इंग्लैंड की वैभवपूर्ण (रक्तहीन) क्रांति के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए

इंग्लैंड की क्रांति को क्या कहते हैं

यहां इंग्लैंड की क्रांति को निम्न प्रकार से भी जाना जाता है

  1. वैभवपूर्ण क्रांति
  2. रक्तहीन क्रांति
  3. गौरवपूर्ण क्रांति

इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति के कारण

इंग्लैंड की क्रांति के कारणों को जानने से पहले आइए हम इंग्लैंड की क्रांति का Overviwe जान लेते हैं-

अगर कोई आप से पूछे कि इंग्लैंड में रक्तहीन क्रांति या फिर वैभवपूर्ण क्रांति कब हुई थी? तो इंग्लैंड की क्रांति सन् 1688 ई. में हुई थी।

सन् 1660 ई. में इंग्लैंड में स्टुअर्ट राजवंश की पुनः स्थापना हुई चार्ल्स प्रथम के पुत्र चार्ल्स द्वितीय को सिंहासन पर बैठाया गया। चार्ल्स द्वितीय सन् 1685 तक शासन किया उसके बाद उसने अपने पुत्र जेम्स द्वितीय को राजा बनाया। जेम्स द्वितीय की निरंकुशता की नीति के कारण इंग्लैंड में सन् 1688 में एक क्रांति हुई जो वैभवपूर्ण (रक्तहीन) क्रांति के नाम से प्रसिद्ध हुई, इस क्रांति के कारण इस प्रकार से हैं_


1. राजा की निरंकुशता की नीति - जेम्स द्वितीय मूर्ख व्यक्ति था। जेम्स द्वितीय निरंकुश राजा के रूप में शासन करना चाहता था उसने ऐसे अनेक मूर्खतापूर्ण कार्य किए, जिनके कारण सांसद से उनका झगड़ा हो गया।


2. स्थाई सेना में वृद्धि- इंग्लैंड के राजाओं के पास स्थाई सेना बहुत छोटी हुआ करती थी जेम्स द्वितीय ने स्थाई सेना की संख्या बढ़ाकर 30,000 कर ली इससे इस बात का भय उत्पन्न हो गया कि कहीं राजा बड़ी सेना की सहायता से प्रजा पर अत्याचार ना कर दे।


3. हाई कमीशन कोर्ट की स्थापना- चार्ल्स प्रथम ने अपने विरोधियों पर मुकदमा चलाने के लिए इस कमीशन को विशेष न्यायालय स्थापित किया था सांसद ने इस न्यायालय की पुनः स्थापना की इससे जनता में भय उत्पन्न हो गया था।


4. धार्मिक अन्य ग्रह की घोषणा- सन् 1687 में जेम्स द्वितीय ने एक घोषणा की जिसमें कैथोलिकों के विरोध में जो कठोर नियम प्रचलित है उन्हें स्थगित कर दिया गया। जिससे जनता में आक्रोश उत्पन्न हुआ।


5. पादरियों पर मुकदमा- कैंटरबरी के आर्कबिशप तथा छ: अन्य पादरियों ने जेम्स द्वितीय से प्रार्थना की, कि घोषणा को गिरजा घरों में पढ़ने का आदेश ना दिया जाए, जेम्स द्वितीय ने उनके इस निवेदन या प्रार्थना को अपनी मानहानि समझी और उन पर राजद्रोह के लिए मुकदमा चलाया।


6. कैथोलिकों के साथ रियायत- इंग्लैंड में इस समय ईसाई धर्म के दो मुख्य संप्रदाय थे, कैथोलिक और  (Anglican) अंगलिकन। यहां अधिकतर लोग अंगलिकन संप्रदाय को मानने वाले थे और कैथोलिक को मानने वाले बहुत कम थे। जेम्स द्वितीय कैथोलिक था चार्ल्स द्वितीय के शासनकाल में इंग्लैंड की सांसद ने परीक्षा अधिनियम नामक एक कानून बनाया था। इसके अनुसार सरकारी पद केवल उन्हीं लोगों को मिल सकते थे जो अंगलिकन संप्रदाय के थे।


निष्कर्ष:-

तो आज के इस लेख के द्वारा हमने इंग्लैंड की क्रांति कब हुई? किसके शासनकाल में हुई इन सब के बारे में जाना और इंग्लैंड की क्रांति को और किन किन नामों से जाना जाता है इसके बारे में भी जानने को मिला, और इंग्लैंड की क्रांति के कारणों के बारे में भी चर्चा की तो उम्मीद करता हूं कि आपको सब अच्छे से समझ में आ गया होगा तो इससे आगे हम जानेंगे कि इंग्लैंड में क्रांति तो हुई लेकिन इसके क्या क्या परिणाम या नतीजे निकले इसके बारे में चर्चा करेंगे।

इन्हें भी पढ़ें:-


Comments