इंग्लैंड में गृह युद्ध 1642 ई. से 1649 ई. तक चला था, इस गृह युद्ध में मुख्यत: राजनीतिक और धार्मिक संघर्ष था। राजनीतिक कैसे आईये है हम जानते हैं चार्ल्स प्रथम के शासनकाल (1625-1649 ई.) में चार्ल्स प्रथम और संसद के बीच संघर्ष चल रहा था और इसी संघर्ष के कारण राजा ने अर्थात चार्ल्स प्रथम ने संसदों की बैठक तीन बार बुलवाई लेकिन बिना किसी नतीजे पर पहुंचे संसद पद को भंग कर दिया गया। इस प्रकार चार्ल्स प्रथम ने बिना संसद के ही शासन किया। इस शासन काल को इतिहास में निरंकुश शासन काल भी कहा जाता है। आईये अब जानते हैं धार्मिक संघर्ष के बारे में, धार्मिक संघर्ष मुख्यत: रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट धर्म के मध्य का संघर्ष था।
गृह युद्ध क्या है, गृह युद्ध किसे कहते हैं
जैसा कि हमें सुनने में या पढ़ने में आ रहा है गृह यानि कि घर या हम कह सकते हैं कि घर-घर की लड़ाई चलिए हम इसे आसान भाषा में आपको समझाने का प्रयास करते हैं। गृह युद्ध एक ऐसी लड़ाई है जो एक देश के नागरिकों में होती है। यह युद्ध देश के अंदर संगठित गुटों के मध्य होती है। गृह युद्ध के दौरान कई गुट अपने अधिकार के लिए लड़ते हैं। जैसे कि देश पर नियंत्रण पाने, सरकारी नीतियों को बदलने, अपने क्षेत्र को स्वतंत्र बनाने इन सभी उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु गृह युद्ध होता है।
इंग्लैंड एक देश है और उसमें रहने वाले लोग अलग-अलग राज्यों में बटे हुए हैं, और एक राज्य में रोमन कैथोलिक को मानने वाले लोग अधिक रहते हैं और दूसरे राज्य में प्रोटेस्टेंट धर्म को मानने वाले लोग अधिक रहते हैं तो इन लोगों के आपसी मतभेद के कारण यह संघर्ष ने जन्म लिया है।
परिणाम स्वरूप गृह युद्ध बहुत घातक होते हैं इससे देश में गरीबी भुखमरी आदि फैलती है।
इंग्लैंड में गृह युद्ध के तीन प्रमुख आधार थे जिनके वजह से वहां गृह युद्ध का आरंभ हुआ
1. राजा और संसद के बीच संघर्ष
2. अंग्रेज और राजा के बीच संघर्ष
3. रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट धर्म के बीच संघर्ष
इंग्लैंड में हुए गृह युद्ध के कारण
1. राजा का चरित्र एवं उसकी नीति- सम्राट चार्ल्स प्रथम ने अपने मंत्री वेंटवर्थ के राय के अनुसार 1629 से 1640 ई तक बिना पार्लियामेंट के निरंकुश शासन किया। इस शासन काल को 11 वर्षीय अत्याचार का युग कहते हैं। उसने इस काल में लोगों से बड़े-बड़े दंड के रूप में अनुचित धन संग्रह किया। लोगों को दंडित करने के लिए उसने कोर्ट आफ हाई कमिशन और कोर्ट आफ स्टार चैंबर की स्थापना की। उन्होंने अनेक लोगों को अकारण बंदी बनाया और किसी पर विश्वास न करता था। और किसी के प्रति वफादार नहीं था उसका यह गुण उसके पिता से मिलता जुलता था। उसकी इन कार्यवाही से जनता में असंतोष छा गया।
2. धन संग्रह के अनुचित साधन- चार्ल्स प्रथम का संसद से संघर्ष था ही युद्ध के कारण उसकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई थी युद्ध में जो धन की आवश्यकता थी उसे शीघ्र पूरा नहीं किया जा सकता था। उसे पार्लियामेंट से तो कोई आशा थी नहीं अतः उसने धन संग्रह करने के अनुचित साधन अपनाया इसके परिणाम भी अच्छा ना हुआ। सम्राट जनता के समक्ष अपना सम्मान खो बैठा, तथा उन्होंने उपहार कर्ज तथा संपत्तियों को बेचने के बाद धन एकत्रित करना प्रारंभ कर दिया। और जिन्होंने जेंम्स के साधारण नियम का उल्लंघन किया उनसे एक लाख पाउंड जुर्माना वसूल लिया।
3. अनेक सैनिक करों का लगाया जाना- चार्ल्स प्रथम ने अपने शासनकाल 1629 से 1640 ई. तक इन 11 सालों में निरंकुश शासन किया तथा अपने अधिकारों एवं आदेशों का अनुचित उपयोग किया उसने बहुत से कर्मचारियों और सैनिकों को यह आदेश दे दिया कि वे लोगों को घर जाएं और उनके यहां भोजन करें और सरकारी कार्य करें। उनके इस आदेश से जनता किसी भी समय सम्राट अर्थात चार्ल प्रथम से लड़ने को तैयार थी।
4. लॉर्ड की धार्मिक नीति- इंग्लैंड में अनेक धर्म को मानने वाले थे। सम्राट चार्ल्स प्रथम के शासनकाल में प्यूरिटन, एंग्लिकन तथा कैथोलिक धर्म को मानने वाले इंग्लैंड में थे। सम्राट का धार्मिक क्षेत्र में परामर्शदाता लॉर्ड था। लॉर्ड की नीति पर चलकर चार्ल्स ने पार्लियामेंट से संघर्ष मोर ले लिया। संसद में प्यूरिटन सदस्यों की संख्या अधिक थी सम्राट प्यूरिटनो को घृणा की दृष्टि से देखता था इसका परिणाम यह हुआ कि संसद और सम्राट के बीच विरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई।
5. उन्नीस प्रस्ताव- यदि देखा जाए तो इस युद्ध का कारण सदस्यों का गिरफ्तार किया जाना था, इतना होते हुए भी संसदों ने सम्राट से संघर्ष करना उचित न समझा, संसद के एक प्रार्थना पत्र द्वारा 19 प्रस्ताव सम्राट के सामने पेश किए गए। संसद की कार्यवाही को सम्राट सहन न कर सका और इस प्रकार गृह युद्ध अनिवार्य हो गया।
6. मिलिशिया बिल- जिस समय प्यूरिटन नेताओं की बात चल रही थी उस समय आयरलैंड में एक विद्रोह हो गया। यह विद्रोह चार्ल्स प्रथम और पार्लियामेंट के साथ था। सम्राट तथा पार्लियामेंट दोनों एक दूसरे को शंका की नजरों से देखते थे। पार्लियामेंट ने अपनी ओर से सेवा में कुछ अधिकारियों की नियुक्ति की। पार्लियामेंट की इस कार्यवाही को सम्राट ने अपना अपमान समझा। संसद की इस कार्यवाही से सम्राट काफी घबरा गया, और इसी समय का फायदा उठाते हुए सांसद ने चार्ल्स प्रथम की पत्नी पर अभियोग (चक्कर) चलाने का निश्चय किया। सांसद का यह कदम ही झगड़े का कारण बना।
प्यूरिटन क्या है
प्यूरिटन एक धर्म सुधार आंदोलन था, यह आंदोलन इंग्लैंड में 16वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ था। यह आंदोलन अंग्रेजी प्रोटेस्टेंट और रोमन कैथोलिक इन दोनों के मध्य था। अंग्रेजी प्रोटेस्टेंट ने रोमन कैथोलिक चर्च को शुद्ध करने की मांग की, जो की बुरी प्रथाओं से आजाद नहीं हुआ था, इसलिए अंग्रेजी प्रोटेस्टेंट रोमन कैथोलिक को शुद्ध करने का मार्ग अपनाया था। इसीलिए इसे प्यूरिटन कहा जाता है।
पार्लियामेंट क्या है
पार्लियामेंट राष्ट्रपति और दो सदनों राज्यसभा और लोकसभा का द्विसदनीय विधानसभा है। राज्यसभा में संसदों की नियुक्ति करते समय यहां का सभापति उपराष्ट्रपति होता है। और लोकसभा में संसदों की नियुक्ति जनता करती है।
भारतीय सांसदों का मुख्य उद्देश्य नए कानूनों का व्यवस्था कर सरकार की नीतियों का निर्धारण करना और नागरिकों के हित में कार्य करना है।
इंग्लैंड में हुए गृह युद्ध के परिणाम
1. सम्राट की हत्या- अंत में इस युद्ध ने अपना घातक परिणाम यह दिखाया की सम्राट को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। सांसदों ने सम्राट पर देशद्रोह का आरोप लगाकर उसे अपराधी घोषित किया और मृत्यु दंड दिया। 30 जनवरी 1649 ई. में सम्राट 'चार्ल्स प्रथम' को फांसी दे दी गई।
2. लाॅर्ड सभा का अंत- क्रोमवैल ने सम्राट के शासन के साथ-साथ लाॅर्ड सभा को भी समाप्त कर दिया, अब इंग्लैंड एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में हो गया और एक नवीन प्रकार की सरकार देश में स्थापित हुई।
3. काउंसिल ऑफ स्टेट का जन्म- देश का शासन सुचारू रूप से संचालित करने के लिए एक काउंसिल बनाई गई इस काउंसिल में 41 सदस्य थे।
4. क्रोमवैल के निरंकुश राज्य की स्थापना- धीरे-धीरे क्रोमवैल भी सम्राट चार्ल्स प्रथम की तरह स्वेच्छाचारी हो गया जिस सम्राट का सिर काट लिया गया था वही फिर देश में दिखाई देने लगा सन् 1660 ई. में यह शासन बदनाम होकर समाप्त हो गया।
5. सम्राट का शहीद माना जाना- सम्राट की निर्मम हत्या ने लोगों के मासूम विदाईयों को दहला दिया। सम्राट पर अभियोग चलाना एक ढोंग मात्र था। सम्राट को अपनी सफाई प्रस्तुत करने का अवसर नहीं दिया गया। इसलिए जनता ने सम्राट को शहीद मान लिया और आगे चलकर वह क्रोमवैल के विरुद्ध हो गई।
निष्कर्ष:
इस प्रकार इंग्लैंड में गृह युद्ध के करण न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक संरचनाओं में महत्वपूर्ण बदलाव लाए, और धार्मिक व साम्प्रदायिक समझौते को भी बढ़ावा दिया। इसने एक नये और आधुनिक ब्रिटेन की नींव रखी, जिसने लोगों को स्वतंत्रता, समानता, और न्याय की ओर अग्रसर किया। युद्ध के परिणामस्वरूप, एक संविधानिक राष्ट्र की उत्पत्ति हुई, जो लोगों को अधिक समानता और सामान्य मानवाधिकारों के संरक्षण की गारंटी देता है। इस रूपरेखा से हम देख सकते हैं कि गृह युद्ध ने इंग्लैंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय निर्मित किया, जिसके प्रभाव आज भी महसूस किए जा रहे हैं।
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