औपचारिक और अनौपचारिक संगठन क्या है

औपचारिक संगठन

Aupcharik sangathan; यह संगठन ऐसे संगठन होते हैं जिसमें प्रत्येक स्तर के प्रबंधकों के अधिकारों, कर्तव्य व दायित्वों की सीमा निर्धारित होती है। इस तरह के संगठन को संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रबंधक द्वारा बनाया जाता है।

औपचारिक संगठन की परिभाषा | Aupcharik sangathan ki paribhasha

चेस्टर बेनार्ड के अनुसार— “जब 2 या इससे अधिक व्यक्तियों की क्रियाओं को किसी निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विवेकपूर्ण तरीके से समन्वित किया जाता है तो ऐसे संगठन को औपचारिक संगठन कहते हैं।”

औपचारिक संगठन की विशेषताएं | aupcharik sangathan ki visheshtayen

1. पूर्व नियोजन की प्राप्ति के लिए किसी संस्था द्वारा इस तरह का संगठन बनाया जाता है।

2. औपचारिक संगठन नियमों और कार्य विधियों पर आधारित होता है। इनका पालन करना बहुत ही आवश्यक होता है।

3. औपचारिक संगठन के अंतर्गत व्यक्तिगत भावनाओं को अनदेखा करके कठोर अनुशासन का पालन किया जाता है।

4. औपचारिक संगठन में अधिकार पद से जुड़े हुए होते हैं और इनका प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर होता है।

5. औपचारिक संगठन का मुख्य आधार कार्य विभाजन होता है।

6. औपचारिक संगठन में व्यक्तियों की इच्छाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप परिवर्तन करना संभव नहीं होता है, अतः कहा जा सकता है कि इनमें लोचशीलता कम होती है।


अनौपचारिक संगठन किसे कहते हैं

Anopcharik sangathan; अनौपचारिक संगठन से अभिप्राय ऐसे संगठन से है जिसकी स्थापना लोगों द्वारा नहीं की जाती बल्कि स्वता ही समान्य हितों और संबंध, रूचियो तथा धर्म के कारण हो जाती है। ऐसे संगठन को अनौपचारिक संगठन कहते हैं।

अनौपचारिक संगठन की परिभाषा | Anopcharik sangathan ki paribhasha

अर्ल. पी. स्ट्रांग के अनुसार- “अनौपचारिक संगठन एक ऐसी सामाजिक संरचना है जिसका निर्माण व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है इसे अनौपचारिक संगठन कहते हैं।”

अनौपचारिक संगठन की विशेषताएं | Anopcharik sangathan ki visheshta

1. अनौपचारिक संगठन का निर्माण स्वत: ही हो जाता है इसका निर्माण जानबूझकर नहीं किया जाता बल्कि व्यक्तियों के आपसी संबंधों तथा रूचियों के आधार पर स्वयं ही हो जाता है।

2. अनौपचारिक संगठन व्यक्तिगत संगठन से अभिप्राय है इसमें व्यक्तियों की भावनाओं को ध्यान में रखा जाता है।

3. अनौपचारिक संगठन अधिकार व्यक्ति से जुड़े रहते हैं और उनका प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर होता है, यह संगठन समाप्त हो जाता है और इसमें स्थायित्व का अभाव रहता है।

4. जब तक व्यक्ति एक समूह में है तब तक वह संगठन है जब व्यक्ति अलग हो जाता है तो संगठन समाप्त हो जाता है इसमें स्थायित्व का भाव रहता है।

5. अनौपचारिक संगठन में कुछ भी लिखित स्वरूप नहीं होता है।

6. अनौपचारिक संगठन में चार्ट का प्रयोग नहीं किया जाता है।

7. अनौपचारिक संगठन में सदस्यों की हैसियत उनकी भूमिका से तय होती है।

औपचारिक संगठन के लाभ और दोषों का वर्णन

औपचारिक संगठन के लाभ

1. व्यवस्थित कार्यवाही:- इस संगठन में विवश स्थित और सरल कार्यवाही होता है।

2. संगठनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति:- इस संगठन का उद्देश्य संगठनात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए स्थापित किया जाता है।

3. कार्य का दोहराव नहीं:- औपचारिक संगठनात्मक ढांचे में विभिन्न विभागों और कर्मचारियों के बीच कार्य व्यवस्थित ढंग से विभाजित होता है, इसलिए कार्य के दोहराव का अवसर नहीं होता है।

4. समन्वय:- इस संगठन में विभिन्न विभागों की क्रियाओं को समन्वित करना होता है।

5. आदेश श्रृंखला का सृजन:- इस संगठन के अधिकारी अधीनस्थ संबंध को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है अर्थात कौन किसे रिपोर्ट करेगा।

6. कार्य पर अधिक बल:- औपचारिक संगठन व्यक्तिगत संबंधों की तुलना में कार्य पर अधिक बल दिया जाता है।

औपचारिक संगठन के दोष

1. कार्य में देरी:- सोपान श्रृंखला और आदेश श्रृंखला का अनुसरण करते समय कार्यो में देरी हो जाती है।

2. कर्मचारियों की सामाजिक आवश्यकताओं की अवहेलना करता है:- औपचारिक संगठन कर्मचारियों की सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकता को महत्व नहीं देता जिससे कर्मचारियों के अभी प्रेरण में कमी हो जाती है।

3. केवल कार्य पर बल:- औपचारिक संगठन केवल कार्य को महत्व देता है इससे मानवीय संबंधों, सृजनात्मकता, प्रतिभाओं आदि को महत्व नहीं दिया जाता है।

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Comments

  1. Anonymous05 June, 2022

    Thanks nd keep it up

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  2. Anonymous11 July, 2022

    Yeh question acche se yaad how gya hai

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    1. Yes! keep it up! Isi tarah se padhte rahiye aur aage badhte rahiyee...

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  3. Thanks you ❤️

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