जनसंख्या वृद्धि के कारण, परिणाम व दुष्परिणाम

जनसंख्या वृद्धि पर निबन्ध

जब जन्मदर तुलनात्मक रूप से मृत्यु दर से बहुत अधिक हो जाती है, तब जनसंख्या वृद्धि की गति अत्याधिक हो जाती है। ऐसी स्थिति को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है

तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या को ही जनसंख्या वृद्धि कहते हैं।

जनसंख्या वृद्धि से क्या तात्पर्य है

जनसंख्या वृद्धि का तात्पर्य जनसंख्या में असीमित बढ़ोतरी ही जनसंख्या वृद्धि कहलाती है|

जनसंख्या वृद्धि के कारण

आदमी एक बार धरती पर जन्म लेने के बाद मरने का नाम नहीं ले रहा है, और सही बात है धरती पर सुख भरा जीवन व्यतीत करना कौन नहीं चाहेगा!

भारत में जनसंख्या में वृद्धि का प्रमुख कारण अत्यधिक जन्मदर है। भारत में ऊंची जन्म दर के लिए निम्नलिखित कारण हैं:- जनसंख्या वृद्धि के कारण

1. विवाह की अनिवार्यता:- भारत में सामाजिक एवं धार्मिक दृष्टि से विवाह एक आवश्यक संस्कार माना जाता है। विवाह को संतान उत्पत्ति के लिए आवश्यक माना जाता है। विवाह करके संतान उत्पन्न करना यहां हर व्यक्ति के लिए आवश्यक माना जाता है।

2. बाल विवाह:- सामाजिक चेतना एवं शिक्षा के प्रसार से यह प्रथा कुछ कम हो गई है। लेकिन यह आज भी देश में विद्यमान है। हमारे देश में शिक्षित परिवारों को छोड़कर सामान्यता लड़कियों का विवाह 15 वर्ष की आयु से पहले ही कर दिया जाता है। यह एक बहुत बड़ा कारण है।

3. धार्मिक और सामाजिक अंधविश्वास:- भारतीय जनता संतान को ईश्वरीय देन मानती है और उसमें किसी तरह का हस्तक्षेप करना सही नहीं मानती है। जिसके फलस्वरूप जन्म दर अधिक रहती है।

4. संयुक्त परिवार प्रथा:- भारत में संयुक्त परिवार प्रणाली में परिवार का आर्थिक दायित्व सम्मिलित रूप से सभी सदस्यों पर रहता है इसलिए लोगों में उत्तरदायित्व की भावना की कमी रहती है और वे अंधाधुन संतानोत्पत्ति करते हैं।

5. निर्धनता:- भारत की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा कारण निर्धनता है। गरीब व्यक्ति को यह आशा रहती है कि उसके बच्चे उसके साथ काम करके उनकी आय में वृद्धि करेंगे। यह उनकी गलत मानसिकता होती है इससे जन्म दर में वृद्धि होती है।

6. संतान निरोधक की कमी:- भारत में संतान निरोधक विधियों का प्रयोग सीमित है। इसका प्रमुख कारण अज्ञानता और साधनों का मांगा होना है। इन उपायों के अभाव में हमारे देश में संतानोत्पत्ति की दर अधिक है, जो जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण है।

7. घटती मृत्यु दर:- देश में अनेक कारणों से मृत्यु दर में कमी हो रही है मृत्यु दर में कमी आने से लोगों की औसत आयु बढ़ जाती है। मृत्यु दर में कमी आने के प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं:-

  1. स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में वृद्धि:- जिस तरह से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है उसी तरह से स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में वृद्धि हो रही है। शिशु और माताओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता से शिशु की मृत्यु दर में कमी आई है।
  2. स्त्रियों में शिक्षा:- स्त्रियों में शिक्षा के प्रसार के परिणाम स्वरूप उनके द्वारा शिशुओं के स्वास्थ्य की उचित देखभाल से मृत्यु दर में कमी आयी है।
  3. न्यूनतम विवाह आयु में वृद्धि:- बाल विवाह के कारण पहले शिशु और मैं दोनों की मृत्यु दर अधिक थी। विवाह की आयु में विधि से उनकी मृत्यु दर में कमी आयी है।
  4. अकाल और महामारी में कमी:- देश में पिछले कई दशकों से भीषण अकाल और महामारी का सामना लोगों को नहीं करना पड़ा है। जिससे मृत्यु दर में कमी आई है। लेकिन अभी की परिस्थति पहले की तरह नहीं रही, अभी लोगों का मानना है की चीन से आयी भयानक महामारी हमारे भारत देश पर तेजी से फैल रही है।

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम

1. कृषि क्षेत्र में:-जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरुप कृषि क्षेत्र में भूमि का बटवारा अधिक होने लगा है कृषि भूमि में उन्नत खेती में बाधाएं उत्पन्न होती हैं।

2. खाद्यान्न की समस्या:- जनसंख्या में वृद्धि के कारण खाद्यान्न की कमी होने लगती है। कृषि क्षेत्र में अधिकांश उत्पादन खाद्यान्नों के रूप में होने लगता है। जिससे अन्य कृषि उपजे जो व्यापारिक उपयोग में लाई जा सकती है उनका उत्पादन कम हो जाता है।

3. रोजगार की समस्या :- जनसंख्या की अधिकता से रोजगार की कमी होने लगती है। भारत में 3 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हैं।

4. प्रतिव्यक्ति आय:- जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई देती है। यद्यपि राष्ट्रीय आय में बहुत अधिक वृद्धि हुई है।

5. स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र की समस्याएं:- जनसंख्या वृद्धि की दर के अनुरूप गृह, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में वृद्धि नहीं होने के कारण मूलभूत आवश्यकताओं में कमी आ जाती है।

6. उपभोक्ता वस्तुओं में कमी:- जनसंख्या वृद्धि के कारण उपभोक्ता वस्तुओं की कमी हो जाती है। मांग बढ़ने के कारण मूल्य वृद्धि होने लगती है। विकास योजनाओं का मूल्य बढ़ने लगता है। जिससे जनसामान्य की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है।

7. अन्य समस्याएं:- जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी बढ़ने और महंगाई बढ़ने के कारण अनेक सामाजिक समस्याएं पैदा होने लगती हैं। चोरी, डकैती, जैसे अपराधिक गतिविधियां बढ़ने लगती है। जनसंख्या वृद्धि देश के आर्थिक विकास में भी बाधक होती है। कृषि योग्य भूमि पर जनसंख्या का दबाव बढ़ता जा रहा है। जिससे कृषि भूमि कम होने लगती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए परिवहन और संचार के साधनों की पूर्ति करना बहुत बड़ी समस्या है। ऊर्जा के स्रोतों पर भी जनसंख्या वृद्धि का दबाव बढ़ता जा रहा है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

देश की देश की जनसंख्या को आकार एवं संरचना की दृष्टि से सुनियोजित तरीके से किस प्रकार आत्मसात किया जाए जिससे देश का आर्थिक विकास भी हो साथ ही राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हो इसके लिए सरकार ने जनसंख्या नीति बनाई है जो कि इस प्रकार है।

इस जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए लोगों ने कई SLOGAN भी जारी कीये जैसे:-

  • हम दो हमारे दो!
  • बच्चे दो ही अच्छे!

1. पूर्ण स्वैच्छिक:- परिवार नियोजन कार्यक्रम पूर्णता स्वैच्छिक कार्यक्रम के रूप में चलाया जाएगा और यह व्यापक नीति का अभिन्न अंग रहेगा।

2. राज्यों को केंद्रीय सहायता:- राज्यों की योजनाओं को केंद्रीय सहायता करो और शुल्कों का हस्तांतरण, सहायता स्वरूप अनुदान जैसे मामलों के लिए सन् 2001 तक 1971 की जनसंख्या संबंधित आंकड़ों को ही आधार माना जाएगा। यह व्यवस्था सन 2001 तक रहने का प्रावधान था परंतु वर्तमान समय में भी जारी है।

न्यूनतम विवाह योग्य आयु:- जनसंख्या नीति के अनुसार सरकार ने लड़कियों की विवाह आयु पहले 15 वर्ष रखी थी लेकिन जनसंख्या की वृद्धि को देखते हुए इसे 15 से अब बढ़ाकर 18 वर्ष और लड़कों की आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी है।

नगद प्रोत्साहन:- परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत नसबंदी करवाने वाले व्यक्तियों को नगद राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान की जाती है।

समूह अभिप्रेरणा:- पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा परिवार नियोजन के लिए अनेक तरह के प्रोत्साहन दिए जाते हैं।

प्रचार माध्यमों का उपयोग:- सही तरह के प्रचार माध्यमों का उपयोग परिवार नियोजन के लिए लोगों को जागरूक बनाने के लिए किया जाता है।

शिक्षा पर जोर:- बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति बालक बालिकाओं को जागरूक बनाने हेतु ऐसे पाठ्यक्रम को पाठ्य पुस्तक में रखा गया है जिससे वे स्वयं की इस दिशा में जिम्मेदारियों को समझें साथ ही लड़कियों की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाए।

जनसंख्या नीति 2000 :- 15 फरवरी सन 2000 ईस्वी को केंद्र सरकार ने नई जनसंख्या नीति की घोषणा की इसको तीन मुख्य उद्देश्य में निर्धारित किया गया है:-

  1. नीति का तत्कालीन उद्देश्य:- जिन क्षेत्रों में आपूर्ति की जानी चाहिए वहां पर्याप्त मात्रा में गर्भ निरोधक स्वास्थ्य सुरक्षा ढांचा एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की पूर्ति करना है।
  2. नीति का द्वितीय उद्देश्य:- जो कि इसका माध्यमिक उद्देश्य कहलाता है सन 2010 तक कुल प्रजनन पर 2.1 के दर तक लाना है।
  3.  इस नीति का दीर्घकालीन उद्देश्य:- सरकार का कहना है कि सन 2045 तक स्थिर जनसंख्या के लक्ष्य को प्राप्त करना है। आर्थिक वृद्धि सामाजिक विकास तथा पर्यावरण की दृष्टि के अनुरूप जनसंख्या के स्तर को स्थिर बनाने की बात इस जनसंख्या नीति में कही गई है।

निष्कर्ष :-  हेलो दोस्तों आज मैंने इस Post के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि के कारण परिणाम और इसके दुष्परिणाम के बारे में detaile में बताया है, और सरकार ने इसे रोकने के लिए  कौन-कौन से कदम उठाए हैं। उनके बारे में भी बताया है, अगर आपके मन में कोई सवाल है तो नीचे Comment करें मैं सबका Reply देता हूँ।

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Comments

  1. Thanks sir for your help in our exam preparation......

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    1. ‘Welcome’ I wish you all the best for your exam.
      Hope you will pass this exam with good marks.

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  2. Replies
    1. Welcome' have a good day ❤️❤️❤️❤️❤️

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