यूरोप में पुनर्जागरण के प्रभाव | urop mein punarjagran ke prabhav

पुनर्जागरण के प्रभाव इस प्रकार से हैं-

1. आर्थिक दशा- पुनर्जागरण के पश्चात यूरोप आर्थिक दृष्टि से संपन्न होने लगा। नए नए व्यापारिक मार्गों की खोज हुई जिससे यूरोप के देशों का अमेरिका, अफ्रीका, भारत आदि देशों से व्यापार होने लगे।


2. राजा की निरंकुशता की समाप्ति- पुनर्जागरण के कारण यूरोप में राष्ट्रीय भावनाएं जागृत हुई उनमें स्वतंत्रता समानता की भावना पैदा हुई जिसके परिणाम स्वरूप राजाओं की निरंकुशता समाप्त होने लगी।


3. लोकतंत्र शासन प्रणाली का जन्म- यूरोप में पुनर्जागरण के कारण लोकतंत्र शासन प्रणाली का जन्म हुआ लोगों में स्वतंत्रता समानता की भावना पैदा हुई।


4. शिक्षा का विकास एवं प्रसार- पुनर्जागरण के कारण यूनानी भाषा एवं साहित्य को महत्व दिया जाने लगा और लैटिन भाषा की उपेक्षा की गई राष्ट्रभाषा एवं राष्ट्रीय साहित्य का भी विकास हुआ जिसके फलस्वरूप अब शिक्षा का विकास एवं प्रसार बहुत ही तीव्र गति से होने लगा।


5. राष्ट्रीय राज्यों का उदय- सामंतवाद का पतन हो गया था, समान जाति, धर्म एवं भाषा के आधार पर लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का उदय हुआ अब छोटे छोटे राज्य समाप्त हो गए उनके स्थान पर अब बड़े राज्यों का उदय हुआ।

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Conclusion:

तो इस पोस्ट में हमने जाना है कि यूरोप में पुनर्जागरण के क्या क्या प्रभाव पड़े इसके बारे में पांच प्रकारों के बारे में जाना तो पहला जो प्रभाव है वह है यूरोप की आर्थिक दशा में सुधार हुए, पहले क्या होता था कि केवल यूरोप के अन्दर ही व्यापार होते थे लेकिन पुनर्जागरण के कारण अमेरिका, अफ्रीका, भारत आदि देशों के साथ व्यापार होने लगे। और पुनर्जागरण के पश्चात यूरोप में राजाओं की निरंकुशता समाप्त हो गई। पुनर्जागरण के कारण‌ ही यूरोप में शिक्षा प्रणाली में नए सुधार किए गए, इसका प्रचलन बहुत तीव्र गति से होने लगा। पुनर्जागरण के कारण ही सामंतवाद का पतन हुआ और छोटे-छोटे राज्य समाप्त हो गए और इनके जगह पर बड़े-बड़े राज्य स्थापित हुए।

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