डॉ. मुखर्जी कहते हैं कि यदि कोई समाज अपने अस्तित्व को बनाए रखना चाहती है तो उसे व्यक्तित्व के सर्वोच्च मूल्यों की नियमित रूप से पूर्ति करनी चाहिए। मानव समाज व मानव कल्याण के लिए मूल्यों का पालन एवं संरक्षण करना आवश्यक है। दुर्खीम भी सामाजिक मूल्यों को सामूहिक जीवन के लिए आवश्यक मानते हैं। सामाजिक मूल्य समाज में एकता संगठन एवं नियंत्रण बनाए रखते हैं।
1. सामाजिक नियंत्रण- सामाजिक मूल्य सामाजिक नियंत्रण के सशक्त साधन है यह व्यक्ति एवं समूह पर एक निश्चित प्रकार का व्यवहार करने और न करने के लिए दबाव डालते हैं। समाज द्वारा मूल्य के विपरीत आचरण करने वालों के लिए पुरस्कार की व्यवस्था की जाती है। इस प्रकार सामाजिक मूल्य नियंत्रण की दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. व्यक्ति के लिए महत्व- सामाजिक मूल्यों का व्यक्तिगत जीवन से भी घनिष्ठ संबंध है सामाजिक मूल्य सारे समूह एवं समाज की देन होते हैं। समाजीकरण द्वारा व्यक्ति उन सामाजिक मूल्यों को आत्मसात करता है और अपने व्यवहार आचरण एवं जीवन को उनके अनुरूप ढालने का प्रयास करता है। इसके परिणाम स्वरुप वह सामाजिक परिस्थितियों से अनुकूलन सरल से कर लेता है। तथा साथ ही अन्य सदस्यों के व्यवहार प्रतिमानों से भी एकरूपता स्थापित कर लेता है। इस कारण वह अपने को समूह से अलग न मानकर उसी का एक अंग मानने लगता है व्यक्ति का समूह के साथ एकीकरण व्यक्ति की सुरक्षा एवं सामाजिक प्रगति दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
3. समाज में एकरूपता उत्पन्न करते हैं- सामाजिक मूल्य सामाजिक संबंधों एवं व्यवहारों में एकरूपता उत्पन्न करते हैं। सभी व्यक्ति समाज में प्रचलित मूल्य के अनुसार ही आचरण करते हैं इसके परिणाम स्वरुप सभी के व्यवहारों में असमानता उत्पन्न होती है।
4. सामाजिक संगठन एवं एकीकरण- सामाजिक मूल्य समाज में एक विशिष्ट प्रकार के स्वीकृत एवं प्रतिमानित व्यवहारों को जन्म देते हैं। समूह के सदस्यों से या अपेक्षा की जाती है कि वे इन प्रतिमानित व्यवहारों के अनुरूप आचरण करें ताकि समाज में संगठन एवं एकीकरण बना रहे समान आदेशों, व्यवहारों एवं मूल्यों को स्वीकार करने के कारण आत्मीयता एवं सामुदायिक भावना का विकास होता है, समान मूल्यों में विश्वास करने वाले लोग अपने को अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक निकट समझते हैं। जॉनसन कहते हैं "मूल्य व्यक्ति को सामाजिक अंतः क्रिया की प्रणाली को एकीकृत करने में सहायक होते हैं।"
5. सामाजिक क्षमता का मूल्यांकन- सामाजिक मूल्य द्वारा समाज के व्यक्ति यह जानने में समर्थ होते हैं कि दूसरे लोगों की दृष्टि में उनका क्या स्थान है, वे संस्तरण में कहां स्थित है। समूह एवं व्यक्ति की क्षमता का मूल्यांकन सामाजिक मूल्यों के आधार पर किया जाता है।
6. भौतिक संस्कृति का महत्व बढ़ाते हैं- भौतिक संस्कृति के कुछ तत्व समूह के लिए इतने अधिक महत्वपूर्ण न भी हो लेकिन उनके पीछे सामाजिक मूल्य होते हैं। अतः लोग उन वस्तुओं को रखने में रुचि रखते हैं, उदाहरण के लिए टी. वी., टेलीफोन कार इत्यादि व्यक्ति के लिए अधिक उपयोगी न होने पर भी वह उन्हें इसलिए रखना चाहते हैं कि इससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है क्योंकि सामाजिक मूल्य इन वस्तुओं को उपयोगी एवं प्रतिष्ठा सूचक मानते हैं।
7. समाज के आदर्श विचारों एवं व्यवहारों के प्रतीक- सामाजिक मूल्यों में आदर्श निहित होते हैं। सामाजिक मूल्यों को सामाजिक स्वीकृति एवं मान्यता प्राप्त होती है, यही कारण है कि सामाजिक मूल्यों को उसे समाज के आदर्श विचारों एवं व्यवहारों का प्रतिक माना जाता है। यह लोगों के विचारों और व्यवहारों को निश्चित एवं निर्धारित करते हैं।
8. सामाजिक भूमिकाओं का निर्देशन- सामाजिक मूल्य यह भी तय करते हैं कि एक व्यक्ति किसी विशिष्ट स्थिति में किस प्रकार भूमिका निभाएगा। समाज उसे किस प्रकार का आचरण करने की अपेक्षा करता है। सामाजिक मूल्यों में अंतर के कारण ही भूमिकाओं में भी अंतर पाया जाता है भारत में पति-पत्नी की भूमिका अमेरिका व इंग्लैंड की अपेक्षा में इसलिए अलग है कि इन देशों की मूल्य अवस्था में भी अंतर है और यह मूल्य ही भूमिका निर्वाह का निर्देशन करते हैं।
Comments
Post a Comment
Hello, दोस्तों Nayadost पर आप सभी का स्वागत है, मेरा नाम किशोर है, और मैं एक Private Teacher हूं। इस website को शौक पूरा करने व समाज सेवक के रूप में सुरु किया था, जिससे जरूरतमंद लोगों को उनके प्रश्नों के अनुसार उत्तर मिल सके, क्योंकि मुझे लोगों को समझाना और समाज सेवा करना अच्छा लगता है।