उद्यम पूंजी क्या है, अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

जोखिम पूंजी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जोखिम तथा पूंजी जोखिम इस शब्द से हम यह समझ सकते हैं कि व्यवसाय में जोखिम की मात्रा बहुत अधिक होती है। व्यवसाय में होने वाले हानि एवं जोखिमों का सामना करने वाले व्यक्ति को उद्यमी कहा जाता है।

उद्यमी की परिभाषा

उद्यमी की परिभाषा निम्न है—

1.  डिक्शन के अनुसार-  "12वीं शताब्दी का महत्वपूर्ण नवोन्मेष साहसिक पूंजी है इसको उच्च जोखिम पूंजी का पर्यायवाची भी कहते हैं यह विशुद्ध रूप से उद्यमी की प्रारंभिक परियोजना अवस्था से ही वित्तीय संसाधन है।"

2. प्रेट के अनुसार-  "विकास महत्वाकांक्षी नव उपक्रमों के प्रारंभिक स्तर के वित्तीय संसाधन को साहसिक पूंजी कहते हैं।"

3. डोलिंगर के अनुसार - "उद्यम पूंजी  बाह्य पूंजी है जो निवेशकों की पेशेवर ढंग से प्रतिबंध कोष से प्राप्त होती है।"


उद्यम पूंजी  या जोखिम पूंजी की विशेषताएं

1. उद्यम पूंजी अत्यधिक जोखिम पूर्ण होता है।

2. उद्यम पूंजी नव उपक्रम के लिए प्रारंभिक पूंजी के रूप में होती है।

3. उद्यम पूंजी या जोखिम पूंजी में सरलता का अभाव होना।

4. उद्यम पूंजी का प्रतिफल लाभांश एवं पूंजीगत लाभ होता है।

5. उधम पूंजी जोखिम पूंजी एक दीर्घकालीन वियोग है इसकी वापसी मांगे जाने पर नहीं होती है इस वियोग से जोखिम पूंजी संस्थाओं को दीर्घकाल में लाभ प्राप्त होती है।

6. उधम पूंजी जोखिम पूंजी लघु उद्योगों की वित्तीय व्यवस्था का प्रमुख स्रोत होता है। 

 जोखिम पूंजी के लाभ

जोखिम पूंजी के लाभ निम्न प्रकार हैं—

1. अर्थव्यवस्था आधारित लाभ — इससे देश की औद्योगिकरण में मदद मिलती है और देश के तकनीकी विकास में मदद होती है।

2. नियुक्त करने वाला आधारित लाभ  — जोखिम पूंजी को सन के लाभ में से हिस्सा मिलता है, इससे नियुक्त करने वाला भी लाभान्वित होते हैं।

3. उद्यमी आधारित लाभ— इससे छोटे एवं मध्यम आकार के उद्यमियों को अपने विचारों को वास्तविकता रूप में मदद मिलती है। और इससे देश के उद्यमिताओं का पर प्रवर्तन होता है।


जोखिम पूंजी के कार्य

जोखिम पूंजी के कुछ प्रमुख कार्य निम्न है—

1. विभिन्न परियोजना के वित्तीय पोषण जोखिम पूंजी की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिससे प्रोत्साहन देने वाली तकनीकी एवं व्यवसायिक परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान रहता है।

2. वित्तीय पोषण के अलावा जोखिम पूंजी नवीन साहस और उपक्रमों को  कौशल प्रदान करता है यह परियोजनाओं को सीड केपिटल भी प्रदान करती है।

3. जोखिम पूंजी उद्यमिता के साथ मिलकर व्यवसाय की योजनाओं का विकास कर सके और उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास कर सके।

4. जोखिम पूंजी अनेक रूप में सहायक देती है जैसे की तकनीकी एवं प्रबंधकीय सहयोग, तकनीकी सूचना सेवा आदि

5. जोखिम पूंजी का मूल उद्देश्य होता है उचच प्रति लाभ प्राप्त करना

6. जोखिम पूंजी केवल वित्तीय देने वाले की भूमिका अदा करता बल्कि यह अन्य सहायक सेवाएं भी प्रदान करता है।

उद्यम पूंजी के स्रोत

उद्यम पूंजी सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था वहां इस समय में लगभग 600 ऐसे स्थान है जो की उद्यम पूंजी उपलब्ध कराते हैं, अमेरिका के पश्चात इंग्लैंड तथा पश्चिम के अन्य देश जैसे फ्रांस, इटली, जर्मनी आदि में भी उद्यम पूंजी का विकास काफी देर से हुआ उद्यम का मुख्य कारण इसके नियोजन करने वाले को भारी जोखिम उठाना पड़ता था। भारत में पहले ही उद्यम पूंजी का अभाव रहा है इसके अतिरिक्त भारत में पूंजी अत्यधिक शर्मीली होने के कारण अधिकांश पूंजी बंद रह जाती है। भारत में उद्यम पूंजी के स्रोत तीन भागों में विभाजित किया गया है।

1. अखिल भारतीय स्तरीय उद्यम पूंजी — भारत में सर्वप्रथम उद्यम पूंजी का श्रेय भारतीय औद्योगिकी वित्तीय निगम को है जिसने इसका शुभारंभ सन 1975 में जोखिम पूंजी न्यास की स्थापना करके किया बाद में 1988 में यह न्याय जोखिमपूर्व पूंजी एक प्रौद्योगिकी की वित्तीय निगम प्राइवेट लिमिटेड में सम्मिलित हो गया इसका कार्य भारतीय स्तरीय उद्यम पूंजी अंतरण का कार्य करता है।

  • आई.सी.आई.सी.आई. उद्यम कोष प्रबंध कंपनी लिमिटेड — सन 1988 में आई. सी.आई. सी.आई ने भारतीय प्रौद्योगिकी विकास एवं इन्फ्रास्टेक्चर निगम की स्थापना के बाद में इसका नाम बदलकर ICICI उद्यम कोष प्रबंधन कंपनी लिमिटेड कर दिया गया बाद में सन 2002 में ICICI की एक दूसरी सहायक कंपनी ICICI प्राइवेट लिमिटेड का विलियन ICICI उद्यम कोष प्रबंध कंपनी लिमिटेड में हो गया इसके परिणाम स्वरूप इस दृष्टि से देखा जाए तो कंपनी का रूप धारण कर लिया आज यह कंपनी निजी क्षेत्र के उद्यमियों को उद्यम पूंजी उपलब्ध कराने का एक प्रमुख स्रोत बन गई है।

2. राज्य स्तर उद्यम पूंजी कोष — राज्य स्तर पर छोटे एवं मध्यम आकार वाले उद्यमियों को वित्तीय सहायक प्रधान करने के लिए राज्य स्तरीय उद्यम पूंजी कोष की स्थापना की गई।

  1. गुजरात उद्यम  पूंजी—  गुजरात उद्यम पूंजी कोष की स्थापना गुजरात सरकार द्वारा की गई है इसका उद्देश्य गुजरात राज्य के छोटे छोटे एवं मध्यम श्रेणी के उद्योग संस्था एवं स्थापित करने वाले उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है अब तक की प्रगति संतोषजनक रही है।
  2. तमिलनाडु उद्यम पूंजी कोष — तमिलनाडु उद्यम पूंजीकोष की स्थापना तमिलनाडु सरकार ने तमिलनाडु राज्य की स्थिति लघु एवं मध्य स्तर पर व्यावसायिक इकाइयों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए की नए एवं अधिक जोखिम वाले लघु एवं जोखिम वाली व्यवसायिक इकाइयों की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करता है।

3. विशिष्ट उद्यम पूंजी कोष— सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक  निजी क्षेत्र के बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं ने भी उद्यम पूंजी कोष की स्थापना की है इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र के सहयोगी को ऐसे उद्यम स्थापना के लिए पूंजी उपलब्ध करना है

  1. भारत विनियोग कोष — भारत विनियोग कोर्स की स्थापना ग्रीण्डलें बैंक द्वारा की गई थी बाद में ग्रीण्डलें बैंक समाप्त हो गया भारतीय वियोग कोर्स का संचालन स्टैंण्डई चार्ट बैंक द्वारा होता है यह प्रमुख रूप से अनिवासी भारतीय द्वारा स्थापित उद्यमों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  2. शाखा पूंजी उद्यम — शाखा पूंजी उद्यम लिमिटेड की स्थापना निजी क्षेत्र की कंपनी शाखा पूंजी निगम ने किया है यह लघु एवं मध्यम आकार वाली निजी क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना के लिए जिसमें अधिक जोखिम होता है





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