हिटलर की विदेश नीति के उद्देश्य

हिटलर की विदेश नीति के उद्देश्य

हिटलर की विदेश नीति के उद्देश्य इस प्रकार से है_

1. वर्साय की संधि का अंत- हिटलर विदेश नीति के जरिए वर्साय की संधि को समाप्त कर दिया। उसने मित्र राष्ट्रों को युद्ध के हर्जाने की रकम देना बंद कर दिया।

2. राष्ट्र संघ से अलग होना- सन 1933 में जर्मनी ने राष्ट्र संघ से संबंध अलग कर दिए।

3. पोलैंड पर आक्रमण- हिटलर पोलैंड से डेन्जिग बंदरगाह और बाल्टिक सागर तक पहुंचने के लिए रास्ते की मांग कर रहा था, लेकिन पोलैंड ने देने से इंकार कर दिया जिसके फलस्वरूप 1939 ईस्वी को हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया इसके साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हो गया।

4. रोम-बर्लिन- टोक्यो दूरी का गठन- साम्यवाद के विरोध में रोम बर्लिन टोक्यो धुरी का गठन किया गया। इटली की राजधानी रोम जर्मनी की राजधानी बर्लिन और जापान की राजधानी टोक्यो थी इसे धुरी राष्ट्र कहा गया।

5. रूस के साथ समझौता- सन 1939 में रूस ने एक समझौता किया जिसमें यह निर्णय लिया गया कि जर्मनी और रूस एक दूसरे के ऊपर आक्रमण नहीं करेंगे।

6. ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार- ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया में जर्मन जातियों की अधिकता थी अतः हिटलर ने आक्रमण कर उन्हें अपने अधिकार में ले लिया।

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