हैं।

9. लघु उद्योगों का आधार-

वनों से बांस, बेत, सरकंडे, घास आदि पर आधारित अनेक लघु उद्योगों को आश्रय मिलता है।


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