प्रति पुरुष का अर्थ,परिभाषा, वैधानिक प्रावधान

 प्रति पुरुष का अर्थ (prati purush kya hai)

एक कंपनी के अंश धारी साथी दूर-दूर फैले होते हैं और कंपनी का संगठन अप्रत्यक्ष होने के कारण यह समस्त कार्य अंश धारी और संचालकों की सभा में निश्चित किया जाता है कि अपनी नीतियों के अनुसार चलाए जाते हैं। इस कंपनी के अंश धारी और संचालकों को सभा में बुलाया जाता है। यह अंश धारी बहुत दूर-दूर फैले होने के कारण उचित समय पर सभा में नहीं पहुंच सकते हैं। कंपनी अधिनियम में इस प्रकार व्यवस्था की गई होती है, वह  कंपनी के सभाओं में नहीं पहुंच सकता लेकिन वह अपने साथी को अपने स्थान पर नियुक्त कर सकता है। ऐसा नियुक्त किया गया वह व्यक्ति प्रति पुरुष के लिए कंपनी का सदस्य होना या ना होना अनिवार्य नहीं होता है।

प्रति पुरुष की परिभाषा (prati purush ki paribhasha)

लॉर्ड हेन्सवर्थ के अनुसार,  प्रति पुरुष कंपनी की सभा में किसी अंश धारी का प्रतिनिधि है जिसे एक ऐसा एजेंट के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिसे वह कार्य करना है, जिस पर अंसारी स्वयं द्वारा निर्णय किया जा चुका है।"

साधारण शब्दों में, प्रति पुरुष वह व्यक्ति है जो कंपनी के लिए सदस्य द्वारा अपनी ओर से अपने निर्देश अनुसार कंपनी की सभा में उपस्थित होने एवं मतदान करने के लिए अधिकृत किया गया है यह उल्लेखनीय है की प्रति पुरुष शब्द का उपयोग उसे पर लेख के लिए भी किया जाता है जिससे प्रलेख से प्रति पुरुष की नियुक्ति की जाती है।"

प्रति पुरुष के संबंध में वैधानिक प्रावधान

प्रति पुरुष के संबंध में प्रमुख वैधानिक प्रावधानों को प्रकाशित किया गया है जो कि इस प्रकार से हैं—

1. कंपनी के सदस्य के द्वारा नियुक्त— कंपनी का कोई भी सदस्य जो कंपनी की सभा में उपस्थित होने तथा मतदान करने का अधिकारी है वह किसी भी अन्य व्यक्ति को अपने स्थान पर सभा में उपस्थित होने को बोल सकता है और उसे अपनी जगह पर नियुक्त कर सकता है इस प्रकार स्पष्ट है कि कंपनी की सदस्य ही प्रति पुरुष यानी साथी को नियुक्त कर सकता है यदि अंतर नियमों में व्यवस्था न हो तो बिना अंश पूंजी वाली कंपनी का सदस्य साथी को नियुक्त नहीं कर सकता है ‌। केंद्रीय सरकार का यह अधिकार है कि किसी वर्ग या किन्हीं वर्गों की कंपनियों के सदस्यों के साथी नियुक्त के अधिकार को समाप्त कर सकती है।

2.  इस कंपनी मे राष्ट्रपति के द्वारा भी आधारित होती है यह कंपनी की सभा में अपना प्रतिनिधित्व करने हेतु किसी भी व्यक्ति को अधिकृत कर सकते हैं ऐसे प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति कंपनी के सदस्यों के समान ही माना जाता है और उस व्यक्ति को एक सदस्य के सभी अधिकार भी प्राप्त होते हैं ताकि ऐसा प्रतिनिधित्व सभा में बोल भी सकता है और प्रति पुरुष भी नियुक्त कर सकता है।

3. अपवाद एवं सीमाएं— प्रत्येक कंपनी में प्रति पुरुष नियुक्त करने के लिए कुछ अधिकार से संबंधित सीमाएं  होते हैं जो निम्न है—

        (1) केंद्रीय सरकार कंपनियों के उसे वर्ग या वर्गों का निर्धारित कर सकती है जिनके सदस्य को साथी की युक्त करने का अधिकार नहीं होगा।

         (2) किसी सदस्य द्वारा नियुक्त प्रति पुरुष इस सदस्य का अधिकतम 50 सदस्यों तक निर्धारित की गई संख्या तक के अंशु के लिए साथी का कार्य कर सकेगा।

4. प्रति पुरुष के अधिकार— प्रति पुरुष को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त होते हैं—

(1) कंपनी के सभा में सदस्य के स्थान पर मतदान कर सकता है किंतु कोई उसका साथी सभा में सदस्य के स्थान पर बोल नहीं सकता।

(2) राष्ट्रपति ,राजपाल निगम निकाय के प्रति पुरुष सभा में बोल सकते हैं एवं परिचर्चा में भी भाग ले सकते हैं हाथ उठाकर मतदान कर सकते हैं और वह अपने स्थान पर सभा में उपस्थित होने के लिए प्रति पुरुष की नियुक्ति कर सकता है।

(3) प्रति पुरुष केवल सभा में मतगणना द्वारा मतदान में ही भाग ले सकते हैं।

(4) कोई भी प्रति पुरुष किसी सदस्य या प्रति पुरुष के साथ सभा में मिलकर मत गणना की मांग कर सकता है।

5. अधिकारों पर रोक — प्रति पुरुष को निम्न अधिकार नहीं होंगे— प्रति पुरुष सभा में बोल नहीं सकते, प्रति पुरुष मतगणना द्वारा मतदान के अतिरिक्त मतदान नहीं कर सकते।

6. प्रति पुरुष नियुक्त करने के अधिकार का सभा की सूचना में उल्लेख— इस कंपनी में अंश पूंजी वाली प्रत्येक कंपनी ऐसे कंपनी जिनके अंतर नियम प्रति पुरुष नियुक्त की अनुमति देते हैं कि सभा की सूचना मैं सदस्य के निम्नलिखित अधिकार का विवरण लिखा जाता है— 

    "प्रत्येक सदस्य जो सभा में उपस्थित होने के लिए मतदान करने का हकदार है वह एक अधिक प्रति पुरुषों की नियुक्त करने का हकदार होते हैं और वह सभा जो उनमें उपस्थित होने वाले स्थान पर मतदान करने के हकदार होंगे तथा ऐसे साथी  का सदस्य होना अनिवार्य नहीं हो सकता।

7. प्रति पुरुष फॉर्म जमा कराने का समय होता है— इस कंपनी में प्रति पुरुष नियुक्त का फार्म कंपनी की सभा प्रारंभ होने के लिए कम से कम 48  घंटे मैं कंपनी के पास जमा कर देना चाहिए यदि कंपनी के अंतर नियमों में ऐसे फॉर्म को जमा करने के लिए कोई 48 घंटे से अधिक होता है तो अंतर नियमों का यह प्रावधान होता है कि उसे वापस कर दिया जाता है।

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