सन 1894-95 के चीन-जापान युद्ध में चीन की पराजय हुई, इस पराजय के बाद उसे एक बहुत बड़ी धनराशि हर्जाने के रूप में जापान को देनी थी, लेकिन चीन की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह $15 करोड़ डॉलर की रकम जापान को दे सकता था। अतः फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी ने मिलकर हर्जाना चुकाने के लिए चीन को धन उपलब्ध कराया इसके बदले में इन देशों ने चीन को अपने अपने प्रभाव क्षेत्र में बांट दिया इस विभाजन को ही चीनी खरबूजे का काटा जाना कहा जाता है।
खुले दरवाजे की नीति से आप क्या समझते हैं
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ब्रिटेन कि मुझे भी दो की नीति क्या थी, ब्रिटेन ने इस नीति का संपादन क्यों किया।
चीन में फ्रांस, जर्मनी, रूस एवं जापान का प्रभाव बढ़ता जा रहा था, अमेरिका भी चीन से व्यापार करने का इच्छुक था, वह यह नहीं चाहता था, कि यूरोपीय राष्ट्र का प्रभाव चीन के सभी क्षेत्रों में हो जाए इसलिए अमेरिका ने खुले दरवाजे अथवा मुझे भी दो नीति का सुझाव दिया इससे अमेरिका चाहता था कि सभी साम्राज्यवादी देशों को चीन में एक समान व्यापार करने की छूट प्राप्त हो ब्रिटेन ने इसका समर्थन इसलिए किया क्योंकि उसे यह डर था कि जापान और रूस चीन के पड़ोसी देश हैं, अतः यह चीन को पूरा ना हड़प ले अतः ब्रिटेन का यह डर अब समाप्त हो गया।
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