प्रविवरण से क्या आशय है, विशेषताएं, उद्देश्य, महत्व

प्रविवरण से क्या आशय है

एक सर्वजनिक कंपनी अपना व्यापार प्रारंभ करने का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के साथ-साथ अपनी पूंजी एकत्र करती है यह कार्य सामान्य जनता को प्रविवरण निर्गमित करके दिया जाता है, एक सार्वजनिक कंपनी के लिए प्रविवरण निर्गमित करना अनिवार्य होता है, जिससे कि वह जनता से पूंजी प्राप्त कर सके यह कंपनी जनता से अंश, ऋण पत्र जमा करने के लिए आमंत्रित करती है जिसे हम प्रविवरण कहते हैं।

प्रविवरण की विशेषताएं

प्रविवरण की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार से है —

1.प्रविवरण एक लिखित प्रलेख या दस्तावेज होता है।

2. यह किसी सार्वजनिक कंपनी द्वारा भी इसे जारी किया जा सकता है।

3. यह किसी निजी कंपनी द्वारा भी जारी किया जा सकता है।

4. यह किसी सूचना पत्र या विज्ञापन के रूप में होता है।

5. प्रविवरण तिथि लिखी होती है जिसे प्रविवरण जारी करने की तिथि माना जाता है।

6. यह एक सार्वजनिक कंपनी द्वारा जनता को दिया गया निमंत्रण है।

7. प्रविवरण में प्रत्येक जनता के हस्ताक्षर होने चाहिए।

प्रविवरण के उद्देश्य

प्रविवरण के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं—

1. जनता को कंपनी के अंश तथा ऋण पत्र क्रय करने के लिए आमंत्रित करना।

2. जनता के अंश तथा ऋण पत्र क्रय करने के लिए दी गई शर्तों एवं छूटों काले खा करने के लिए।

3. प्रविवरण में लिखित बातों के लिए संचालक उत्तरदाई है इस बात की घोषणा करना।


प्रविवरण का निर्गमन कौन कर सकता है 

प्रविवरण का निर्गमन निम्नलिखित में से कोई कर सकता है—

(1) किसी भी सर्वजनिक कंपनी द्वारा।

(2) कंपनी के कर्मचारी व्यक्ति द्वारा।

(3) कंपनी के निर्माण से संबंधित या निर्माण में हित रखने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा।

प्रविवरण का महत्व

प्रत्येक कंपनी के लिए प्रविवरण जारी करना आवश्यक नहीं है एक निजी कंपनी जनता को प्रविवरण निर्गमित ही नहीं कर सकती और एक सर्वजनिक कंपनी को जनता से पूंजी एकत्रित करने के लिए प्रविवरण निर्गमित करना आवश्यक होता है। लेकिन एक सार्वजनिक कंपनी को निम्न दशाओं में प्रविवरण का निर्गमन करना आवश्यक नहीं है—

1. यदि आवेदन पत्र किसी ऐसे व्यक्ति के निर्गमन के संबंध में निर्गमित किया गया हो तो उस अंश ऋण पत्र के लिए कंपनी को रक्षा करना पड़ता है।

2. यदि अंश ऋण पत्रों का निर्गमन केवल विद्यमान अंश धारियों अथवा ऋण पत्र धारियों को ही किया जाता है।

3. यदि अंश या ऋण पत्रों का निर्गमन होता है जो पहले निर्गमित किए गए हो तो उस अंश ऋण पत्रों से मिलते जुलते किसी प्रमाणित स्कंध में व्यवहार किया जाता है।

4. यदि अंश व ऋण पत्रों के लिए जनता को आमंत्रित करना वर्जित हो।

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