कंपनी का सदस्य किसे बनाया जाता है?

कंपनी का सदस्य किसे बनाया जाता है|कंपनी का सदस्य कौन बन सकता है बताइए

निम्न प्रकार के व्यक्ति कंपनी के सदस्य बनाए जा सकते हैं— 

1. अनुबंध करने की क्षमता रखने वाले व्यक्ति—प्रत्येक व्यक्ति जो अनुबंध करने की क्षमता रखता है या कंपनी कंपनी का सदस्य बन सकता है दूसरे शब्दों में (1) वयस्क (2) स्वास्थ्य मस्तिष्क का व्यक्ति (3) प्रत्येक ऐसा व्यक्ति जिसे कानून द्वारा अनुबंध करने की अयोग्य घोषित नहीं किया गया हो कंपनी का सदस्य बन सकता है। क्योंकि यह कंपनी की सदस्यता ग्रहण करने से एक अनुबंध का जन्म होता है इसलिए सदस्यों के अनुबंध की क्षमता का विशेष महत्व माना जाता है।

2. विदेशी व्यक्ति— एक विदेशी व्यक्ति ऐसी किसी भी कंपनी का सदस्य बन सकता है जो कि भारत के भीतर रह चुका हो तथा कंपनी अधिनियम में इस संबंध में कोई विपरीत व्यवस्था ना हो।

3. अनिवासी व्यक्ति— यदि कोई नागरिक भारत का निवासी नहीं है तो यह भारत में सम्मिलित किसी भी कंपनी का तब तक सदस्य नहीं बन सकता जब तक कि भारतीय रिजर्व बैंक उसे से आज्ञा प्राप्त नहीं हो सकती कोई भी कंपनी ऐसी व्यक्ति को अंश का आवंटन या वितरण देश में कंपनी के प्रावधानों के अनुसार ही कर सकते है।

4. कंपनी — कंपनी एक वैधानिक व्यक्ति होने के कारण किसी भी कंपनी की सदस्य बन सकती है यदि वह अपने पार्षदसीमा नियम द्वारा अधिकृत हो एक कंपनी दूसरी कंपनी के सदस्य बन सकती है लेकिन कभी भी कंपनी स्वयं की सदस्य नहीं हो सकती है।

5. मिला हुआ हिंदू परिवार — हिंदू परिवार में कंपनी के अंश को एक कर्ता स्वयं अपने अंश को खरीद सकता है इसके अनुसार परिवार का कर्ता कंपनी का सदस्य बन सकता है तथा सदस्यों के रजिस्टर मैं उसका नाम संयुक्त हिंदू परिवार कर्ता के रूप में ही लिख सकता है।

6. साझेदारी फार्म—साझेदारी फर्म व्यक्ति नहीं होने के कारण कंपनी की सदस्य नहीं बन सकती लेकिन एक फार्म सभी साझेदारी के संयुक्त नाम से किसी कंपनी के अंश खरीद सकती है तथा सभी साझेदार अंश के संयुक्त धारक माने जाएंगे

7. अंश की संयुक्त धारक—जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर कंपनी के अंश खरीदते हैं तो वह एक सदस्य माने जाएंगे ।

8. विवाहित स्त्री—कोई भी विवाहित स्त्री अपने निजी धन से कंपनी के अंश खरीद ती है तो वह कंपनी की अंश धारी तथा सदस्य बन सकती है।

9. विशेष —यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की ओर से अंश अपने नाम से खरीदता है तो ऐसा व्यक्ति यह कंपनी का सदस्य माना जाता है जिस व्यक्ति की और से अंश खरीदे जाते हैं अथवा धारण किए जाते हैं कंपनी उसको सदस्य नहीं बनाती है और ना उसको सदस्य के रूप में उत्तरदाई ही ठहरा सकती है सदस्यों को रजिस्टर में केवल अंश धारी का नाम लिखा जाता है

10. सहकारी सीमित—कोई भी सहकारी सीमित जो पंजीकृत है तथा उसका अपने सदस्यों से पृथक अस्तित्व है या गहरा संबंध है कंपनी की सदस्य बन सकती है इस सीमित नियमों में प्रावधान होना आवश्यक है।

11. दिवालिया व्यक्ति—दिवालिया व्यक्ति का नाम जब तक सदस्यों के रजिस्टर से नहीं हटा दिया जाता है तब तक वह कंपनी का सदस्य रहता है और उसे वोट करने का अधिकार रहता है।

12. कल्पनिक व्यक्ति —यदि कोई व्यक्ति काल्पनिक नाम के अंशु को क्रय करने के लिए आवेदन देता है और अंश उसके नाम को आवंटित कर दिए जाते हैं तो वहां सदस्य के रूप में उत्तरदायी होगा।


Comments