व्यवहारिक समाजशास्त्र के उपयोग | व्यावहारिक समाजशास्त्र का विस्तार से वर्णन कीजिए
ज्ञान की सार्थकता उसकी उपयोगिता होती है।
समाजशास्त्री यह स्वीकार करने लगे हैं कि सैद्धांतिक आधार पर समाजशास्त्र का कितना भी विकास क्यों ना हो जाए लेकिन इसकी वास्तविकता उपयोगिता तभी संभव है, जब इसके सिद्धांतों से सामाजिक जीवन को अच्छा बनाया जा सके।
सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करने तथा उनका समाधान प्रस्तुत करने में व्यवहारिक समाजशास्त्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं।
गिलीन तथा डिटमर का कहना है कि “व्यवहारिक समाजशास्त्र का ज्ञान समाज शास्त्रियों को सभी प्रकार की परिवर्तनशील दशाओं के अंतर्गत मानवीय संबंधों का अध्ययन करने का अवसर देता है।”
इसके अध्ययन से समाजशास्त्री जिन सिद्धांतों को ज्ञात करते हैं। उन्हीं की सहायता से ऐसी अध्ययन पद्धतियों का विकास संभव हो पाता है जो स्वास्थ्य सामाजिक अभियोजन के लिए कार्यक्रम बनाने तथा नीतियों को वास्तविक रूप देने के लिए आवश्यक है।
समाज को सिद्धांतों के द्वारा संगठित नहीं किया जा सकता बल्कि इसके लिए उन दशाओं का अध्ययन करना आवश्यक है जो एक साथ सामाजिक जीवन के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करती हैं।
आधुनिक समाज अत्यधिक परिवर्तनशील है। आज के समाजों में सामाजिक जीवन के व्यवहारिक ज्ञान के बिना इतना विघटित हो सकता है कि हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।
व्यवहारिक समाजशास्त्र का ज्ञान समस्याओं का निराकरण ही प्रस्तुत नहीं करता बल्कि एक समाज के सदस्यों को अपने सामाजिक जीवन तथा समस्याओं के प्रति जागरूक भी बनाता है।
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Hii
ReplyDeleteHello
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