फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख कारण क्या - क्या थे!
गूच के अनुसार, "फ्रांस की क्रांति यूरोप के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी किंतु वास्तव में फ्रांस की क्रांति केवल फ्रांस और यूरोप के इतिहास की ही नहीं वरन संपूर्ण मानव जाति के इतिहास में भी महत्वपूर्ण घटना थी इस क्रांति ने लोगों के समक्ष स्वतंत्रता, समानता तथा भ्रातृत्व के आदर्श विचार प्रस्तुत किए जो आज विश्व के कोने-कोने तक पहुंच चुके हैं फ्रांस की क्रांति केवल सैनिकों की ही नहीं अपितु विचारों की भी लड़ाई थी।"
क्रांति कभी अचानक नहीं होती और संयोग वस कभी भी नहीं। एक छोटी सी घटना सुरंग में चिंगारी का कार्य कर आग तो प्रज्वलित कर सकती है परंतु सुरंग का पहले से ही बारुद में भरा होना नितांत आवश्यक है। फ्रांस की क्रांति में भी ऐसा ही कुछ हुआ। क्रांति रूपी सुरंग तो दो शताब्दियों पूर्व से ही तैयार होना प्रारंभ हो गई थी 1789 ईस्वी में उसे केवल विस्फोट कर दिया गया। यद्यपि उस समय यूरोप के सभी देशों की स्थिति एक समान थी परंतु फ्रांस की स्थिति सर्वाधिक सोचनीय थी और यही कारण था कि सर्वप्रथम फ्रांस में ही क्रांति शुरू हुई। इस क्रांति ने फ्रांस की काया ही पलट दी। धनवान तथा निर्धनों का भेदभाव ही मिटा देने का प्रयत्न किया गया जमींदारों तथा पादरियों की सत्ता को समाप्त कर दिया गया।
फ्रांस की क्रांति के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए
(1) राजनीतिक कारण
( francisi kranti ke rajnitik karan )
अ) लुई 14 वें के उत्तराधिकारी - फ्रांस का राजा लुई 14वें एक निरंकुश शासक था, वह एक योग्य व्यक्ति था लेकिन उसके शासनकाल में फ्रांस की उन्नति चरम सीमा पर पहुंच गई थी, परंतु अंत में अनेक युद्ध के कारण तथा सप्त वर्षीय युद्ध के कारण आर्थिक स्थिति सोचनीय हो गई थी। उसने अपने पोते लुई 15वें से अपनी मृत्यु के समय यह शब्द कहे थे- "मेरे बच्चे अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण कराने का प्रयत्न करना जितना जल्दी हो सके लोगों को छुटकारा देने का यत्न करना और इस प्रकार यह कार्य पूरा करना जिससे दुर्भाग्यवश मैं पुरा न कर सका।"
ब) दोषमुक्त शासन व्यवस्था - फ्रांस की क्रांति का एक अन्य एवं प्रमुख कारण वहां की बुरी शासन व्यवस्था थी। राजा देश का प्रधान था और वास्तु अनुसार आचरण करता था। लुई 14वें का विचार था कि देश की सरोज सत्ता व्यक्तिगत रूप से उसी में है ; जहां देशभर से दरबार के पीछे और निरर्थक कार्यों में भाग लेने कुलीन लोग आते थे। कहा गया था कि दरबार देश का मकबरा है। एक्टन ने लुई 16वें के शासन को The Era of Repentant Monarcy कहा है।
करों को वसूल करने की प्रणाली भी अत्यधिक दोषपूर्ण थी। राजा स्वयं अपने अधिकारों द्वारा कर वसूल नहीं करवाता था अपितु यह अधिकार सबसे अधिक बोली देने वाले व्यक्ति को दिया जाता था, परिणाम स्वरूप जहां व्यक्ति राज्य को एक निश्चित रकम देते थे वहीं दूसरी ओर जनता से अधिक से अधिक धन वसूल करने का प्रयत्न करते थे। जहां एक ओर जनता का शोषण किया जाता था वही सभी ओर राज्य को कोई लाभ ना होता था। सुखी कुलीन वर्ग वा पादरी कर नहीं देते थे अंततः संपूर्ण भोज साधारण वर्ग पर ही पड़ता था। फ्रांस के संपूर्ण शासन व्यवस्था को ही सुधारना आवश्यक था।
फ्रांस की क्रांति का एक महत्वपूर्ण कारण सामाजिक असमानता थी। मेडलिन के अनुसार, "1789 ई. की क्रांति का विद्रोह तानाशाही से अधिक समानता के प्रति थी।" फ्रांस की क्रांति के समय फ्रांस में समाज में अत्यधिक असमानता व्याप्त थी। समाज दो वर्गों में विभाजित था, विशेषाधिकार वाले वर्ग में कुलीन लोग और पादरी थे। जहां एक ओर इन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे, वहीं दूसरी ओर वह करों आदि से विमुक्त थे, यह फ्रांस में प्रसिद्ध था। "सरदार लड़ते हैं, पादरी प्रार्थना करते हैं, जनता व्यय का भार उठाती है।"
अनुमान लगाया जाता है कि करों को देने के पश्चात फ्रांस के किसान के पास अपनी उपज का कुल 20% भाग शेष रह जाता था। फ्रांस के कुछ भागों में किसान इन करो को चुकाने के पश्चात किसी तरह का निरहुआ कर लेते थे परंतु शेष भाग में उनकी दशा अत्यंत शोचनीय थी। अच्छी से अच्छी फसल के उपरांत भी वे अपना निर्वाह करने में स्वयं को सामर्थ पाते थे। कहा जाता है कि फ्रांस में जनता का 9/10 भाग भूख से और 1/10 भाग अधिक खाने से मरा। '
यद्यपि रिशलू ने सत्र में शताब्दी में नोबल्स की राजनीतिक शक्तियां समाप्त कर दी थी किंतु इसे कुलीन वर्ग में साधारण और के लिए और भी घृणा उत्पन्न हो गई। मैरियट ने इस विषय में लिखा है, "1789 ईसवी की क्रांति के लिए रिशलू बहुत अधिक उत्तरदाई था।"
मध्यम वर्ग के लोग भी फ्रांस के समाज के साधारण वर्ग में शामिल थे। इस श्रेणी के अंतर्गत प्रोफेसर, वकील, साहूकार व व्यापारी, न्यायधीश, मजिस्ट्रेट आदि थे। यह धनी भी थे और योग्य भी तथा संसार के कई भागों में घूम चुके थे, अतः पुराने राज्य द्वारा दी गई नीची सामाजिक स्थिति को स्वीकार करने के लिए तैयार ना थे। इसी वर्ग के लोग ही फ्रांस की जनता के द्वारा पुराने राज्य के विरुद्ध किए गए विद्रोह में उसके नेता बने।
फ्रांस की अर्थव्यवस्था शोचनीय थी। कुलीन वर्ग के लोग पादरी राज्य के कोष में कुछ भी योगदान नहीं देते थे। अतः आश्चर्य नहीं कि करो का सारा बोझ साधारण जनता पर पड़ता था। यह अपने में ही असंतोष उत्पन्न करने का कारण था। राष्ट्रीय भी बहुत अधिक बढ़ गया था। सरकार की आय उसके द्वारा दी जाने वाली राष्ट्रीय ऋण के ब्याज की राशि से भी कम थी अतः सरकार के लिए बजट को संतुलित रखना असंभव ही था। एडम स्मिथ तथा आर्थर यंग ने फ्रांस को आर्थिक गलतियों का अजयबघर बताया, सरकार ने पेरिस की सांसद के विरुद्ध कार्यवाही की और उसको समाप्त कर दिया. इससे जनता में अत्यधिक आक्रोश उत्पन्न हुआ और सैनिकों ने जजों को गिरफ्तार करने से इंकार कर दिया। जनता ने स्टेटस जनरल के अधिवेशन की मांग की। इन परिस्थितियों में राजा को झुकना पड़ा और उसने 175 वर्षों (1614-1789ई.) के बाद स्टेटस जनरल के निर्वाचन के लिए आदेश जारी किए। इस प्रकार फ्रांस की 1789 ई. की क्रांति प्रारंभ हुई।
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करों को वसूल करने की प्रणाली भी अत्यधिक दोषपूर्ण थी। राजा स्वयं अपने अधिकारों द्वारा कर वसूल नहीं करवाता था अपितु यह अधिकार सबसे अधिक बोली देने वाले व्यक्ति को दिया जाता था, परिणाम स्वरूप जहां व्यक्ति राज्य को एक निश्चित रकम देते थे वहीं दूसरी ओर जनता से अधिक से अधिक धन वसूल करने का प्रयत्न करते थे। जहां एक ओर जनता का शोषण किया जाता था वही सभी ओर राज्य को कोई लाभ ना होता था। सुखी कुलीन वर्ग वा पादरी कर नहीं देते थे अंततः संपूर्ण भोज साधारण वर्ग पर ही पड़ता था। फ्रांस के संपूर्ण शासन व्यवस्था को ही सुधारना आवश्यक था।
(2) सामाजिक कारण
फ्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण क्या थे?
अनुमान लगाया जाता है कि करों को देने के पश्चात फ्रांस के किसान के पास अपनी उपज का कुल 20% भाग शेष रह जाता था। फ्रांस के कुछ भागों में किसान इन करो को चुकाने के पश्चात किसी तरह का निरहुआ कर लेते थे परंतु शेष भाग में उनकी दशा अत्यंत शोचनीय थी। अच्छी से अच्छी फसल के उपरांत भी वे अपना निर्वाह करने में स्वयं को सामर्थ पाते थे। कहा जाता है कि फ्रांस में जनता का 9/10 भाग भूख से और 1/10 भाग अधिक खाने से मरा। '
यद्यपि रिशलू ने सत्र में शताब्दी में नोबल्स की राजनीतिक शक्तियां समाप्त कर दी थी किंतु इसे कुलीन वर्ग में साधारण और के लिए और भी घृणा उत्पन्न हो गई। मैरियट ने इस विषय में लिखा है, "1789 ईसवी की क्रांति के लिए रिशलू बहुत अधिक उत्तरदाई था।"
मध्यम वर्ग के लोग भी फ्रांस के समाज के साधारण वर्ग में शामिल थे। इस श्रेणी के अंतर्गत प्रोफेसर, वकील, साहूकार व व्यापारी, न्यायधीश, मजिस्ट्रेट आदि थे। यह धनी भी थे और योग्य भी तथा संसार के कई भागों में घूम चुके थे, अतः पुराने राज्य द्वारा दी गई नीची सामाजिक स्थिति को स्वीकार करने के लिए तैयार ना थे। इसी वर्ग के लोग ही फ्रांस की जनता के द्वारा पुराने राज्य के विरुद्ध किए गए विद्रोह में उसके नेता बने।
(3) आर्थिक कारण
फ्रांस की दयनीय आर्थिक अवस्था फ्रांस की क्रांति का प्रमुख कारण थी। कहा गया है कि फ्रांस की क्रांति को शीघ्र लाने का उत्तरदायित्व आर्थिक कारणों पर था और दार्शनिक विद्वानों द्वारा तैयार किया गया बारूद आर्थिक कारणों के द्वारा भड़काया गया था। लुई 14वें के युद्ध ने देश की आर्थिक व्यवस्था को अत्याधिक सोचनीय बना दिया था। जिस समय उसकी मृत्यु हुई उस समय देश की आर्थिक व्यवस्था अत्यंत खराब थी।
यद्यपि उसने लुई 15वें को आर्थिक व्यवस्था सुधारने और युद्ध से बचने का परामर्श दिया था, किंतु लुइ 15वें ने उसके परामर्श पर विशेष ध्यान ना दिया अभी तो उसने बहुत से युद्ध में भाग लिया। राजमहल और प्रेमिकाओं पर भी बहुत रुपया नष्ट किया। जब लुइ 16 वां फ्रांस की गद्दी पर बैठा तो उस समय फ्रांस का दिवाला निकालने वाला था, परंतु फिर भी फ्रांस ने अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिका के स्वतंत्रता युद्ध में भाग लेने से ही फ्रांस में व आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ जो आगे चलकर फ्रांस की क्रांति का कारण बना।
फ्रांस की अर्थव्यवस्था शोचनीय थी। कुलीन वर्ग के लोग पादरी राज्य के कोष में कुछ भी योगदान नहीं देते थे। अतः आश्चर्य नहीं कि करो का सारा बोझ साधारण जनता पर पड़ता था। यह अपने में ही असंतोष उत्पन्न करने का कारण था। राष्ट्रीय भी बहुत अधिक बढ़ गया था। सरकार की आय उसके द्वारा दी जाने वाली राष्ट्रीय ऋण के ब्याज की राशि से भी कम थी अतः सरकार के लिए बजट को संतुलित रखना असंभव ही था। एडम स्मिथ तथा आर्थर यंग ने फ्रांस को आर्थिक गलतियों का अजयबघर बताया, सरकार ने पेरिस की सांसद के विरुद्ध कार्यवाही की और उसको समाप्त कर दिया. इससे जनता में अत्यधिक आक्रोश उत्पन्न हुआ और सैनिकों ने जजों को गिरफ्तार करने से इंकार कर दिया। जनता ने स्टेटस जनरल के अधिवेशन की मांग की। इन परिस्थितियों में राजा को झुकना पड़ा और उसने 175 वर्षों (1614-1789ई.) के बाद स्टेटस जनरल के निर्वाचन के लिए आदेश जारी किए। इस प्रकार फ्रांस की 1789 ई. की क्रांति प्रारंभ हुई।
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- फ़्रांस की क्रांति के परिणाम
- नेपोलियन के उदय को स्पष्ट कीजिए
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आपके लिए:- फ्रांस की क्रांति कब हुई
उतर:- फ्रांस की क्रांति 5 मई 1789 से 9 नवंबर 1799 तक चली थी।
Bahut achha laga sir ji and thank you help karne ke liye...
ReplyDeletewelcome
DeleteNice
DeleteWelcome, Have a good day!!
DeleteOk Google thank you
Deleteyou all are student or commentrator
DeleteTnx in sab ke liye❤
DeleteWelcome 💐💐
DeleteThank you so much sir
DeleteJdifkfkgofiidodof
ReplyDeleteFhhhxxnnmmzj bahot Bura arrival hai
कृपया अपनी इच्छा साफ साफ जाहिर करें इसे हम भविष्य में जरूर सुधारने की कोशिश करेंगे!!!
Deleteअपना महत्वपूर्ण टिप्पणी देने के लिए धन्यावाद!!
Nayadost apka channel will you friend me 🙏🙏🙏
DeleteGood
ReplyDeleteApna anubhav Share karne ke liye "Dhanyawad"
DeleteAp Hamesha isi tarah khush rahiye
Aur
#पढ़ते रहिए, बढ़ते रहिए
एक दिन सफलता आपके कदम चूमेगी!!!
verry good sir ji
ReplyDelete"Thankyou" Students
Delete🤗 Aap hamesha 😁😃 Aur
#पढ़ते रहिए, बढ़ते रहिए
एक दिन सफलता आपके कदम चूमेगी!!!
Hello friends
DeleteMy name is mahi gupta
Mai online business krti hu friends ap bhi online work krke 5_10 k aasani se earn kr skte hai agr ap intrest hai to mujhe sms kijiye 7275804200
Thank you sir meri help karne ke liye
ReplyDeleteWelcome, apni ichha jahir karne ke liye apka Dil se #Sukriya.
DeleteAap har Exam mein #top karen. yahi meri manokamna hai... have a good day
France ki kranti 1789 mai hui thi
Delete✅❤❤👏 Good Job!!! Brother
DeleteThanks sir for your notes on french revolution
ReplyDeleteThank you for your valuable comments. And Keep Growing...😊
DeleteThank you
DeleteKranti 1789 me prarambh hui
ReplyDeleteKeep growing 💗💗
DeleteVery helpful
ReplyDeleteThankyou for your valuable feedback.. #__👉Have a good day... 😃😀💗❤️
DeleteThanku sir
ReplyDeleteWelcome, हमें आप जैसों को कि जरूरत है।। God bless you!!
DeleteWellcome
Delete🥰🥰
Good bless you
Thankyou ❤️❤️❤️ you too..
DeleteFrans ki kranti kab se kab tak chala
ReplyDeleteसन् 1789 से 1799 तक
DeleteWelcome, aur kuch sawal hai toh puch sakte hain,
Have A good day
Thank you sir ji 😍😍
ReplyDeleteyou are a genius😇
ThankYou Brother Love You...❤️❤️❤️
DeleteBut aapne date galat batai hai 5may nahi hai 14july hai🙏
ReplyDelete14 July ko france me krantikariyon ne karagar ko tod kar kadiyon ko ajad karaya.. is liye 14 July ko France me Rashtriy Diwas manaya jata hai...
DeleteThank you sir for help me
ReplyDeletemiss/mr. Ariba जी इसी तरह पढ़ते रहिये और हमेशा आगे बढ़ते रहिये.. aur har Exam 🔝 Top karen.. have a Good Day..
DeleteSir dharmik karadh bhi share kriye
ReplyDeleteDharmik karan itna important nhi hai sayad... Kahin bhi nhi mil raha hai.. mil jaye toh achi baat hai...
DeleteGood
DeleteTnx for more information sir
ReplyDeleteWelcome ❤️❤️ have a good Day
DeleteNice 🆗
ReplyDeleteThankyou ❤️❤️ have good day.
Deleterajram
ReplyDeleteWelcome Rajram bhai❤️❤️
DeleteFr
DeleteGM have a good day
ReplyDeleteGM have a good day
ReplyDeleteThankyou ❤️❤️
DeletePoki
DeleteThank you so much sir have a good day
ReplyDeleteWelcome 💐💐 have a good day
DeleteOk
DeleteSir bahut jyada lamba hai answer
ReplyDeleteRaju Razz
ReplyDeleteFrans ki kranti ke mukhya Karan. Please
ReplyDeleteYes Baby ❣️❣️❣️
DeleteThank u sir
ReplyDeleteFrance ki Kranti kab hua tha answer
ReplyDeleteDear Students, lagta hai aapne pura nahi padha hai, maine last mein bataya hai ki kab se kab tak chala hai. Please pura padhen
DeleteHave a good day...💐🙃
Nice class
ReplyDeleteThanks
Thank you so much sir
ReplyDeleteBhut hee acha
ReplyDeleteWelcome & Thankyou All, have a good day. 💐❤️
DeleteThanku Google
ReplyDeletethankyou
ReplyDeleteThanks sir ❤️❤️❤️🙏🙏🙏
ReplyDeleteWelcome 💐💐
DeleteThank you very much sir
ReplyDeleteWelcome 💐💐
DeleteSome missprints there and Iknow about this
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