मतदान का अर्थ, मतदान के तरीके, मतदान संबंधित प्रावधान

मतदान का अर्थ (meaning of voting)

एक कंपनी की सभा में विशिष्ट विषयों पर बातचीत करने व उस विषय पर निर्णय लेने के लिए सभा बुलाई जाती है जिसमें की प्रत्येक व्यक्ति के अलग-अलग विचार होते हैं कभी-कभी ऐसी स्थिति में सभी व्यक्तियों का निर्णय लेना बहुत कठिन भी हो जाता है इस विषय को लेकर सदस्यों में बहुत  झगड़े भी हो जाते हैं ऐसी दशा में अध्यक्ष सभा में बैठे लोगों की बात पर सभी लोगों से राय लेकर उस विषय का निर्णय निकलता है इसी प्रकार दो या ‌दो से अधिक व्यक्तियों की विचार पर राय जानने के लिए किए जाने वाले उस उपाय को ही मतदान कहते हैं। कंपनी अधिनियम 2013 अंशधारी को मतदान का महत्व अधिकार प्रदान करता है अंश धारी को मत अधिकार कंपनी के संचालकों पर निर्भर नहीं करती है बल्कि कंपनी अधिनियम द्वारा नियंत्रण होती है।"

एक सार्वजनिक कंपनी के अंशधारी के मताधिकार के संबंध में प्रमुख नियम होते हैं—

(1) प्रत्येक समता अंश धारी को कंपनी की सभा में रखे गए विचार के संबंध में मत देने का अधिकार होगा।

(2) मतदान के समय मत अधिकार कंपनी को चुकाया हुआ अंश पूंजी उसके भाग में होता है।

(3) पूर्ण अधिकार अंश धारी को उस सभा में विचार रखने का प्रस्ताव मतदान नहीं दिया जाता है।

(4) पूर्ण अधिकार अंश धारी को ऐसे सुझाव पर मतदान करने का अधिकार होता है जो प्रत्यक्ष तौर पर उन अंश से संबंधित अधिकारों को प्रभावित करते हैं और पूर्ण अधिकार अंश धारी को ऐसे सुझाव पर मतदान देने का अधिकार होता है।

(5) यदि किसी श्रेणी के पूर्णधिकार अंश पर दो या दो से अधिक वर्षों से लाभांश नहीं चुकाया गया है तो उसे श्रेणी के या उस कंपनी के पूर्ण अधिकार अंश धारी को कंपनी के सभी सुझावों पर मत देने का अधिकार होगा।

(6) जब समता अंशधारीयों एवं पूर्णधिकार अंशधारीयों दोनों को किसी सुझाव पर मत देने का अधिकार हो तो उसके मत देने का अधिकार अंशों को चुकाया जाता  है

 मतदान की  विधियां |तरीके (method of voting)

मतदान या सभा की राय जानने की विधि को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है—

1. ध्वनियों आवाज द्वारा मतदान— जब कोई सभा किसी प्रस्ताव पर अपनी सहमति से ध्वनि से प्रकट करता है तो उसे ही ध्वनि मतदान कहते हैं ऐसा प्रस्ताव ध्वनि मतदान माना जाता है कि  कोई सदस्य ध्वनि से अपना प्रस्ताव प्रकट करता है तो कोई ताली बजाकर उस व्यक्ति का अभिनंदन करता है कभी-कभी सदस्य अपनी वाणी से स्पष्ट रूप से प्रस्ताव में हां या ना शब्दों का उपचार करके ही अपना मतदान प्रकट करते हैं किंतु सभापति मतदान कि इस विधि का प्रयोग इस दशा में करता है जब सभी सदस्य प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में होते हैं।"

2. सदस्यों को मतदान करते वक्त बांटना— इस विधि के अंतर्गत मतदान के सभापति सभा में उपस्थित सभी लोगों को दो भागों में बंट जाने के लिए कहा जाता है एक समूह में प्रस्ताव के पक्ष  मत देने वाले व्यक्ति बैठे होते हैं और उसकी दूसरी ओर प्रस्ताव के विपक्ष में मत देने वाले सदस्य के बैठने की अलग व्यवस्था कर दी जाती है सभापति द्वारा स्वयं सचिन को पक्ष तथा विपक्ष के समूह में बैठे व्यक्तियों की गणना करने के लिए कहा जाता है यह प्रस्ताव के पक्ष वाले समूह में बैठे सदस्य बहुत अधिक होने के कारण उन्हें प्रस्ताव को माना जाता है यदि उसकी दूसरी और विपरीत वाले समूह में सदस्य अधिक होने पर गिरा हुआ माना जाता है।"

3. गुप्त मतदान का क्या अर्थ है — गुप्त मतदान सदस्यों को विपरीत या अलग कर दिए जाते हैं मतदान पर निशान लगाकर यह लिखकर सदस्यों से मट पेटी में डाल देते हैं जिससे मत पत्रों को अलग-अलग जिन कर यह ज्ञात कर लिया जाता है कि इस प्रस्ताव के पक्ष में कितने मत हैं और विपरीत में कितने मत हैं? इनमें से अधिक मत वाले पक्ष में अध्यक्ष अपना निर्णय घोषित कर देता है वह सभी लोगों की राय जानने का यह एक उत्तम तरीका मानते हैं इनमें गोपनीय तरीके से बनाए रखी जाती है।"

4. हाथ दिखाकर मतदान करना— इस विधि में सदस्य किसी प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में हाथ उठते हैं सबसे पहले पक्ष वाले के हाथ जिन लिए जाते हैं उनके बाद विपक्ष वाले के हाथ उठाकर उनके हाथ जिन लिए जाते हैं उन दोनों गिनतियां की तुलना के आधार पर अध्यक्ष अपना निर्णय दे देते हैं कंपनियों की सभा मे सामान्य हाथ उठाकर ही मतदान लिया जाता है ऐसी स्थिति में प्रत्येक सदस्य को एक मत देने का अधिकार होता है।"

5 मतदान का अधिकार— मतदान का अधिकार अंशों की संख्या और मूल्यों के आधार पर मतदान नहीं किया जा सकता है इस  में प्रत्येक सदस्य को केवल एक ही मत देने का अधिकार मिलता है चाहे उसके पास कितने ही अंश क्यों ना हो साथ ही अनुपस्थित सदस्य भी मतदान में भाग नहीं ले सकते क्योंकि इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रत्येक कंपनी अधिनियम में मतगणना द्वारा मतदान की व्यवस्था की गई होती है इस पद्धति में प्रत्येक सदस्य उसके द्वारा ग्रहण किए गए अंशों की संख्या के अनुपात में मत दे सकता है इसी प्रकार प्रत्येक सदस्य अपने मताधिकार का प्रयोग अपने हितों के अनुसार कर लेता है अनुपस्थित सदस्य को भी प्रति पुरुष के द्वारा मत देने का अधिकार मिल जाता है।"


मतगणना द्वारा मतदान संबंधित प्रावधान

मतगणना संबंधित प्रमुख प्रावधानों को स्पष्ट किया जाता है—


1. मतगणना की मांग का समय: मतदान के लिए मांग हाथ उठाकर किए गए मतदान का परिणाम घोषित किया जा सकता है।

2. मतगणना की मांग वापसी:  मतगणना की मांग करने वाले व्यक्ति कभी भी अपनी मांग को वापस ले सकते हैं।

3. मतदान का समय: यदि मतदान की मांग सभा के सभापति की नियुक्ति से संबंधित है तो तत्काल कराई जाती है यदि मतदान की मांग किसी अन्य मामले से संबंधित होती है तो सभापति ऐसे मग के 48 घंटे के अंदर कभी भी मतदान करने की व्यवस्था कर सकता है।"

4. मत देने का स्वतंत्र अधिकार: ऐसे सदस्य जो एक से अधिक अंश रखता है वह मत के प्रयोग में स्वतंत्र है वह चाहे तो सभी मत प्रस्ताव के पक्ष में या विपरीत में दे सकता है कुछ मत प्रस्ताव के पक्ष में तो कुछ विपरीत में दे सकता है इस भारत में सभी लोगों को वोट करने का अधिकार प्राप्त होता है आपको 18 साल होते ही पहला वोट अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट कर सकते हैं।


5. मतगणना की जांच: अध्यक्ष मतगणना की जांच के लिए दो परीक्षकों की नियुक्ति करता है और वह चाहे तो मतगणना को परिणाम के रूप में हटा भी सकता है और दूसरे को नियुक्ति भी कर सकता है।


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