प्रदूषण की समस्या पर निबंध | प्रदूषण पर निबंध हिन्दी में 500 शब्द
प्रदूषण क्या है, प्रदूषण का अर्थ प्राकृतिक वातावरण जैसे- जल, वायु, मिट्टी आदि में कुछ ऐसे विषैले पदार्थ मिल जाते हैं जिससे वन्य जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों एवं मानव के लिए हानिकारक साबित होते हैं उन्हें हम साधारण शब्दों में प्रदूषण कहते हैं।
वाकई में आज का युग विज्ञान का युग है और इस विज्ञान के युग ने मानविय जीवों के सुख सुविधाओं के लिए बहुत कुछ दिया है, यह एक सिक्के के दो पहलू के समान कार्य करती है, जहां एक ओर मानव के लिए सुख सुविधाएं मिलती है, तो दूसरी ओर मानव के साथ-साथ वन्य जीव जंतुओं के विनाश का भी कारण बनती है। वाकई में इस युग में प्रदूषण की समस्या बड़े-बड़े शहरों से लेकर अब छोटे-छोटे गांव में भी बहुत अधिक बढ़ती जा रही है।
Note:- आपको याद करने में सुविधा हो इसके लिए हमने छोटा बनाने का प्रयास किया है।
निबंध की रूपरेखा
1. प्रस्तावना
2. प्रदूषण के प्रकार
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- मृदा प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
3. प्रदूषण के दुष्परिणाम
4. समस्याओं का समाधान
5. उपसंहार
1. प्रस्तावना- प्रदूषण विश्व की सबसे बड़ी समस्या है जो कम होने के बजाय हर दिन बढ़ती जा रही है, और इस प्रदूषण की वजह से पृथ्वी पर कई प्रकार की जीव जंतुओं और मनुष्यों को कई घातक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक संतुलन में भी दोष पैदा हो रहे हैं।
2. प्रदूषण के प्रकार- मुख्य रूप से प्रदूषण के चार प्रकार होते हैं-
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- मृदा प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
1. जल प्रदूषण- कल-कारखानों एवं घरों से निकलने वाले अपशिष्ट जल या दूषित जल जो पीने और अन्य किसी उपयोग करने योग्य ना हो उसे जल प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती है।
2. वायु प्रदूषण- पर्यावरण का सबसे खतरनाक प्रदूषण वायु प्रदूषण है वायु के दूषित होने के कारण पृथ्वी के ऊपर वाला ओजोन गैस का सुरक्षा चक्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है, वायु प्रदूषण का मुख्य कारण कारखानों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इस धुएं से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
3. मृदा प्रदूषण- मिट्टी में होने वाले प्रदूषण को मृदा प्रदूषण कहते हैं। मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों के उपयोग करने से होती है, रासायनिक खादों का उपयोग करने से मृदा की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है जिससे फसल में मंदी देखने को मिलती है। ऐसे रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों को फसलों में नहीं देना चाहिए। शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के बढ़ने के कारण मृदा प्रदूषण हो रही है।
4. ध्वनि प्रदूषण- ध्वनि प्रदूषण ऐसे ध्वनियों को कहते हैं जो जीव जंतुओं व मानव के सुनने की सहनशक्ति या क्षमता को पार कर जाती है उसे हम ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। जैसे गाड़ियों की तेज आवाज, लाउड स्पीकर, कारखाने आदि हाथी से यह प्रदूषण होता है।
3. प्रदूषण के दुष्परिणाम- प्रदूषण के कारणों पर विचार करने से यह ज्ञात होता है कि प्रदूषण के कारण मानव के स्वास्थ्य जीवन में खतरा पैदा हो रहा है। प्रदूषण के कारण मानव खुली हवा में सांस नहीं ले पा रहा है, पीने के लिए शुद्ध जल में कमी देखी जा रही है। नदियों का पानी धीरे-धीरे प्रदूषण के कारण काला होता जा रहा है, इससे जल्दी जियो तथा मानव भी प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक असंतुलन पैदा हो रहे हैं और कई प्रकार के जीव और प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है।
4. समस्याओं का समाधान- प्रदूषण को कम करने के लिए हमें लोगों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। वनों की कटाई को रोकना होगा तथा अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने की आवश्यकता है। वर्षा के जल को एकत्रित करके उसे पुनः उपयोग में लाना होगा। सरकार को भी समय-समय पर प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने की आवश्यकता है। बढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
5. उपसंहार- प्रदूषण मानव तथा वन्य जीव जंतुओं के लिए भी गंभीर समस्या है प्रदूषण कम करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है, हमारा कर्तव्य है कि हम प्रदूषण के खिलाफ अपना योगदान देकर पर्यावरण को सुरक्षित बनाए रखें। मानव तथा जीव जंतुओं के कल्याण के लिए पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखना नितांत आवश्यक है।
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