व्यवसायिक संप्रेषण का अर्थ एवं परिभाषा

व्यवसायिक संप्रेषण का अर्थ

vyavasaayik sampreshan ka arth; व्यवसाय संप्रेषण शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से हुई है, 'व्यवसायिक' एवं 'संचार' व्यवसाय शब्द की उत्पत्ति Business से हुई है, इनका अर्थ कोई काम धंधा, या हम हूँ कह सकते हैं ब्यापार या रोजगार, करना है।

और 'संचार' का अर्थ होता है 'फैलाना', अब हम यह कह सकते हैं की vyavasaay sampreshan ka arth; अपने ब्यापार को फैलाना ही व्यवसायिक संप्रेषण कहलात्ता है।

अन्य शब्दों मे; व्यवसाय एक ऐसी आर्थिक क्रिया होती है, जिसमें लाभ या पैसे कमाने के उद्देश्य से वस्तुओं और सेवाओं का नियमित रूप से उत्पादन व क्रय-विक्रय विनियम और हस्तांतरण किया जाता है। व्यवसाय को हम तभी व्यवसाय कहेगें जब उसमें आर्थिक क्रियाओं मे नियमितता हो। व्यसाय मे उन सभी क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है, जिसमें वस्तुओं के उत्पादन से लेकर वितरण तक कि क्रियाएं की जाती है। व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए धन प्राप्त करना होता है।

इस प्रकार व्यवसाय संचार का वह भाग है, जो व्यवसाय क्रिया से संबंधित होता है, तथा व्यवसाय को गतिशील बनाने में सहायक बनाता है। दूसरे शब्दों में जब दो या दो से अधिक व्यक्ति के मध्य विचारों सूचनाओं अथवा तथ्यों का आदान-प्रदान व्यवसायिक वातावरण में संपन्न होता है, तो संचार का यह रूप ही व्यवसायिक संचार कहलाता है।

व्यवसायिक संप्रेषण की परिभाषा | Vyavasaayik Sampreshan ki paribhaasha

न्यूमैन एवं समर के अनुसार- "यह दो या दो से अधिक व्यक्ति के मध्य तथ्यों, विचारों, सलाहों, भावनाओं का विनियम होता है।"

सी.जी. ब्राउन के अनुसार- "संदेश वाहन एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति तक सूचना का हस्तांतरित है चाहे उसके द्वारा विश्वास उत्पन्न हो या हो अथवा विनियम हो या नहीं किंतु हस्तांतरण की गई सूचना प्राप्तकर्ता मैं समझ में आनी चाहिए।"

फ्रेंड .जी.मेयर के अनुसार शब्दों में- "संप्रेषण विचारों एवं मतों के आदान-प्रदान का संगम है।"

किथ डेविस के अनुसार- "संप्रेषण एक दूसरे के बीच सूचना प्रदान करने एवं समझने की प्रक्रिया है।"

व्यवसाय संप्रेषण की विशेषताएं | व्यावसायिक संप्रेषण की विशेषता

1. दो पक्षों का होना— व्यवसायिक संप्रेषण में दो प्रकार के लोग होते हैं, प्रथम ‘संदेश भेजना’, दूसरा ‘संदेश प्राप्त करना।’

2. मानव से संबंधित— व्यवसाय संप्रेषण में संदेशों या विचारों का आदान-प्रदान समूहों के माध्यम किया जाता है, ना कि पशु पक्षी के माध्यम से किया जाता है।

3. संदेश या संवाद— व्यवसायिक संप्रेषण में सूचनाओं के अतिरिक्त आपत्तियां विचार परामर्श सुझाव तथ्य भावनाएं आदि का आदान प्रदान किया जाता है।

4. संप्रेषण का माध्यम— व्यवसायिक संप्रेषण मैं सोच रहा हूं या संदेशों के आदान प्रदान करने में संयुक्त माध्यम में मौखिक, लिखित, संकेतिक एवं दिवसीय सभी को सम्मिलित किया जाता है।

5. व्यवस्थित प्रक्रिया— व्यवसायिक संप्रेषण में सूचना का संचार निरंतर एवं व्यवसायिक रूप से किया जाता है।

6. उद्देश्यपारक — व्यवसायिक संप्रेषण में सूचनाओं के संचार की प्रक्रिया उद्देश्यों से प्रेरित होती है, संचार की सफलता उद्देश्य पूर्ति पर निर्भर करती है।

7. विचारों में एकता— व्यवसायिक संप्रेषण की सफलता दोनों पक्षों के मध्य केवल सूचनाओं के आदान-प्रदान पर निर्भर नहीं करती अभी तो दोनों पक्षों के माध्यम समाज एकता एवं संभावना पर निर्भर करती है।

8. प्रतिक्रिया— व्यवसायिक संप्रेषण में सूचनावों को संप्रेषित या भेजना भी सम्मिलित नहीं होता, बल्कि संप्रेषण की प्रतिक्रिया को जनना सम्मिलित होती है।

9. कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि— व्यवसायिक संचार द्वारा ही कर्मचारियों को संस्था की नीतियों एवं कार्यक्रमों से अवगत कराया जाता है, जिससे उनके मनोबल में वृद्धि होती है।

10. प्रबंधकीय क्रियाओं का आधार— प्रबंध की संपूर्ण क्रियाएं प्रभावी संचार पर निर्भर करती है, व्यवसायिक संप्रेषण के बिना  प्रबंध एवं पंगु प्रतीत होती है।

व्यवसायिक संप्रेषण के आवश्यक तत्व

1. संदेशवाहक वक्ता— व्यवसायिक संप्रेषण हमेशा चलने वाली प्रक्रिया है, इसमें सूचना उद्देश्य निर्देश सुझाव सलाह अभिप्रेरणा का आदान-प्रदान निरंतर चलता रहता है।

2. संप्रेषण करने का महत्व— संप्रेषण का अर्थ सूचना एवं संदेशों को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक भेजना ही नहीं होता, अपितु जिस भाव को संदेश प्राप्त करता समझे उसी भाव में ही संदेश दिया गया हो संप्रेषण प्रक्रिया में सूचना प्रेषण करने वाले को 'Encoder' तथा सूचना प्राप्त करने वाले को 'Decoder' कहां जाता है।

3. संप्रेषण दो तरफा प्रक्रिया— संप्रेषण दो तरफा प्रक्रिया है। संप्रेषण में दो व्यक्तियों अथवा समूह के मध्य संदेश का आदान-प्रदान होता है, संप्रेषण प्रक्रिया में संदेश प्राप्त करता संदेश भेजने वाले को सही अर्थात भाव को समझता है एवं अपनी प्रतिपुष्टि अथवा प्रक्रिया संदेश प्रेषक को प्रदान करता है।

4. संप्रेषण एक प्रबंधकिय कार्य— व्यवसायिक संस्था में संगठित समूह के व्यक्तियों, कर्मचारियों के मध्य समन्वय नेतृत्व अभिप्रेरणा एवं निर्देश का कार्य संप्रेषण द्वारा किया जाता है। और कर्मचारियों के मध्य वातावरण प्रभावी संप्रेषण के द्वारा बनाया जा सकता है, इस प्रकार कहा जाता है कि संप्रेषण एक प्रबंधकिए कार्य है।

5. संप्रेषण माध्य के विभिन्न प्रकार— आधुनिक युग में संप्रेषण के लिए अनेक संचार माध्यम प्रयोग में लाए जाते हैं, सूचना क्रांति के वर्तमान युग में संप्रेषण के लिए परंपरागत मध्य जैसे- पत्रकार, टेलीफोन के साथ-साथ तीव्र गति होने वाले आधुनिक संप्रेषण जैसे- दिल्ली Telefax, E-mail Video conferencing आदि मध्यम प्रयोग में लाए जाते हैं।

संप्रेषण की प्रकृति | व्यावसायिक संप्रेषण की प्रकृति

1. संप्रेषण एक जन्मजात गुण हैं— संप्रेषण एक जन्मजात गुण है, स्वाभाविक प्रकृति गुण होता है संप्रेषण जन्म, मृत्यु सांस लेना आदि एक कला है, अथवा स्वयं जीवित है| केवल शाब्दिक संप्रेषण ही मनुष्य को संसार के अन्य प्राणियों से भिन्न तथा महत्वपूर्ण अथवा सर्वोपरि बनाता है, संप्रेषण एक जन्मजात गुण है लेकिन बिना वैज्ञानिक आधार के पूर्ण नहीं हो सकता है, प्रभावशाली संप्रेषण के लिए बोलने सुनने लिखने पढ़ने की प्रवीणता का होना अनिवार्य है।

2. संप्रेषण एक सामाजिक प्रक्रिया है— संप्रेषण केवल व्यवसायिक संस्थाओं में ही नहीं होता बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति द्वारा यह प्रक्रिया अपनाई जाती है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति की अनिवार्य आवश्यकता एवं इच्छा की पूर्ति के लिए संप्रेषण एक यंत्र के रूप में कार्य करता है।

3. संप्रेषण एक मानवीय प्रक्रिया है— वास्तव में संप्रेषण एक मानवीय प्रक्रिया है क्योंकि संप्रेषण के दोनों पक्ष प्रेषक एवं प्राप्तकर्ता सामाजिक प्रणाली होते हैं और संप्रेषण की संपूर्ण प्रक्रिया व्यक्तियों के समूह के माध्यम संपन्न होती है इसलिए संप्रेषण को एक मान्य प्रक्रिया भी कहा जाता है।

4. संप्रेषण एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है— संप्रेषण के सिद्धांत सर्वभौमिक प्रकृति के होते हैं, संप्रेषण की सर्वभौमिकता या सर्वव्यापकता का सिद्धांत, संप्रेषण की एक विशेषता है।

5. संप्रेषण विज्ञान एवं कला दोनों है—

  1. संप्रेषण विज्ञान है, किसी विषय विशेष से संबंधित व्यवस्थित एवं क्रमबद ज्ञान को सिद्धांतों पर आधारित हो उसे विज्ञान कहते हैं, क्योंकि संप्रेषण के कारण व प्रभाव के मध्य संबंध स्थापित किया जा सकता है ।
  2. संप्रेषण कला है, कला एक ऐसा कौशल है, जिसे सीखने से अच्छा अभ्यास करने पर अच्छे ढंग से किया जा सकता है। दूसरे शब्दों मे कहें तो 'कला किसी भी कार्य को अच्छे ढंग से करने की विधि है।' 
कला एवं विज्ञान से ही सम्प्रेषण को अच्छे ढंग से बनाया जा सकता है।

6. संप्रेषण अभिप्रेरण का आधार है— वर्तमान समय में संप्रेषण या संदेशवाहन को अभिप्रेरण का आधार कहा  जाता है, क्योंकि इससे क्रिया के द्वारा संस्था के कर्मचारियों को श्रेष्ठतम कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

व्यवसायिक संचार के उद्देश्य

1. उचित संदेश देना— व्यवसायिक संप्रेषण का मुख्य उद्देश्य उचित सूचना, उचित समय में, उचित व्यक्तियों को संप्रेषित करना है। जो सूचनाएं देने वाला है, और जिसे देने वाला है उस व्यक्ति तक सही अर्थों में सूचना पहुचे यही इसका मुख्य उद्देश्य है।

2. कार्यवाही की जानकारी प्रदान करना— संप्रेषण का एक उद्देश्य यह भी है कि निश्चित किए गए लक्ष्यों के बारे में क्या कार्यवाही हो रहा है, इसका पता लगा सके इसी कारण प्रबंधक समय-समय पर अनेक प्रकार के विवरण मंगवाते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक स्तर पर कार्यवाही हो रही है।

3. क्रियाओं में समन्वय स्थापित करना— संप्रेषण व्यवसाय को संचालित व नियंत्रित करने वाले के लिए व्यवसाय की क्रियाओं में समन्वय स्थापित करने का एक यंत्र है, समन्वय के लिए संप्रेषण एक पूर्ण आवश्यक शर्त है।

4. प्रबंध कुशलता में वृद्धि करना— संप्रेषण के माध्यम से एक मानव व्यवसाय को अच्छी तरह समझा जा सकता है। संप्रेषण द्वारा एक संगठन में  घटित होने वाले घटनाओं, विचारों, शिकायतों, सुझावों आदि को निम्न स्तरीय प्रबंध से अपने अधिकारों को अवगत कराना संभव होता है, जिससे एक संगठन से होने वाली प्रबंधक के लिए मार्गदर्शक होती है, जो कि सीखने की प्रतिक्रिया के अंतर्गत आते हैं।

5. नीतियों को लागू करना— संप्रेषण एक संगठन द्वारा तैयार की गई नीतियों व कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने में मार्गदर्शन प्रदान करता है, यदि प्रभाव संप्रेषण संगठन में मौजूद है तो संगठन की नीतियों व कार्यक्रमों को लागू करने में उनकी सफलता में कोई अवरोध नहीं आता।

6. कर्मचारियों को सूचनाएं देना— संप्रेषण, व्यवसाय में अच्छा वातावरण उत्पन्न करता है। संप्रेषण प्रबंधकों एवं कर्मचारियों के मध्य अच्छे संबंध को विकसित करने में सहायक होता है। एक पत्र के विचारों, भावनों एवं दृष्टिकोण को दूसरे पक्ष तक पहुंचाने का कार्य संप्रेषण ही करता है जिससे कर्मचारियों में कोई गलत भावना ना पनपे।

7. वस्तुओं एवं सेवाओं की बिक्री में सहायक करना— आज व्यवसायिक संप्रेषण के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की अधिकतम बिक्री के लक्ष्य को प्राप्त करने, उचित लाभ प्राप्त करने के प्रयास किए जाते हैं। चाहे विज्ञापन हो, पत्र व्यवहार हो व्यक्तिगत तौर पर माल खरीदने के लिए लोगों को प्रेरित कराना व्यवसायिक संगठन ही है।

8. पूर्ति करता के साथ संबंध— यदि व्यवसाय में माल का निर्माण किया जाता है, अथवा बने हुए माल की बिक्री की जाती है, तो प्रत्येक देश में कच्चे या बने माल की आवश्यकता होती है। माल किस किस्म का कब एवं कितनी मात्रा में आवश्यकता होगी, इसकी सूचना पूर्ति करता तक पहुंचने का कार्य व्यवसायिक संप्रेषण का ही है।

9. भ्रमों को घटाना— सूचना विभिन्न स्तरों में से होकर गुजरती है और सभी व्यक्ति अपनी रूचि के अनुसार उसका विश्लेषण करते हैं। जिससे भ्रम या गलतफहमी उत्पन्न होती है। भ्रम संप्रेषण प्रकृति का सबसे बड़ा शत्रु है, संप्रेषण का प्रभावी बनाने के लिए भ्रमों को घटाना अनिवार्य होता है।

10. बाहरी पक्षों से संबंध— संप्रेषण केवल संस्था के अंतरिक प्रबंध के लिए आवश्यक नहीं, बल्कि ग्राम वासियों से भी संबंध स्थापित करने के लिए आवश्यक पड़ती है। पक्षकारों से संबंध स्थापित करने से संस्था की ख्याति बढ़ती है तथा अन्य लोगों तक प्रति सकारात्मक नजरिया बनता है।


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