साक्षात्कार के उद्देश्य | साक्षात्कार के उद्देश्य लिखिए
सामाजिक अनुसंधान और सामाजिक सर्वेक्षण में साक्षात्कार प्राथमिक तथ्यों को संकलित करने का एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरण है जिसके द्वारा अनुसंधानकर्ता उत्तर दाताओं की भावनाओं, विचारों, विश्वासों तथा दृष्टिकोण के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में सफल होता है।
1. प्रकल्पनाओं का प्रमुख स्रोत– साक्षात्कार विधि के द्वारा हमें प्राकल्पनाओं के स्रोत ज्ञात होते हैं, यह बात और है कि उनके प्रकार सीमित होते हैं। साक्षात्कार के बीच उत्तर दाता अपनी प्रवृत्तियों की व्याख्या साक्षात्कार करता के पूर्व अनुमान के विचार के विरुद्ध देता है। इन परिस्थितियों के उपस्थित होने पर शोधकर्ता अपनी प्रकल्पना का परीक्षण भी कर लेता है और नवीन उपकरणों के स्रोतों को भी खोज लेता है। इस प्रकार साक्षात्कार का एक मुख्य उद्देश्य किसी भी अनुसंधान से संबंधित उन समस्त तथ्यों को प्राप्त करना होता है जिसके आधार पर नवीन प्रकरणों का निर्माण करना संभव होता है।
2. प्रत्यक्ष संपर्क द्वारा सूचनाएं प्राप्त करना– साक्षात्कार का दूसरा प्रमुख उद्देश्य अनुसंधानकर्ता उत्तर दाता से प्रत्यक्ष संपर्क बनाकर आमने-सामने प्रत्यक्ष वार्तालाप द्वारा यथार्थ सूचनाएं प्राप्त करता है। साक्षात्कार में शोधकर्ता अपनी योग्यता अनुसार प्रत्यक्ष वार्तालाप द्वारा प्रय: विषय से संबंधित समस्त प्रकार की सूचनाएं संकलित कर लेता है।
3. घटनाओं का अवलोकन– साक्षात्कार की प्रकृति अवलोकन से अलग होती है और साक्षात्कार में अवलोकन का अच्छा अवसर प्राप्त होता है। साक्षात्कार विधि में जब कोई अध्ययन करता उत्तर दाता के पास साक्षात्कार करने जाता है तो वह आमने सामने हो कर प्रत्यक्ष वार्तालाप करता है। साथ ही उत्तर दाता के पारिवारिक पर्यावरण पास पड़ोस के व्यवहारों तथा मनोवृति आदि का भी सफलता पूर्वक अवलोकन करता है। इसी कारण साक्षात्कार विधि को दोहरी विधि कहा जाता है जिसके अंतर्गत उत्तर दाता से प्राप्त उत्तरों के साथ-साथ अध्ययन करता घटनाओं के अवलोकन से भी अनेक तथ्यों को ज्ञात कर लेता है। इसी आधार पर पॉल ने साक्षात्कार और अवलोकन को एक-दूसरे की पूरक विधि कहा है।
4. गुणात्मक तथ्यों की जानकारी प्राप्त करना- साक्षात्कार के द्वारा अध्ययन करता एक व्यक्तिगत एवं आंतरिक तथ्यों का अध्ययन कर सकने में सफल होता है, क्योंकि साक्षात्कार के द्वारा शोधकर्ता अध्ययन समूह की भावनाओं, विश्वासों, मनोवृति, प्रवृत्ति तथा उनके व्यक्तिगत और सामाजिक मूल्यों, व्यवहार, प्रतिमानो, आदर्श नियमों आदि से सम्मिलित गुणात्मक पक्षों की जानकारी प्राप्त करता है। इस प्रकार के गुणात्मक तथ्यों और व्यक्तिगत संबंधों के अवलोकन और प्रश्नावली द्वारा यथार्थ जानकारी प्राप्त करना अत्यंत कठिन होता है, इसके लिए साक्षात्कार विधि ही सर्वोत्तम होती है।
5. प्राथमिक तथ्यों का संकलन- शोधकर्ता के लिए साक्षात्कार का एक महत्वपूर्ण प्रयोजन होता है, अध्ययन इकाइयों से प्रत्यक्ष संपर्क साध कर साक्षात्कार के द्वारा प्राथमिक तथ्यों की यथार्थ जानकारी प्राप्त करना। इसके लिए साक्षात्कार के पूर्व साक्षात्कार अनुसूची का निर्माण किया जाता है। जिसमें विभिन्न पक्षों से संबंधित जैसे भाषा, शैक्षणिक योग्यता, परिवार के सदस्य आदि से संबंधित प्रश्नों का समावेश रहता है। शोधकर्ता इसी अनुसूची के आधार पर उत्तर दाता से प्रश्न पूछ पूछ कर प्राथमिक तथ्यों का संकलन कर्ता है। अध्ययन इकाई के व्यक्तिगत जीवन और गोपनीय पक्ष से संबंधित तथ्यों को भी साक्षात्कार के माध्यम से ही जाना जा सकता है।
6. निदानों की खोज करना- साक्षात्कार का उद्देश्य कभी-कभी किसी समस्या के निदानों की खोज करना भी होता है। किसी विशेष समस्या के मूल कारणों को ज्ञात करने तथा उसके निवारण के उपाय के संबंध में जानकारी सही रूप में साक्षात्कार से प्राप्त होती है। क्योंकि साक्षात्कार के बीच जहां उत्तर दाता समस्याओं के कारणों के संबंध में जानकारी देता है वही उसके निदान भी प्रस्तुत करता है।
7. तथ्यों का सत्यापन करना- साक्षात्कार का एक अन्य उद्देश्य तथ्यों का सत्यापन करना भी होता है, क्योंकि साक्षात्कार विधि द्वारा मात्र नवीन तथ्यों को ज्ञात नहीं किया जाता बल्कि पूर्व के निष्कर्षों, विचारों और प्रतिपादित सिद्धांतों का नवीन सामाजिक परिस्थितियों के संदर्भ में सत्यापन भी करना होता है, इसके लिए अध्ययन करता विषय के विशेषज्ञों से साक्षात्कार करके प्राप्त निष्कर्षों का सत्यापन करने का पूर्ण प्रयास करता है।
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