धर्म का अर्थ परिभाषा एवं विशेषताएं

धर्म का अर्थ (meaning of religion)

धर्म का तात्पर्य मानव समाज से परे अलौकिक शक्ति पर विश्वास से है, जिसमें पवित्रता, भक्ति, श्रद्धा, भय आदि तत्व सम्मिलित होते हैं। जिन्हें हम साधारण शब्दों में धर्म कहते हैं।

धर्म की परिभाषा (definition of religion)

डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार- “धर्म की अवधारणा के अंतर्गत हिंदू उन स्वरूपों और प्रतिक्रियाओं को कहते हैं जो मानव जीवन का निर्माण करती है और उसको धारण करती है।”

दुर्खीम के अनुसार- “धर्म पवित्र वस्तुओं से संबंधित आचरणों की समग्रता है जो इन पर विश्वास करने वालों को एक नैतिक समुदायों के रूप में संयुक्त करती है।”

टेलर के शब्दों मे- “टेलर के अनुसार धर्म का अर्थ किसी अलौकिक शक्ति में विश्वास करने से है।”

फ्रेजर के अनुसार- “धर्म से इनका तात्पर्य है कि मानव से श्रेष्ठ उन शक्तियों की आराधना करना है जिनके बारे में व्यक्तियों का विश्वास हो की प्रकृति और मानव जीवन को नियंत्रित करती है और उनको निर्देशित देती है।”

पाल टिलिक के अनुसार- “धर्म वह है जो अंदर ही अंदर हम से संबंधित है।”

धर्म की विशेषताएं (Features of Religion)

  1. धर्म का संबंध प्राकृतिक शक्तियों में होता है।
  2. इन प्राकृतिक शक्तियों का चित्रण दिव्य होता है ही आता किस प्रकार की शक्ति अलौकिक होती है।
  3. धर्म में पवित्रता का तत्व पाया जाता है।
  4. प्रत्येक धर्म की एक सैद्धांतिक व्यवस्था होती है।
  5. धर्म के माध्यम से मनुष्य तथा दैवी शक्तियों के बीच संबंध स्थापित किए जाते हैं
  6. प्रत्येक धर्म में धार्मिक व्यवहार करने के लिए कुछ निश्चित प्रतिमान ईश्वरी इच्छाओं को प्रकट करता है।
  7. धर्म में सफलता और असफलता दोनों ही तत्व पाए जाते हैं। यह तत्वों के आधार पर व्यक्ति को धार्मिक पुरस्कार व धार्मिक दंड मिलता है।
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Comments


  1. किसी असत्य को, स्वेक्षा से, बिना दबाव के, सत्य का लिबास उढ़ा दिया जाए - उसे विश्वास कहते हैं
    यहाँ मैंने आपका पोस्ट पढ़ा, और एक कहानी याद आ गई
    कि एक गाँव था अंधों का - उसमें एक "हाथी वाला बाबा" आया, सभी अंधों ने,उस हाथी के शरीर के अलग अलग अंगों को छूकर, हाथी के होने की अनुभूति की,
    और शाम को सभी अंधे एकत्रित होकर, अपने द्वारा छुए अंगों की के मुताबिक़ हाथी के आकार की व्याख्या करने लगे
    जिसके हाथ मैं हाथी का पैर आया, वो गोल खम्भे के मुताबिक बताने लगा
    जिसके हाथ मैं, हाथी का कान आया, वो सूप की माफिक
    अर्थात पूँछ / पेट / पीठ अलग अलग तरीके से
    इसी तरह से, इस लेख को पढ़ने वाले दो समूह हैं, एक आस्तिक और एक नास्तिक
    दरअसल जो आस्तिक होने का दिखावा कर रहे हैं, वो भी नास्तिक ही हैं, क्योंकि उन्हें खुद पर विश्वास नहीं, या ये हमारे अंग्रेजी मीडियम वाले तार्किक युवा भी हो सकते हैं,
    भाइयो यदि धर्म के बारे मैं जानना चाहते हो, वो भी भी तर्क और विज्ञान के साथ, तो अपने "सर्च इंजन" मैं टाइप करो
    yada yada hi dharmashya dharmguru
    ध्यान रहे dharmguru.com हमारा डोमेन है, इसे पढ़ने के बाद, आपके बहुत सारे रहस्य खुद ब खुद खुल जाएंगे
    अब हम आपको बताते हैं, धर्म का अर्थ कोई दिव्य या चमत्कार का प्रतीक नहीं, बल्कि शरीर के आवेशों को,, नियंत्रित करने की, एक सहज प्रक्रिया है, वैज्ञानिक प्रणाली से देखें, तो आप जानेंगे कि, हमारे शरीर मैं जितनी भी, बीमारियां होती हैं, वो कई प्रकार के आवेशों के कारण होती हैं, डॉक्टर हमें जो दवाइयां देते हैं, वो दवाई शरीर के उस अंग को सही करती हैं, जो आवेश के कारण, खराब हो गया, परन्तु वो वो दवाई उस बीमारी को सही नहीं करती
    जैसे तनाव से, हमारा रक्तचाप बढ़ जाता है, दवाई रक्तचाप की है पर तनाव की नहीं, तो धर्म दरअसल उन बीमारियों की जड़ को ख़त्म करता है, अर्थात शरीर के आवेशों को ख़त्म करता है
    वो कैसे ? - जानने के लिए, हमारी वेबसाइट dharmguru डॉट कॉम पर विजिट करें

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  2. Replies
    1. Thanks for sharing your experience.❤️❤️❤️

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  3. Anonymous08 May, 2022

    I read your article about Dharma. There are certain inaccuracies, For instance, Dharma andReligion are quite different. Dharma has been used to denote several different things. For instance, Air flows. So to flow is the Dharma of air. There are other meanings also, none of which bases itself on religious practices. It has been said by Swami Vivekanand, "Every popular religion has three things in common: A book, a prophet and fanaticism. Vedant (Dharma) is characterized by neither of these." Religion is based on faith. Dharma does not require faith. Dharma is basicallythe science and art of righteous living. I findthe Definition of Dharma by Madhavacharyathe most scientific. His definition translates as "Dharma is that which holds together (thesociety) for the purpose of development of two kinds: material development and adhyatmic development. Anything that satisfies this condition is Dharma and which does not satisfy itis Adharma. Incidentally, ALL religions differentiate between their followers and others, and somehow try to provethat theirs is THE best. The followers are seroius about this differentiation to the extent that they find nothing wrong in conversion by hook or by crook. Hinduism whichis Dharma and not religion, has suffered from this insistence of religious fanatics in the worst ways possible. Read the history of Goa inquisition and numerousatrocities by Muslim Kings and see how religions have been continually attempting to Kill Dharma in order to add more numbersto their faith. The concept of Gazwa-e-Hind is part of the conspiracy inIslamto destroy Dharma.
    Please do not confuse between these two concepts.

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