भारत में बेरोजगारी की समस्या के कारण, एवं निवारण

बेरोजगारी की परिभाषा

सामान्य शब्दों में,

जब एक व्यक्ति को अपने जीवन निर्वाह के लिए कोई काम नहीं मिलता है, जबकि व शारीरिक व मानसिक रूप से सामर्थ है,  बेरोजगारी कहलाती है। 

जब कोई व्यक्ति कार्य करने के लिए इच्छुक है, और वह शारीरिक व मानसिक रुप से सामर्थ है, लेकिन उसको कोई कार्य नहीं मिलता जिससे कि पैसा कमा सके तो इस प्रकार की समस्या बेरोजगारी की समस्या कहलाती है।

फ्लोरेंस के अनुसार :– बेरोजगारी उन व्यक्तियों को निष्क्रियता के रूप में परिभाषित की जा सकती है। जो कार्य करने के योग्य एवं इच्छुक होते हैं लेकिन उन्हें कार्य नहीं मिल पाता है। 

भगवती समिति के अनुसार :-  बेरोजगारी की समस्या उस परिस्थिति को कहते हैं जिसमें योग्य तथा कार्य करने के इच्छुक व्यक्ति बेकार रहते हैं। 


बेरोजगारी समस्या के कारण, भारत में बेरोजगारी के कारण 

1. जनसंख्या वृद्धि  :- भारत में जनसंख्या विधि की दर 2.1 प्रतिशत प्रतिवर्ष है। तीव्रगति से बढ़ती हुई जनसंख्या बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है, उस अनुपात में रोजगार के अवसरों में वृद्धि नहीं होती है, अतः  दिनों दिन बेरोजगारी एक विकराल रुप धारण करती जा रही है। 

2. लघू एवं कुटीर उद्योगों का हर्ष :- योजनाबद्ध आर्थिक विकास तथा बड़े-बड़े उद्योग की स्थापना से स्वचालित यांत्रिकृत मशीनों को बढ़ावा मिला है। इन उद्योगों मे श्रम गहन तकनीक का कम प्रयोग किया जाता है, तथा इन उद्योगों द्वारा अच्छी किस्म की वस्तुएं कम लागत पर उत्पन्न किया जाता है जिससे लघु एवं कुटीर उद्योग का लगातार कमी हो रहा है।

3. श्रम की गतिशीलता का अभाव :- रूढ़िवादिता तथा पारिवारिक मोह के कारण भारतीय श्रमिकों में गतिशीलता का अभाव पाया जाता है, अगतिशीलता का दूसरा पहलू यह है कि श्रमिक भाषा, रीति रिवाज और संस्कृति में भिन्नता, घर से दूरी की बाधा के कारण अन्य जगहों पर कार्य करने के इच्छुक नहीं होते हैं, अतः पूर्ण रोजगार प्राप्त करने में यह भी एक समस्या है।

4. दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति :- मुख्य रूप से भारत की शिक्षा पद्धति व्यवसाय प्रधान या व्यवहारिक होने के बजाय सिद्धांत प्रधान है, जिसके कारण बेरोजगारी दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

5. त्रुटिपूर्ण नियोजन :- स्वतंत्रता के उपरांत देश में आर्थिक नियोजन अपनाया गया जिससे अर्थव्यवस्था के तीव्र विकास के साथ-साथ बेरोजगारी दूर की जा सके। लेकिन देश में दस पंचवर्षीय योजनाएं समाप्त हो चुकी हैं, फिर भी बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि हुई है, इसका मुख्य कारण त्रुटिपूर्ण नियोजन व्यवस्था है। 

6. महिलाओं द्वारा नौकरी :- स्वतंत्रता के पूर्व बहुत कम महिलाएं नौकरी करती थी लेकिन आज भी सभी क्षेत्र में महिलाएं नौकरी करने लगी  है जिससे पुरुषों में बेरोजगारी का अनुपात बढ़ा है।

7.  धीमा औद्योगिकीकरण :- भारत में औद्यौगिकीकरण कि गति विकसित देशों की तुलना में बहुत धीमा रहा है, कुछ बरसो में औद्योगिक  विकास की दर औसत रूप में 5.6 प्रतिशत रही है, इससे भी बेरोजगारी से वृद्धि हुई है क्योंकि रोजगार का अवसर कम हुआ है।

8. अशिक्षित एवं अकुशल श्रम:- अधिकांश भारतीय श्रमिक अशिक्षित अकुशल एवं अप्रशिक्षित होने के कारण उन्हें रोजगार पाने में कठिनाई होती है और बेरोजगारी में वृद्धि होती है।

9. प्रशिक्षण सुविधाओं का अभाव : भारत में नए-नए अनेक उद्योग धंधे स्थापित हो रहे हैं। लेकिन यहां की जनता में उसके कार्य को करने के लिए प्रशिक्षण सुविधाओं का अभाव है। जिसके कारण अधिकांश जनसंख्या बेरोजगार है।

बेरोजगारी निवारण हेतु सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम

भारत में पंचवर्षीय योजनाओं में रोजगार की समस्या को सदैव प्राथमिकता दी गई है। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार भी चिंतित हैं। बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रम लागू किए गए हैं, जो नीचे दिए गए हैं_

बेरोजगारी निवारण

1. एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम :- यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों की निर्धनता को दूर करने के लिए इसका आरंभ किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि श्रमिकों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों व अन्य गरीब व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गांव में कृषि, पशुपालन, मुर्गी पालन, कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग आदि का विस्तार किया जाना है।

2. ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम :- जिन क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या जटिल है वहां पर ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक परिवार में से एक व्यक्ति को रोजगार दिया जाता है। मजदूरी का भुगतान नगद मुद्रा व वस्तु के रूप में दोनों प्रकार से दिया जाता है। सूखाग्रस्त क्षेत्र में इस कार्यक्रम का विशेष महत्व है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सड़के, नहरें, छोटे बांध, भवन निर्माण आदि कार्य किए जाते हैं।

3. नेहरू रोजगार योजना :- योजना 28 अप्रैल 1989 को शुरू किया गया था। यह योजना गरीबी रेखा से नीचे निवास करने वाले लोगों के लिए चलाया गया है। इस योजना के तहत 30% स्थानिय महिलाओं के लिए रोज़गार मिला।

4. रोजगार कार्यालयों की स्थापना  : - बेरोजगारी को दूर करने के लिए रोजगार कार्यालयों की स्थापना की गई है जो बेरोजगारों के लिए हमेशा उचित मार्गदर्शन देता है। सरकार द्वारा इस दिशा में व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने हेतु औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की गई है।

5. अन्य कार्यक्रम :- इस कार्यक्रम के अंतर्गत गांव में सबसे अधिक निर्धन परिवारों का चयन करके उसको दूध देने वाली पशु, भेड़, बकरी, बैलगाड़ी, ऊंटगाड़ी बुनाई के लिए कर करघा, सिलाई मशीन आदि दी जाती है, ताकि रोजगार के साथ-साथ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ सकते हैं, यह कार्यक्रम दोहरे उद्देश्य की प्राप्ति करता है। 

6. बेरोजगारी भत्ता :- विभिन्न राज्यों की सरकारें अपने-अपने राज्य में पंजीकृत बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दे रही है, जैसे— पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा आदि।

7. विशेष आवश्यकता वालों के लिए रोजगार :- देश की बेरोजगारी की समस्या को समाप्त करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए गए इसमें विशेष आवश्यकता वालों के लिए रोजगार कार्यक्रम योजना एक अहम भूमिका निभाती है। इस कार्यक्रम के द्वारा अक्षम एवं विशेष आवश्यकता वाले बेरोजगारों का जीवन स्तर ऊंचा उठा है।

8. लघु एवं कुटीर उद्योग का विकास :- भारत सरकार ने गरीबी तथा बेरोजगारी को कम करने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योगों के काश के लिए विशेष प्रयत्न किए हैं। स्वरोजगार योजना को प्रोत्साहन देने के लिए बहुत अधिक धन व्यय किया जा रहा है।

9. ऑपरेशन फ्लड :- इस कार्यक्रम के अंतर्गत दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार एवं आय के स्रोत भी पैदा होते हैं। गरीब परिवारों को निर्धनता से ऊपर उठाने के लिए पशु क्रय करने के लिए एवं चारे की व्यवस्था करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

10. शिक्षित बेरोजगारों हेतु कार्यक्रम :- कार्यक्रम को 1973 -74 में आरंभ किया गया था, तथा सभी योजनाओं में इस कार्यक्रम को चालू रखा गया है, इस कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षित युवकों के लिए स्वरोजगार हेतु अनेक प्रकार के सहयोग दिए गए हैं।

11. अन्य उपाय :- शिक्षित बेरोजगारी को कम करने के लिए केंद्र सरकार उद्योग लगाने हेतु सहायता स्वरोजगार व साहसी, चतुराई को बढ़ावा, दुर्लभ रास्तों, पहाड़ों पर बस चलाने की सहायता, ग्रामीण युवकों के रोजगार हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

          उपरोक्त तथ्यों को सुनियोजित ढंग से संचालित करके भारत में व्याप्त बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा रहा है जिससे देश का आर्थिक विकास तीव्र गति से हो सके।

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