हेलो students आज हम इस लेख में धम्म के फैलाव के लिए अशोक ने क्या-क्या उपाय किए इसके बारे में हिन्दी में पढ़ेंगे। इसमे हमने अशोक द्वारा धर्म प्रचार हेतु क्या उपाय किए गए आदि के विषय में चर्चा की है। तो आप सभी ध्यान पूर्वक सभी को याद कर लेंवे।
अशोक द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार
1. धर्म लेख - मौर्य साम्राज्य के प्रमुख मार्गों तथा सीमावर्ती प्रदेशों में उसने धर्म लेखों को शीलाओ तथा पाषण स्तंभों पर खुदवाया जिससे जनसामान्य में उनका प्रचार हो सके और प्रजा उनका अनुसरण कर सके।
2. धर्म यात्रा - इन यात्राओं में वह स्वयं धर्म प्रवचन करता था तथा विद्वानों का सतसंगत करता था। इन धर्म यात्रा में वह तीन कार्य करता था—ब्राह्मण श्रमणो, तथा स्थानीय एवं जनपदों के मनुष्य के दर्शन करना और उन्हें दान देना उनके साथ धर्म वार्ता करना और उनके प्रश्नों के उत्तर देना।
3. धर्म प्रदर्शन— उसने धर्म विषयों का आयोजन करके स्वर्ग तथा देवताओं के दृश्यों को प्रस्तुत कराया जिससे लोगों में धर्म के प्रति रुचि उत्पन्न हो। इससे उनके ह्रदय में स्वर्ग प्राप्ति की आकांक्षा जागृत होती और जीवन में धार्मिक कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
4. धर्म श्रावण — धार्मिक विचारों को प्रचार के लिए वाद विवाद तथा संगोष्ठीयों को आयोजित कराया जिनमें विभिन्न धर्मों पर प्रवचन होते हैं। उसने राज्य के अधिकारियों को आदेश दिया कि इस प्रकार के कार्यक्रम को अपने प्रदेशों में कराएं।
5. धर्म मंगल — धर्म मंगल का अर्थ कल्याणकारी कार्य थे। अशोक ने मार्गों पर वृक्ष लगवाने, जलाशय बनाने औषधालय स्थापित करने के लिए किए जो कि धर्म मंगलिया परोपकारी कार्य करने के लिए आवश्यक थे।
6. धर्मानुशासन — अशोक ने धम्म के अनुशासन को प्रकाशित कराया और बौद्ध संघ में एकता रखी। उसने राज्य के अधिकारियों से कहा कि वह भी अपने क्षेत्रों में दौरा करें और प्रशासनिक कार्यों के साथ धर्मोपदेश करें।
7. धर्म महामात्र — धर्म प्रचार के लिए उसने एक विशिष्ट विभाग तथा पदाधिकारी नियुक्त किए जिन्हें धर्म महामात्र कहा जाता था जिन्हें पूर्णरूप से धर्म प्रचार कार्य करना था।
8. अहिंसा का प्रचार — अहिंसा बौद्ध धर्म का मूल मंत्र है। उसने राजकीय भोजनालय में पशु वध रोकने की घोषणा की, उसने अनेक पशु पक्षियों का वध पूर्ण रूप से निषेध कर दिया।
9. बौद्ध संगीति — इन कार्यों के अतिरिक्त उसने बौद्ध धर्म संघ को असीमित धन दान दिया। परंपरा के अनुसार उसने 84,000 स्तूपों का निर्माण कराया लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कार्य उसके शासनकाल में तृतीय बौद्ध संगीति का होना था।
इस प्रकार बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अशोक ने व्यक्तिगत रूप के असाधारण प्रयास किए। इतना ही नहीं, उसने राज्य का समस्त कोष, शक्ति, अधिकारीगण भी धर्म प्रचार के कार्य में लगाए थे। आज बौद्ध धर्म विश्वास धर्म है और उसके करोड़ों अनुयाई हैं इसका श्रेय अशोक को है।
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नमो
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