मन्नू भंडारी
(manu bhandari) जी का जन्म :- 3 अप्रैल सन 1931 भानपुरा मध्य प्रदेश में हुआ था|
मन्नू भंडारी का मूल नाम क्या था :- महेंद्र कुमारी था, लेकिन लेखन के क्षेत्र में इन्होंने अपना नाम मन्नू अपनाया|
मन्नू भंडारी के पिता का नाम :- शुखसंपत राय भंडारी |
मन्नू भंडारी के पति का नाम :- श्री राजेंद्र यादव |
प्रमुख रचनाएं :
कहानी संग्रह ( Mannu Bhandari ki Kahani ka Naam Kya hai ):- एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच है, त्रिशंकु, आंखों देखा झूठ।
उपन्यास :- (राजेंद्र देव के साथ) आपका बंटी, महाभोज, स्वामी, एक इंच मुस्कान।
पटकथाएँ:- रजनी, निर्मला, स्वामी, दर्पण।
सम्मान:- हिंदी अकादमी दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत।
मनु भंडारी (Mannu Bhandari) हिंदी कहानी के उस समय सक्रिय हुईं जब नई कहानी आंदोलन उथान पर था। नई कहानी आंदोलन में जो नया मोड़ आया उनमें मनु जी का विशेष योगदान रहा उनकी कहानियों में कहीं पारिवारिक जीवन कहीं नारी जीवन और कहीं समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन की विषमता विशेष आत्मीय अंदाज में व्यक्त हुई हैं। उन्होंने आक्रोश व्यंग और संवेदना को मनोवैज्ञानिक रचनात्मक आधार दिया है -- वह चाहे कहानी हो उपन्यास हो या फिर पटकथा ही क्यों न हो।
पटकथाएँ क्या है? (script)
पटकथा यानी पट या स्क्रीन के लिए लिखी गई वह कथा रजत पट फिल्म का स्क्रीन के लिए भी हो सकती है और टेलीविजन के लिए भी और मूल बात यह है कि जिस तरह मंच पर खेलने के लिए नाटक लिखे जाते हैं ठीक उसी तरह कैमरे में फिल्माए जाने वाले के लिए पटकथा लिखी जाती है। जिसे हम साधारण भाषा में (script) कहते हैं, उसे ही पटकथाएँ कहा जाता है।
कोई लेखक किसी भी दूसरी विधा में लेखन करके उतने लोगों तक अपनी बात नहीं पहुंचा सकता, जितना कि पटकथा लेखन द्वारा पहुंचाया जाता है।
क्योंकि पटकथा सूट होने के बाद धारावाहिक के फिल्मों के रूप में लाखों करोड़ो दर्शकों तक पहुंच जाती है इस लोकप्रियता के चलते ही पटकथा लेखन की और लेखकों का भी पर्याप्त रुझान हुआ है और पत्र पत्रिकाओं था पुस्तकों में भी पार्ट कथाएं छपने लगी हैं।
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