सामाजिक उद्विकास का अर्थ लिखिए | meaning of Evolution
सामाजिक उद्विकास की परिभाषा | उद्विकास परिभाषा
सामाजिक उद्विकास की विशेषताएं | उद्विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए
सामाजिक उद्विकास क्या है
हरबर्ट स्पेंसर द्वारा प्रतिपादित सामाजिक उद्विकास का सिद्धांत स्पेंसर की समाजशास्त्री देन में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत माना जाता है। इस सिद्धांत को स्पेंसर ने अपनी कृति (फर्स्ट प्रिंसिपल्स) में प्रस्तुत किया है। स्पेंसर ने अपने इस सिद्धांत का प्रतिपादन चार्ल्स डार्विन के द्वारा प्रतिपादित समाजशास्त्रीय और विकास के सिद्धांत के आधार पर किया है। डार्विन की कृति में जो विचार उद्विकास यह नियम पर डार्विन ने व्यक्त किया है उसका प्रभाव हरबर्ट स्पेंसर पर अत्यधिक पड़ा है। और इसी आधार पर स्पेंसर ने अपने सामाजिक उद्विकास के सिद्धांत को प्रस्तुत किया है।
सामाजिक उद्विकास का सिद्धांत
स्पेंसर का कहना है कि संपूर्ण भौतिक जगत के रचना में मात्र दो तत्वों का मिश्रण है शक्ति और पदार्थ यह दोनों अपने अस्तित्व के लिए एक दूसरे पर आश्रित होते हैं। स्पेनसर यह कहते हैं कि शक्ति कभी विनाश नहीं करता और शक्ति की यह विशेषता है कि वह सदैव गतिशील होती है। यह अनंत काल से विद्यमान है और इसके स्वरूप में परिवर्तन होता रहता है। पदार्थ के संबंध में स्पेंसर की मान्यता है कि पीटने, जलाने या काटने से नष्ट नहीं होता बल्कि इसका रूपांतर होता है। स्पेंसर का कहना है कि शक्ति और पदार्थ नष्ट नहीं होते, इसमें गति या परिवर्तन होता है और यह परिवर्तन भविष्य में भी होता रहेगा।
स्पेंसर ने यह भी स्पष्ट किया है कि इसमें परिवर्तन बिना उद्देश्य अनिश्चित रीति से कभी नहीं होते हैं। इसके बिना एक नियम कार्यरत होता है, यही है विकास का नियम। हरबर्ट स्पेंसर इसे और भी स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि किसी भी घटना के पीछे जो अंतिम चरण होता है वह निरंतर बना रहता है, कोई भी पदार्थ कभी नष्ट नहीं होता। उसमें जो शक्ति होती है वह पदार्थ के प्रत्येक ग्रुप के साथ बराबर बनी रहती है, नष्ट नहीं होती।
पदार्थ के इसी गुण के आधार पर स्पेंसर ने अपने उद्विकासिय नियम का प्रतिपादन किया है। इस कैंसर का कहना है कि विश्व में कोई भी वस्तु हो जैव हो अथवा अजैव हो प्रत्येक का उद्विकास होता है। वास्तव में स्पेन सरकार उद्विकास का सिद्धांत प्रतीक विज्ञानों की अवधारणाओं से आबाद है। इसी कारण से बार-बार पदार्थ और शक्ति की बात करते हैं, क्योंकि उद्विकास के सिद्धांत का विश्लेषण पूर्णतया विज्ञान परख है।
हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक उद्विकास के सिद्धांत को स्पष्ट रूप से इस प्रकार से समझाया है:-
- पुरातन युग में समाज अत्यधिक सरल था और इसकी विभिन्न इकाइयां आपस में इस प्रकार मिली-जुली थी कि उन्हें अलग नहीं किया जा सकता था। परिवार ही सभी प्रकार के आर्थिक धार्मिक सामाजिक और राजनीतिक कार्य करता था। सभी लोगों के कार्य एवं विचार समान थे। इस स्तर में जीवन संगठन और संस्कृति आदि सब स्पष्ट और अलग नहीं थी। यह स्थिति समाज की अनिश्चित और संबंध समानता की थी। लेकिन धीरे-धीरे अनुभव ज्ञान विज्ञान विचार आदि की उन्नति के परिणाम स्वरूप समाज आर्थिक धार्मिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विभिन्न अंग या इकाइयां स्पष्ट होने लगी। तथा उनका स्वरूप निश्चित हुआ जैसे परिवर्तन, राज्य, ग्राम, संघ, समिति, समूह आदि समाज में निश्चित संबंध असमानता की स्थिति आई।
- विकास की प्रक्रिया के मध्य समाज के विभिन्न अंग धीरे-धीरे स्पष्ट हो गए और प्रत्येक अंग एक विशेष कार्य करने लगे। अतः समाज में श्रम विभाजन और विशेषीकरण हुआ। समाज की प्रत्येक इकाई अपना अपना कार्य करने लगी। जैसे परिवार, पारिवारिक कार्य तथा राज्य प्रशासन संबंधी कार्य, स्कूल, कॉलेज शैक्षणिक कार्य करने लगे यह समस्त इकाइयों द्वारा अन्य इकाइयों के कार्य को नहीं करते हैं।
- समाज के विभिन्न अंगों के कार्य का निर्धारण होने से श्रम विभाजन और विशेषीकरण हो जाता है किंतु समस्त इकाइयां आपस में पूर्णता एक दूसरे से संबंध रहते हैं। इनके माध्य अंत: संबंध और अंतः निर्भरता रहती है, जैसे परिवार, राज्य से संबंधित होता है तथा राज्य परिवार से, इसी प्रकार व्यक्ति परिवार पर निर्भर होता है तथा परिवार व्यक्ति पर।
- सामाजिक उद्विकास की यह प्रक्रिया निरंतर कार्यरत रहती है और धीरे-धीरे एक संपूर्ण समाज की संरचना का निर्माण अनेक वर्षों में ही इसके फलस्वरूप होता है।
- सामाजिक उद्विकास की यह प्रक्रिया कुछ निश्चित चरणों के माध्यम से होती है। इन विभिन्न स्तरों के बीच इस प्रक्रिया के द्वारा समाज सरलता से जटिलता में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण स्वरूप मानव के सामाजिक जीवन के इतिहास को देखें तो स्पष्ट होता है कि पहले जीवन अत्यंत सादा और सरल था जो जंगली जीवन की अवस्था थी, लेकिन आज अत्यंत जटिल हो गया है।
सामाजिक उद्विकास की आलोचनाएं
स्पेंसर के उक्त सवैया वी सादृश्यता सिद्धांत की अनेक विद्वानों ने कटु आलोचना की है। कुछ प्रमुख आलोचनाएं इस प्रकार से हैं:-
प्रो. बारकर का कहना है कि:- "हरबर्ट इस उद्देश्य को लेकर चलते थे और इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने निबंध लिखा था कि समाज शरीर सिद्धांत दो अच्छी हैं और जब स्पेंसर अपने निबंध को समाप्त करता है तो यह सिद्धांत उसके पूर्व मत का समर्थन ना करके उसके विरोधी मत का समर्थन करने लगता है। इस प्रकार एक विकास मान सजीव संघटना जिसका नियंत्रण नहीं होना चाहिए आकाश मत ही एक नौकरशाही का समाजवादी राज्य के अंतर्गत केंद्रीय मस्तिष्क के नियंत्रण में आ जाता है।
अपने व्यक्तिवाद को न्यायोचित सिद्ध करने के लिए राज्य के स्वयं सिद्धांत से आरंभ कर स्पेंसर अपने निबंध को स्वयं एकता के सिद्धांत पर इस प्रकार समाप्त करता है। वह व्यक्तिवादी सिद्धांत का समर्थन ना करके समाज वादी सिद्धांत का समर्थन करता है।"
लियो टॉल्स्टोय स्पेंसर ने भी हरबर्ट स्पेंसर के सावयवी सादृश्यता के सिद्धांत की बड़ी कटु आलोचना की है। "उनका मानना है कि शरीर और समाज की तुलना में मात्र कुछ लक्षणों में समानता को स्पेंसर बता पाए हैं वह भी पूर्णतया सादृश्यता को स्पष्ट नहीं कर सके। स्पेंसर का सावयवी दृश्यता का सिद्धांत पूर्णतया उपयुक्त प्रतीत नहीं होता।"
प्रो. बारकर बड़े ही विनोदपूर्ण शब्दों में स्पेनसर के सावयवी सादृश्यता के सिद्धांत की आलोचना करते हुए कहते हैं कि- "हरबर्ट स्पेंसर के प्राणी विज्ञान तथा व्यक्तिवाद दो बेजोड़ घोड़ों के समान है जो गाड़ी को विरोधी दिशाओं में खींचते हैं।"
ये आपके dost बन सकतें हैं क्या:-
Ok
ReplyDeleteaapki soch se mai bhi prabhavit
ho gya hu .
mujhe aapka samajsatra ka Answer achha laga.
thanks.🙏
Dhanyawad ❤️❤️ aapka din Shubh ho..
DeleteThank you so much, it's very helpful
ReplyDeleteWelcome 💐💐
DeleteI liked your answer very much. Sociology subject is mine too.I am doing post graduate thank you very much after
ReplyDeleteThankyou ❤️ have a good day.
DeleteThankyou for this answer it's very helpful
ReplyDeletePlease sociology ke sare concept ko achhe se example ke sath samjhaiye...or is concept se mujhe achhe se samjh aaya ..thanks😊
ReplyDeleteAchha!! Thik hai,
DeleteWelcome 💐💐
Thanks for this🖤
ReplyDeleteWelcome ❤️❤️ have a Good Day 💐
DeleteThank you🙏
ReplyDeleteWelcome 💐💐
DeleteEasy language and content is good I understood while reading.
ReplyDeleteThanks a lot❤❤