नारी शिक्षा पर निबंध
नारी शिक्षा पर निबंध 1000 शब्दों में
प्रस्तावना:-
शिक्षा के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा होता है। शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य का जन्म सिद्ध अधिकार है। शिक्षित व्यक्ति ही अच्छे या बुरे की पहचान कर सकता है, अच्छाई और बुराई को पहचान कर निर्णय ले सकता है। आज भी अधिकांश समाज में नारी शिक्षा को अहमियत नहीं दी जाती है, यही कारण है कि आज शिक्षित नारी सदैव उपेक्षा की शिकार रही है। घर की चारदीवारी में बंद नारी कभी सेविका और कभी मनोरंजन का साधन मात्र बनकर रह गई है। परिणाम स्वरूप इस प्रगतिशील समाज में वह कहीं खो सी गई है। पूरे समाज को जन्म देने वाली नारी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती हुई दिखाई देती है। नारी पर हर प्रकार से प्रतिबंध लगाने वाले यह भूल जाते हैं घर के बच्चे चाहे वह लड़का हो या लड़की नारी के संस्कारों का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
प्राचीन भारत में नारियों कि स्थिति:-
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक परिवार का संपूर्ण विकास नारी पर निर्भर होता है इसलिए नारी का शिक्षित होना अति आवश्यक है। हालांकि भारत में प्राचीन काल से ही नारी की शिक्षा पर बल दिया गया है। महाभारत और रामायण आदि महाकाव्य से पता चलता है कि हर क्षेत्र में नारी ने विजय प्राप्त करके धर्म की स्थापना में अपना अमूल्य सहयोग दिया है। लेकिन मध्यकाल में पुनः नारियां अनेक प्रकार के प्रतिबंधों की शिकार हुई है। आजादी के संघर्ष में भी नारियों ने कंधे से कंधा मिलाकर पुरुषों का साथ दिया। आज की नारी जागृत हो चुकी हैं। नारी की जागृति ने इस पुरुष प्रधान समाज को विवश कर दिया कि वे उसके लिए शिक्षा का द्वार खोल दें। सरकार भी लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रयास कर रही है। दूरदराज के गांवों में भी स्कूल एवं कॉलेजों की स्थापना कर एवं शिक्षण संस्थाओं को अनुदान देकर नारी शिक्षण को बढ़ावा दे रही है। आज मुक्त कंठ से यह नारा गूंज रहा है -"पढ़ी-लिखी लड़की रोशनी घर की" ।
आधुनिक युग की नारियां:-
नारी शिक्षा का ही परिणाम है कि विभिन्न क्षेत्रों में नारियां उत्तम कार्य करके अपनी क्षमता, कार्य कुशलता का परिचय दे रही हैं। शिक्षित लड़कियां घर की जिम्मेदारियों का निर्वहन बखूबी कर रही हैं। नारी शिक्षा के परिणाम स्वरुप समाज में दहेज समस्या, पर्दाप्रथा, शिशु हत्या जैसे अपराधों में कमियां आई हैं।
निष्कर्ष:-
हम कह सकते हैं कि नारी के बिना नर अधूरा है। दोनों के सहयोग के बिना परिवार समाज या देश का विकास संभव नहीं है। लेकिन अभी भी जागरूकता की आवश्यकता है। शहरी क्षेत्रों में तो हालात थोड़े सुधरे हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अधिक पिछड़ापन है। जब तक गांव में जागरूकता नहीं आएगी समाज में शिक्षा का संतुलन बिगड़ता ही जाएगा। अतः ग्रामीण क्षेत्रों में नारी शिक्षा का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
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