सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं | हड़प्पा सभ्यता की विशेषता

हेलो students आज हम इस लेख में सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं लिखिए इसके बारे में हिन्दी में पढ़ेंगे। इसमे हमने हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता के विषय में चर्चा की है।

सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं

    इस सभ्यता का विस्तार उत्तर में पंजाब के रोपड़ जिले से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरन से लेकर उत्तर पूर्वी में मेरठ तक फैला हुआ था। इस सभ्यता का क्षेत्रफल त्रिभुजाकार था। अब तक इस सभ्यता के 250 स्थानों का पता चला है। इनमें नगरों की संख्या 6 है। इस सभ्यता की विशेषता इस प्रकार से निकाली जा सकती है।

1. नगर एवं भवन निर्माण- यह नगरीय सभ्यता थी, नगर योजना और भवन निर्माण कला में यह सभ्यता प्रसिद्ध थी। नगरों का निर्माण नदियों के तट पर किया गया था। सड़कें नियमित रूप से एक दूसरे से जुड़ी हुई थी। नगरों में सड़कों का जाल बिछा हुआ मिला है। सभी सड़कें 10 मीटर से अधिक चौड़ी होती थी और पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण को सरल रेखा में एक दूसरे को समकोण पर काटती हुई जाती थी। यह छोटी-छोटी सड़कों व गलियों द्वारा मुहल्लों में बटे हुए होते थे। मुहल्ला लगभग 366 मीटर लंबा और 244 मीटर चौड़ा होता था। सड़कों के किनारे स्थान स्थान पर कूड़ेदान बने हुए थे। सड़क के दोनों किनारों पर नीचे गहरी नालिया बनी हुई थी। 

           खुदाई में प्राप्त स्नानागार सिंधु सभ्यता की मुख्य विशेषता में से एक है, मोहनजोदड़ो से विशाल सर्वजनिक स्नानागार प्राप्त हुआ है। और इसकी लंबाई 39 फीट और चौड़ाई 23 फीट तथा गहराई 8 फीट है। मोहनजोदड़ो में अन्न भंडार भी मिले हैं, जिसकी लंबाई 45.70 मीटर है, और 15.23 मीटर चौड़ा है। यहां से अन्य अन्न भंडार  भी मिले हैं, जो कि 15.23×6.09 मीटर आकार के हैं।

      मोहनजोदड़ो में बड़ी बड़ी सड़कों के किनारे से प्राप्त अवशेषों से ज्ञात होता है कि यहां सार्वजनिक भोजनालय भी रहे होंगे।

2. सामाजिक जीवन- लिखित साक्ष्य उपलब्ध ना होने के कारण इस सभ्यता के सामाजिक संगठन, परिवार प्रणाली, जाति प्रथा के संबंध में निश्चित रूप से कुछ कहना संभव नहीं है।

3. समाज की संरचना- सिंधु कालीन समाज विद्वान, योद्धा, व्यवसाय और श्रमजीवी इन चार वर्गों में बांटा हुआ था। विद्वानों में पुरोहित, वैद्य, ज्योतिषी, योद्धा और सैनिक व राजकीय अधिकारी व्यवसाय में व्यापारी लोग तथा श्रमजीवी वर्ग में मेहनत मजदूरी करने वाले लोग आते थे।

4. भोजन- भोजन शाकाहारी या मांसाहारी दोनों प्रकार के थे, भोजन में गेहूं, चावल, फल, सब्जियां, खजूर, तरबूज, नींबू, दूध, दही से निर्मित वस्तु मछली व भेड़ का मांस प्रचलन में था। खुदाई में मिठाई के सांचे प्राप्त हुए हैं, जिससे यह पता चलता है कि सिंधुवासी मिठाई व स्वादिष्ट भोजन में विशेष रुचि लेते थे।

5. वस्त्र- सिंधु सभ्यता की स्त्रियां कमर के ऊपर में कमी जैसा वस्त्र और कमीज के नीचे जांग तक लूंगी पहनती थी। पुरुष एक लंबा साल ऊपर औरतें थे। और सूती उन्नी और रेशमी वस्त्र पहनते थे। स्त्रियां सिर पर एक विशेष प्रकार का वस्त्र पहनती थी जो सिर के पीछे की ओर पंखे की तरह उठा रहता था। ऐसा लगता है कि स्त्रियां और पुरुष के वस्त्रों में कोई विशेष अंतर नहीं रहा होगा।

6. आभूषण- सिंधु सभ्यता के स्त्री-पुरुष भी आभूषणों का प्रयोग करते थे। हार, भुजबंद, कंगन, अंगूठी, कर्णफूल, छल्ले, करधनी, नथुनी, वाली, पायजेब आदि विभिन्न धातुओं से निर्मित आभूषणों का प्रयोग स्त्री व पुरुष किया करते थे। धनी लोगों के आभूषण स्वर्ण चांदी व कीमती पत्थर, हाथीदांत द्वारा तथा गरीबों के आभूषण तांबे, सीप व पक्की ईंटों के बने होते थे।

7. सौंदर्य प्रसाधन- सिंधु सभ्यता के लोग आधुनिक स्त्री पुरुष की तरह सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करते थे। स्त्रियां सिर पर स्वर्ण चांदी से बने आभूषण धारण करती थीं। पुरुष दाढ़ी मूछ रखते थे। स्त्रियां लाली लेपन, काजल सूरमा व सिंदूर आदी सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करती थीं।

8. आमोद-प्रमोद- सिंधु वासियों को नाचने गाने व सीकार का बहुत शौक था। घर में खेले जाने वाले खेलों को बहुत पसंद करते थे। इसके अलावा जुआ खेलना, पाशा, पशु पक्षियों को लड़ाना, इनके मनोरंजन के प्रमुख साधन थे। खिलौने बच्चों के मनोरंजन के साधन थे। 

9. औषधि - सिंधु सभ्यता के लोग औषधि से भलीभांति परिचित थे। हिरण और गैंडे के सींग से भी औषधि बनाई जाती थी। इसके अलावा मूंगा व नीम की पत्ती और समुद्रफेन का प्रयोग भी औषधि के रूप में किया जाता था।

10. आने जाने के साधन- सिंधु सभ्यता के निवासी बैलगाड़ी का उपयोग आने जाने के लिए करते थे। खुदाई में प्राप्त एक सिक्का या मुद्रा मिली है जिसमें एक व्यक्ति नाव पर बैठा है उसका चित्र  दर्शाया गया है। यह अनुमान लगाया जाता है, कि सिंधु निवासियों को नाव बनाना भी आता होगा।

11. मृतक संस्कार - शव को जमीन में दफना दिया जाता था। कुछ लोग शव को जलाकर उसकी राख को किसी पात्र में रखकर जमीन में गाढ़ देते थे।

12. धार्मिक जीवन- सिंधु निवासियों के धार्मिक के विषय में हमारी जानकारी पूर्णता पुरातात्विक अवशेषों पर ही आधारित है। खुदाई में समाधि के अवशेष प्राप्त नहीं हुए हैं, लेकिन खुदाई में प्राप्त विभिन्न मूर्तियों ताबीज और मुहरों से सिंधु वासियों का धार्मिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है। उनको देखकर यह ज्ञात होता है कि सिंधु वासियों का धार्मिक जीवन बहुत उन्नत था।

सिंधु वासियों के धार्मिक जीवन का वर्णन इस प्रकार से किया जा सकता है—


     1. मातृदेवी की उपासना- सुमेर और मिस्र की तरह सिन्धुवासी मातृदेवी की नाना रूपों में उपासना करते थे। मातृ देवी की अनेक मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। मातृ देवी की कुछ मूर्तियों में उसे आभूषण, और कुछ में बिना के आभूषण भी दिखाया गया है। मातृदेवी को 'माता' 'अंबा' काली एवं कराली आदि नामों से जाना जाता था।

     2. शिव की उपासना- खुदाई से प्राप्त मोहरों पर 3 सिर एवं दो सिंह वाले देवता जो कि एक बाघ एवं हाथी और एक गेंडे से घिरा हुआ है, जिसके सिहासन के नीचे एक भैंस तथा पैरों के नीचे दो हिरण और यह इस बात के परिचायक है कि शिव की उपासना पशु पद्धति महादेव के रूप में की जाती थी।

     3. योनि की उपासना- सिंधु सभ्यता में लिंग एवं योनि की पूजा की जाती थी। हड़प्पा मोहनजोदड़ो लोथल आदि अनेक स्थलों की खुदाई में लिंग और योनि की आकृतियां प्राप्त हुई हैं। लिंग छोटे बड़े आकार के पत्थर चीनी मिट्टी के बने होते थे। लिंग और योनि का अत्यधिक मात्रा में पाया जाना इस बात का प्रमाण है कि सिन्धुवासी ईश्वर की सृजनात्मक शक्ति की उपासना करते थे।

     4. वृक्षों व पशुओं की पूजा- सिंधु निवासी वृक्षों और पशुओं की पूजा में भी विश्वास रखते थे। वृक्षों में पीपल, महुआ, तुलसी, पशुओं में कूबड़ वाला बैल व सांप की उपासना प्रचलन में थी। इसके अलावा सिंधु वासी जल, अग्नि, सूर्य आदि की पूजा करते थे। उनका भूत-प्रेत व जादू-टोने में भी विश्वास था।


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Comments

  1. Anonymous15 July, 2022

    So happy sir

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  2. Tomorrow is my exam .This information I very helpful

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    1. Ok! ham asha karte ki aap is pariksha me first 🥇 ayenge. Aur apna aur apne pure parivar aur apne gurujano ka naam unchaa karenge...
      Have a Good Day 💐
      & God bless you ✋

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    2. Sir mai English mai thoda kamjor hu to kya

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  3. This lines most helpful

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  4. Thank you

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  5. Tomorrow my exam sir your line is my very helpful 🤝

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    1. Thankyou ❤️ I hope you will score very good marks. ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे।

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