उद्यमी का अर्थ,परिभाषा,विशेषताएं एवं लक्षण, कार्य,प्रकार

 उद्यमी का अर्थ

किसी निश्चित उद्देश्य के लिए संसाधनों को जुटाना उसे कार्य की योजना बनाना उसे योजना के अनुसार कार्य को पूरा करना और उससे लाभ अर्जित करना जो जीविकोपार्जन का एक साधन होता है व्यवसाय में जोखिम उठाने की क्षमता को ही उद्यमी कहलाता है।


उद्यमी की परिभाषा

आर.टी. इली के अनुसार — वह व्यक्ति जो उत्पादक घटको को एकत्र करना एवं निर्देशित करता है।

आर्थर डेविंग के अनुसार - उद्यमी वह व्यक्ति है जो विचारों को लाभदायक व्यवसाय में रूपांतरित करता है।


उद्यमी की विशेषताएं एवं लक्षण

उद्यमी की प्रमुख विशेषताओं को निम्न शिक्षकों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है—

1.व्यक्तियों का समूह होना

उद्यमी एक व्यक्तियों का समूह होता है जब एक व्यक्ति स्वयं के स्तर पर नव प्रवर्तन करता है या व्यावसायिक उपक्रम शुरुआत करता है तो उसे व्यक्तिगत उद्यमी कहलाता है। इसके फल स्वरुप छोटे व्यवसाय उद्यमी की भूमिका निभाती है परंतु आजकल के युग में बड़ी-बड़ी कंपनियों का स्थापना किया जाने लगा है

2. नई तकनीकियों का होना

आजकल के समय में उद्यमी ही समझ में नई तकनीकियों के माध्यम से कार्य करता है नई मशीनों की स्थापना करते हैं नए उत्पादन की खोज करते हैं एवं नई तकनीकियों को अपनाते है

3. जोखिम कार्य करना

एक उद्यमी सदैव जोखिमों में जीना पसंद करता है क्योंकि उद्यमी मुख्य रूप से जोखिम उठाने वाला व्यक्ति होता है जोखिमों का ठीक ठीक पूर्वानुमान करना अत्यंत कठिन भी होता है उद्यमी अपनी विवेकपूर्ण योजनाओं व ठोस निर्णय से जोखिमों का सामना करता है एक उद्यमी सदैव जोखिम लेना ही पसंद करता है।

4. साधनों की व्यवस्था करने वाला व्यक्ति

उद्यमी उपक्रम की स्थापना के लिए सभी आवश्यक संसाधन जैसे पूंजी ,श्रम ,भूमि, यंत्र आदि की व्यवस्था करता है एवं व्यवसाय आवश्यकता सभी सूचनाओं तकनीक उपलब्ध कराता है।

5. नई मशीनों की स्थापना

बड़ी देश में उत्पादन होने के कारण उत्पादन वितरण का कार्य महत्वपूर्ण माना जाता है विकसित देशों में भी उद्यमी नई-नई मशीनों को स्थापित करके औद्योगिकी क्रियाओं का वितरण करता है।

6. व्यावसायिक अवसरों की खोज

उद्यमी सदैव व्यावसायिक अवसरों की खोज में लगा रहता है वह इनका विद्रोह करके लाभ अर्जित करता है उद्यमी प्रत्येक अवसरों को एक चुनौती की  तरह सदैव स्वीकार करता है लेकिन अवसरों का लाभ उठाने के लिए वह अपनी नैतिकता कभी नहीं भूलता है।

7. आशावादी दृष्टिकोण होना

एक उद्यमी सदैव उसका दृष्टिकोण आशावादी होना चाहिए क्योंकि व्यवसायिक चुनौती से हार नहीं मानता न  हीं हानियों का दशा में निराश होता उसे अपने लक्ष्य की प्रति भरोसा होता है साहसिक अपने मार्ग में आने वाली रुकावट को बिना चिंता के उसे चुनौतियों को पर करता है इसी कारण उद्यमी को उत्तम श्रेष्ठ का व्यक्ति कहा जाता है

8. प्रभावी नेतृत्व करता

उद्यमी को व्यवसायिक जगत का नेतृत्व करने वाला कहते हैं क्योंकि वह व्यवसाय एवं उद्योग का नेतृत्व प्रदान करता है और साथ ही समाज को एक नई दिशा प्रदान करता है वह समाज में औद्योगिक की संभावनाओं का पता लगाकर उद्योग व्यवसाय एवं अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ता है।


उद्यमी के कार्य

उद्यमी के कार्य निम्नलिखित है—

(I) स्थापना संबंधित कार्य

उद्यमी के कार्य सर्वप्रथम उपक्रमों का प्रवर्तन करना होता है उपक्रम की स्थापना करते समय उद्यमी को अनेक कार्य करने होते हैं जो प्रमुख कार्य निम्न है–


1. व्यावसायिक विचार की कल्पना करना—  एक व्यक्ति पर्याप्त कल्पना शक्ति की मदद के द्वारा किसी सृजनात्मक विचार की खोज करता है और अपने मौलिक एवं व्यवहारिक विचारों से किसी उपक्रम या उद्योग की स्थापना की कल्पना करता है प्रत्येक समाज में व्यक्तियों को अनेक अवसर दिया जाता है साहसिक आर्थिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र में लक्ष्य की खोज करता है।

2. विचार की जांच पड़ताल करना— प्रारंभिक विचार बन जाने के बाद उद्यमी अपने प्रस्ताव की व्यवहारिकता का मूल्यांकन करता है उसे विचार की जांच पड़ताल से उसको यह सुनिश्चित हो जाता है कि इस विचार को कार्य रूप में लिया जाए तो धन के दुरुपयोग की संभावना समाप्त किया जा सकता है।

3. परियोजना नियोजन— व्यावसायिक उपक्रम की सफलता के लिए प्रभावी नियोजन आवश्यक होता है किसी भी उद्देश्य के लिए नियोजन अधिक महत्वपूर्ण होता है जो उद्यमी आवश्यक सूचनाओं एवं एकत्रित करते हैं उसे सूचनाओं का विश्लेषण करके विभिन्न विकल्प प्राप्त होते हैं उसके अनुसार कार्य किया जाता है।

4. उद्यमी को आवेदन तैयार करना— परियोजना आवेदन सूचनाओं के रूप में तैयार किया गया एक विशेष विवरण होता है जो की परियोजना नियोजन के आधार पर तैयार किया जाता है यह उपक्रम संबंध में लिए गए निर्णय का एक विश्लेषण आवेदन होता है।

5. उद्यमी का अनुमोदन करना—  उद्यमी उपक्रम का पंजीयन करवाने, आवश्यक अनुमति, स्वीकृत एवं लाइसेंस प्राप्त करने, सुविधा एवं प्रेरणा प्राप्त करने, बैंक एवं वित्तीय संस्थाओं से वित्तीय प्राप्त करने आदि के संबंध में आवेदन का अनुमोदन किया जाता है।

(II)  प्रबंध संबंधित कार्य

प्रबंध संबंधित कार्य निम्नलिखित हैं–

1. उपक्रम का प्रबंध करना—  एक उपक्रम की स्थापना के पश्चात व्यक्ति को इसका संचालन एवं प्रबंध इस प्रकार करना होता है ताकि असफलता का सामना ना करना पड़े बड़ी कंपनियों के रूप में स्थापित बड़े उपक्रम का संचालन एवं प्रबंध पेशेवर व्यक्तियों द्वारा ही किया जाना चाहिए ताकि बड़ी मुसीबतों को ना देखना पड़े कर्मचारियों में कार्यों का वितरण करना एवं आवश्यक अधिकार दायित्व प्रदान करना होता है।

2. पैसों का व्यवस्था करना— व्यक्तियों को अपनी पैसे योजना के अनुसार विभिन्न स्रोतों से आवश्यक वित्तीय की व्यवस्था करना चाहिए ताकि उपक्रम की अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन पूंजीगत आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कार्यशील पूंजी की व्यवस्था किया जा सके व्यक्ति अपना समय-समय पर अपनी वित्तीय योजना में परिवर्तित भी प्राप्ति के संबंध में करते रहना चाहिए।

3. प्रभावी विपणन व्यवस्था करना— आजकल की बढ़ती marketing को देखते हुए लोग आपस में ही प्रतियोगिता करने लगते हैं व्यक्ति अपना वास्तु बेचने के लिए बाजार अनुसंधान आदि कार्य करता है वह कुशल विक्रय करता है ताकि वह नियुक्ति कर सके ।

4. लोगों को परिश्रम प्रदान करना — व्यक्ति इस कार्य के अंतर्गत उत्पादन के प्रत्येक साधन को सेवा में बदलने एवं उचित पारिश्रमिक प्रदान करता है व्यक्ति यह महत्वपूर्ण कार्य जो आय को उत्पत्ति के विभिन्न साधनों में विस्तारित करने से संबंधित है

5. जोखिम उठाना— उद्यमी व्यवसाय में जोखिमों के साथ जीता है व्यवसाय के संचालन एवं विकास की अनेक जोखिमों को वहन करता है जोखिम के बिना व्यवसाय की कल्पना करना संभव होता है व्यवसाय में हमें यह देखने को मिलता है कि वह पाक पाक पर ज्ञात एवं अज्ञात जोखिम बनी रहती है


(III) आधुनिक कार्य

आर्थिक विकास की उच्च अवस्था में व्यक्ति इन कार्यों को करता है सामाजिक हित की दृष्टि में देखा जाए तो यह कार्य निम्न रूप से करने होते हैं–

1. नई तकनीकियों का उपयोग करना— आधुनिक समय में नई तकनीकियों को व्यक्ति सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है अपनी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति में सुधार करने एवं समाज को अधिक संतुष्टि प्रदान करने के लिए व्यक्ति नई तकनीकियों का विकास चाहता है और वह समझ में नई परिवर्तन को जन्म देता है।

2. विकास हेतु कार्य करना— आधुनिक समय में देश  उद्यमिता के विकास हेतु सरकारी विभागों जैसे बैंक,वित्तीय ,व्यावसायिक एवं तकनीक संगठन, प्रबंध संस्थाओं आदि द्वारा समय-समय पर विकास कार्यक्रम का आयोजित की जाती है

3. राष्ट्रीय विकास में योगदान— उद्यमी समाज के संसाधनों का उपयोग करता है इसलिए उसे भी समाज की श्रेष्ठ रचना में पूर्ण सहयोग देना चाहिए समाज के भौतिक एवं मानवीय संसाधनों का अधिकतम विद्रोह होता है उद्यमी राष्ट्रीय विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

4. व्यवसाय को सुधार प्रदान करना— उद्यमी अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालन करते हुए इसके सुनहरे भविष्य का निर्माण करता है व्यक्ति का वास्तविक कार्य उपक्रम के वर्तमान एवं भविष्य दोनों को सुरक्षित बनता है एक उद्यमी को प्रत्येक योजना का निर्माण दीर्घकालीन में करना चाहिए ताकि विद्यमान व्यवसाय को भविष्य में जीवित रखने का क्षमता उसको प्रदान किया जा सके।


उद्यमी के प्रकार

उद्यमी के व्यक्तित्व स्वरूप क्षमता दृष्टि निम्न है—

(1) नव परिवर्तन योग्यता के आधार पर 

1. नव प्रवर्तक उद्यमी — नव प्रवर्तक उद्यमी वह होता है जो अपने व्यवसाय के कोई नवीन परिवर्तन करता है जैसे नई वस्तुओं का उत्पादन ,उत्पादन की नई विधि, नए यंत्र एवं उपकरण,नया कच्चा माल ,नई बाजार, नई प्रबंधन व्यवस्था आदि को अपनाना ही नाव प्रवर्तक माध्यमिक कहलाता है।

2. सावधान उद्यमी— यह उद्यमी सफल उद्यमियों की नकल करने में अत्यंत सावधान रहता है यह किसी भी प्रकार की जोखिम लेना पसंद नहीं करता है सदैव अनिश्चित एवं संदेह की स्थिति में रहने के कारण यहां तक की दूसरे व्यक्तियों की नकल नहीं करता जब तक कि उसे यह विश्वास नहीं हो जाता यदि ऐसा नहीं किया गया तो दोनों व्यक्तियों को हानि होगी यदि व्यक्ति अनिश्चित में रहने के कारण अंतिम श्रेणी में निर्णय लेता है कि ऐसे व्यक्ति आवेशित राष्ट्रों में ही विद्यमान रहते हैं।

3. आलसी उद्यमी— असली उद्यमी वह होता है जो 9 कर्म के प्रति उदासीन रहता है यह व्यक्ति आरामदायक जीवन जीना चाहता है ताकि उसे किसी प्रकार की जोखिम उठाना ना पड़े या चुनौतियों का सामना न करना पड़े इसलिए वह आराम दायक जीना पसंद करता है इसलिए उसे आलसी उद्यमी कहा जाता है।

(2). सामाजिक लाभ की दृष्टि से

 1. सोखने वाला उद्यमी — यह व्यक्ति केवल स्वयं के हित में कार्य करना अधिक पसंद करता है जिसे  अत्यधिक लाभ अर्जित करने वाला व्यक्ति कहा जाता है यह व्यक्तिगत लबों को बढ़ाने के लिए पूर्ण प्रयास करता है और उसे परिश्रम के गौरव में विश्वास रखता है इसलिए उसकी आवश्यकता तीव्र नहीं होती है यह स्वयं केंद्रीय होता है ताकि समाज के हित में आवश्यकताओं की अपेक्षा करता है यह अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति उदासीन रहता है ऐसे साहसिक व्यक्ति लाभ अर्जित करने में अत्यधिक आगे रहते हैं।

2. आदर्श उद्यमी— आदर्श उद्यमी वह होता है जो अपने व्यवसाय को सामाजिक हित में लाभ के लिए संचालित या स्थापित करता है अपनी व्यवसाय एवं औद्योगिकी क्रियो के द्वारा सामाजिक लक्षण की पूर्ति करता है उससे विशेष ध्यान देता है समाज में रोजगार,आय, आर्थिक उपयोगिता नए मूल्यों में जीवन स्टार के सृजन के लिए प्रयास शीलता होना अत्यंत आवश्यक होता है इसलिए इसे आदर्श व्यक्ति कहा गया है।

(3) विभिन्न क्रियो के आधार पर

1. अकाल स्व-नियुक्त उद्यमी— यह व्यक्ति अपना कार्य करने में स्वतंत्र होता है जैसे की रंगमंच के कलाकार नलसाज,चिकित्सा आदि

2. कार्य शक्ति निर्माता — इस श्रेणी में व्यक्ति आते हैं जो स्वतंत्र रूप से यंत्र शालाओं,कंप्यूटर, इंजीनियर सेवा फॉर्म की निर्माण एवं संचालन करते हैं।

3. मित व्यय स्तर उद्यमी— यह व्यक्ति उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में बचत करवाने एवं उन्हें छूट प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है एवं डाक व्यवसाय व्यापारी आदि भी सम्मिलित होते हैं।



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