साक्षात्कार का अर्थ एवं परिभाषा, प्रकार

साक्षात्कार का अर्थ क्या है

साक्षात्कार एक व्यवस्थित विधि है, जिसमें इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति और इंटरव्यू देने वाले के साथ स्वयं मिलकर बातचीत करके एवं उत्तर प्राप्त कर किसी विषय के बारे में वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। वास्तव में साक्षात्कार में दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी विशिष्ट व निश्चित उद्देश्य को सामने रखकर आमने-सामने की परिस्थिति में बातचीत करते हैं उसे साक्षात्कार कहते हैं।

साक्षात्कार की परिभाषा

गुडे एवं हट के अनुसार— “साक्षात्कार मूल रूप से सामाजिक अंत: क्रिया की एक प्रक्रिया है।”

मनिंद्र नाथ बसु के अनुसार— “साक्षात्कार की कुछ बातों को व्यक्तियों के आमने-सामने के मिलन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”

डॉ. पी. वी. यंग के अनुसार— “साक्षात्कार को एक व्यवस्थित पद्धति के रूप में माना जा सकता है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आंतरिक जीवन में अधिक या कम कल्पनात्मक रूप में प्रवेश करता है जो कि उसके लिए तुलनात्मक रूप से अपरिचित है।”


साक्षात्कार के प्रकार

साक्षात्कार का वर्गीकरण हम इस प्रकार से कर सकते हैं_ A,B,C,D.

A. कार्यों के आधार पर वर्गीकरण

कार्यों के आधार पर साक्षात्कार तीन प्रकार की हो सकते हैं_

1. विश्लेषण साक्षात्कार- ऐसे साक्षात्कार में किसी गंभीर सामाजिक समस्या अथवा घटना के कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है।

2. उपचारात्मक साक्षात्कार- जब किसी साक्षात्कार का उद्देश्य किसी सामाजिक समस्या के समाधान हेतु संबंधित सुझाव को जानना होता है तो उसे उपचारात्मक साक्षात्कार कहा जाता है। उदाहरण के लिए शिक्षकों, जेल अधिकारियों, न्यायाधीशों आदि से समय समय पर किसी सामाजिक समस्या के समाधान के लिए आवश्यक सुझाव की जानकारी के लिए साक्षात्कार किए जाते हैं।

3. अनुसंधान संबंधी साक्षात्कार- इस साक्षात्कार का मुख्य उद्देश्य सामाजिक घटनाओं से संबंधित कार्यों को जानकर आने वाली अनुसंधान के लिए उपयुक्त कल्पनाओं का निर्माण करना होता है साक्षात्कार उपचारात्मक साक्षात्कार से अधिक विस्तृत होते हैं।


B. औपचारिकता पर आधारित वर्गीकरण

औपचारिकता के आधार पर साक्षात्कार दो प्रकार के हो सकते हैं_

  1. 1. नियंत्रित साक्षात्कार- इस प्रकार के साक्षात्कार में पहले से बताई गई अनुसूची के आधार पर संबंधित विषय के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसे साक्षात्कार में इंटरव्यू लेने वाले के ऊपर एक प्रकार का नियंत्रण बना रहता है। क्योंकि उसे अनुसूची में दिए गए प्रश्नों के अतिरिक्त अन्य प्रश्नों को पूछने की स्वतंत्रता नहीं होती है। इसलिए इसको नियंत्रित या नियोजित साक्षात्कार कहा जाता है।
  2. 2. अनियंत्रित साक्षात्कार- इस प्रकार के साक्षात्कार में किसी विशेष अनुसूची का सहारा नहीं लिया जाता लेकिन इंटरव्यू लेने वाले को विषय से संबंधित प्रश्नों को अपने ढंग से पूछने की स्वतंत्रता होती है। सूचना दाता अपने विचारों को कहानी या वर्णन के रूप में प्रकट करता है। इस कहानी का वर्णन के आधार पर ही इंटरव्यू लेने वाले निष्कर्ष निकालते हैं। मनोवैज्ञानिक अध्ययन व पूर्वगामी अध्ययनों में ऐसे साक्षात्कार काफी उपयोगी रहते हैं।


C. सूचना दाताओं की संख्या पर आधारित वर्गीकरण

सूचना दाताओं की संख्या के आधार पर साक्षात्कार को दो भागों में बांट सकते हैं_

1. व्यक्तिगत साक्षात्कार

इस प्रकार के साक्षात्कार में एक समय में केवल एक ही सूचनादाता से साक्षात्कार किया जाता है। इंटरव्यू लेने वाले और इंटरव्यू देने वाले दोनों ही प्रश्न का उत्तर देने में लगे रहते हैं।

व्यक्तिगत साक्षात्कार के लाभ

  1.  यथार्थ सूचनाएं- इस साक्षात्कार में साक्षात्कार का सूचना दाता से व्यक्तिगत व प्राथमिक संबंध होने के कारण यथार्थ सूचना प्राप्त हो जाती है। आमने सामने की परिस्थिति में उत्तरों की सत्यता के बारे में पता लग जाता है।
  2. सभी प्रश्नों का उत्तर संभव- अनुसूची में दिए गए सभी प्रश्नों का उत्तर सूचना दाता से प्राप्त हो जाता है, क्योंकि साक्षात्कार करता प्रश्नों को सरल व सूचना दाता के स्तर के अनुकूल भाषा में स्पष्ट कर देता है।
  3. भावुक प्रश्नों का उत्तर संभव- व्यक्तिगत संपर्क की स्थिति में सूचना दाता से भावुक प्रश्नों का उत्तर भी प्राप्त करना संभव हो जाता है।

व्यक्तिगत साक्षात्कार की सीमाएं

  1. अलग सूचना एकत्र करने के कारण समय बहुत लगता है।
  2. प्रश्नों को समझने में कभी-कभी व्यक्तिगत पक्षपात आने की भी संभावना रहती है।
  3. 3. इस साक्षात्कार में व्यय भी अधिक होता है।

2. सामूहिक साक्षात्कार

इस साक्षात्कार में इंटरव्यू लेने वाले एक समय में एक ही स्थान पर एक से अधिक व्यक्तियों से संपर्क करता है और अनुसूची के अनुसार उन सभी व्यक्तियों से समस्या से संबंधित सूचनाएं संकलित कर लेता है। इस प्रयोग में समूह के सभी व्यक्तियों से बारी-बारी प्रश्न पूछे जाते हैं।

सामूहिक साक्षात्कार के लाभ

  1. बड़ी संख्या में सामग्री संकलन का अच्छा तरीका है।
  2. व्यक्तिगत पक्षपात आने की संभावना कम रहती है।
  3. समय व धन कम लगता है।
  4. कम कुशलता से भी काम चल जाता है।

समूह साक्षात्कार की सीमाएं

  1. एक साथ प्रश्न पूछने के कारण सूचनादाता प्रश्नों को स्पष्ट रूप से समझ नहीं पाते हैं।
  2. व्यक्तिगत संपर्क का अभाव रहता है।


D. अध्ययन पद्धति पर आधारित वर्गीकरण

अध्ययन पद्धति के आधार पर साक्षात्कार को दो भागों में बांटा जा सकता है_

1. गैर निर्देशित साक्षात्कार

इस साक्षात्कार को अनियंत्रित साक्षात्कार भी कहा जा सकता है। इस साक्षात्कार में साक्षात्कार करता सूचना दाता के समक्ष किसी समस्या को रखता है और धैर्य पूर्वक उत्तरों को सुनता रहता है। सूचना दाता उत्तर देने में पूर्ण स्वतंत्र होता है और साक्षात्कार सूचनादाता को बीच-बीच में टोकता भी नहीं है। साक्षात्कार किसी पूर्व निश्चित अनुसूची के आधार पर नहीं किया जाता है।

गैर निर्देशित साक्षात्कार की विशेषताएं_

  1. सूचना दाता पूर्ण स्वतंत्र रहता है, ऐसी स्थिति में वह भावनाओं में बहकर विश्वास नहीं है बात भी कह देता है।
  2. अनुसंधानकर्ता या साक्षात्कार करता को परिस्थिति या अवलोकन करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
  3. सूचना दाता द्वारा महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्वयं विचार प्रकट कर दिए जाते हैं।
  4. कठिन व उलझी हुई समस्याओं का अध्ययन संभव होता है।
  5. अगले अध्ययनों के लिए पर्याप्त जानकारी व अनुभव प्राप्त होते रहते हैं।

2. केंद्रित साक्षात्कार

इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग राॅबर्ट के.मार्टन द्वारा किया गया था। इसमें साक्षात्कार को किसी एक संबंधित विषय पर केंद्रित होना पड़ता है और साक्षात्कार के लिए साक्षात्कार निर्देशिका का प्रयोग भी किया जाता है। वास्तव में इस साक्षात्कार में किसी विशेष घटना या अवस्था में सूचना दाताओं की भावनाओं, विचारों व धारणाओं का अध्ययन किया जाता है।

केंद्रीय साक्षात्कार की विशेषताएं_

  1. यह परिस्थिति विशेष में सूचना दाताओं की धार ना हुआ भावनाओं का अध्ययन करता है।
  2. साक्षात्कार निर्देशिका के आधार पर संपन्न होने के कारण सामग्री का संकलन व्यवस्थित रूप से होता रहता है।
  3. सामाजिक व मनोवैज्ञानिक प्रमाणों के अध्ययन में विशेष लाभदायक है।

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