वायुमण्डल को निम्न सात भागों में बाँटा गया है जो इस प्रकार से है। लेकीन हमें अधिकतर इन पाँच परतों के बारे में ही बताया जाता है, क्षोभ मण्डल, समताप मण्डल, मद्य मण्डल, आयन मण्डल, बाह्य मण्डल।
लेकिन आज हम वायुमंडल की सात परतों के बारें में पढ़ेंगे और जानेंगे- जो कि इस प्रकार से है_
- क्षोभ मण्डल
- क्षोभ सीमा
- समताप मण्डल
- ओज़ोन मण्डल
- मद्य मण्डल
- आयन मण्डल
- बाह्य मण्डल
वायुमंडल की संरचना | wayumandal ki sanrachna
1. क्षोभ मंडल (Troposphere):- क्षोभ मंडल वायुमंडल की संरचना की सबसे निचली परत है। इसकी ऊंचाई या विस्तार पृथ्वी तल से 8 किलोमीटर से 18 किलोमीटर ऊपर तक है, ध्रुवों पर क्षोभ मंडल की परत 8 किलोमीटर तथा भूमध्य रेखा पर 18 किलोमीटर मोटी है इसकी कुल औसत ऊंचाई 12 किलोमीटर है।
क्षोभ मंडल के लक्षण या विशेषता
- वायुमंडल की परत में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि गैस एवं जलवाष्प तथा धूल कण विद्यमान हैं।
- ऊंचाई के बढ़ने के साथ-साथ तापक्रम 10°c ग्रेट प्रति 165 मीटर ऊंचाई की दर से घटता जाता है।
- क्षोभ मंडल में ही सर्वाधिक जलवाष्प एवं धूल कण उपलब्ध होते हैं।
- इसमें संवाहन वायु धाराएं प्रवाहित होती हैं।
- इस भाग में ही ऋतु परिवर्तन संबंधी सभी घटनाएं एवं परिवर्तन संपन्न होते हैं जैसे:- तापक्रम, वर्षा, मेघ, वायु की दिशा आदि का परिवर्तन होता रहता है, इसीलिए इसे परिवर्तन मंडल भी कहा जाता है।
2. क्षोभ सीमा (Fury range):- क्षोभ मंडल के ऊपर इसकी छत के रूप में वायुमंडल की एक पतली परत है जो क्षोभ मंडल तथा समताप मंडल को एक दूसरे से अलग करती है इसे ही क्षोभ सीमा कहते हैं, इस परत की मोटाई 1.5 से 2 किलोमीटर तक होती है।
3. समताप मंडल (Stratosphere) :- क्षोभ मंडल की सीमा के ऊपर समताप मंडल की परत पाई जाती है इसकी ऊंचाई क्षोभ सीमा के ऊपर 18 किलोमीटर से लेकर 50 किलोमीटर तक मानी जाती है। इस परत में तापमान समान रहता है इस मंडल में मौसम संबंधी हलचल नहीं होता है परंतु क्षीण हवाएं क्षैतिज रूप में चलती रहती हैं आधुनिक जेट विमान समताप मंडल की निचली सतह से ही उड़ान भरते हैं क्योंकि यहां बादल तूफान और चक्रवात के न होने से उड़ान में कोई बाधा नहीं पड़ती है।
4. ओजोन मंडल (Ozone division) :- समताप मंडल के ऊपर ओजोन गैस की अधिकता पाई जाती है इसीलिए इस परत को ओजोन मंडल कहा जाता है इसकी ऊंचाई 30 से 60 किलोमीटर के मध्य बताई जाती है क्योंकि इसी भाग में O तथा O2 का टकराव अधिक होता है।
वायुमंडल में ओजोन का अत्याधिक महत्व है क्योंकि इस गैस के कारण ही सूर्य की पराबैंग्नी किरणें पृथ्वी की सतह तक नहीं पहुंच पाती है यदि यह पैराबैग्नी करने पर पृथ्वी की सतह पर पहुंच जाती तो धरातल का तापमान इतना अधिक हो जाता कि पृथ्वी पर किसी भी प्राणी का जीवित रहना असंभव हो जाता।
5. मध्य मंडल (Middle Circle) :- इस परत की ऊंचाई 50 से 80 किलोमीटर तक मानी गई है इस मंडल में ऊंचाई में वृद्धि के साथ-साथ तापमान घटता जाता है, 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर तापमान घटकर 100°c ग्रेट रह जाता है ओजोन गैस पैराबैंग्नी किरणों को सोख लेती हैं।
6. आयन मंडल (Ion board):- वायुमंडल की चौथी परत आयन मंडल है इसकी मोटाई 80 किलोमीटर से 600 किलोमीटर तक है इसके निम्न लक्षण होते हैं-
- सूर्य की अति गर्म किरणों के कारण विभिन्न गैसों के कणों का आयनीकरण हो जाता है।
- यह एक बिजली द्वारा भरी हुई परत है।
- यह परत पृथ्वी की ओर से भेजी गई रेडियो तरंगों का परावर्तन कर देती हैं जिससे रेडियो, टेलीविजन एवं अन्य प्रकार की विभिन्न संदेश यात्रा संचार साधन संभव हुए हैं।
- इस परत में अति चमकदार लाल रंग का प्रकाश या सुमेर ज्योति ध्रुव पर दिखाई देती है इसे उत्तरी ध्रुव पर उत्तरी ध्रुव ज्योति तथा अंटारटीक प्रदेश में दक्षिणी ध्रुव ज्योति कहते हैं।
- इस परत में ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान भी बढ़ता जाता है।
7. बाह्य मंडल (Outer circle):- यह वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत है यह 600 किलोमीटर से ऊपर हजारों किलोमीटर की ऊंचाई पर फैली हुई है तथा अंत में अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है यह परत हलके गैसों से युक्त है।
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