वित्तीय प्रबंधन के उद्देश्य | वित्तीय प्रबंधन के कार्य | वित्तीय प्रबंधन का महत्व

वित्तीय प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य | Vittiye prabandh ke uddeshy

वित्तीय प्रबंध के उद्देश्य इस प्रकार से हैं

1. अधिकतम लाभ की प्राप्ति- कुछ विद्वानों का मानना है कि वित्तीय प्रबंध का पहला उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना है। ‌ अतः वित्तीय प्रबंध से अधिकतम लाभ प्राप्त करने हेतु इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

  • लाभ न्याय संगत होना चाहिए।
  • लाभ प्राप्ति हेतु एक मानक तैयार करना चाहिए।
  • लाभ और उपयोगिता में सामंजस्य होना चाहिए।
  • लाभ का अधिकांश भाग जनहित में वितरित होना चाहिए।

2. अधिकतम प्रतिफल की प्राप्ति- वित्तीय प्रबंध का दूसरा सबसे बड़ा उद्देश्य लागत और विनियोग द्वारा अधिकतम प्रतिफल की प्राप्ति करना है। जिससे प्रबंध के स्वामी, अंशधारी, प्रबंधक कर्मचारी और श्रमिकों को अधिक लाभ दिया जा सके। क्योंकि यह सभी समाज के अंग हैं और कंपनी से संबंधित इन सभी वर्गों का आर्थिक विकास करना कंपनी का प्रथम दायित्व है। इसलिए कंपनी का अधिकतम प्रतिफल प्राप्त करना अति आवश्यक है।

3. संपत्ति के मूल्य को अधिकतम करना- वर्तमान में लाभ को बढ़ाने के स्थान पर संपत्ति को बढ़ाना वित्तीय प्रबंध का उद्देश्य माना जाने लगा है। वित्तीय प्रबंध के अंतर्गत ऐसे कार्य किए जाने चाहिए जिससे संपत्ति के मूल्य में वृद्धि हो। क्योंकि संपत्ति के मूल्य में वृद्धि होगी तो कंपनी और अधिक मजबूत होगी। अतः इस तरह से वित्तीय प्रबंध व्यवस्था का उद्देश्य कंपनी की संपत्तियों को बढ़ावा देना होना चाहिए।

4. न्यूनतम लागत पर वित्त का अंतरण- वित्तीय प्रबंध का मुख्य उद्देश्य न्यूनतम लागत पर संस्था को पर्याप्त वित्त दिलवाने से है। कोई भी संस्था वित के अभाव में या कमी होने से तरक्की नहीं कर सकती है।


वित्तीय प्रबंध के चार प्रशासनिक कार्य लिखिए

वित्तीय प्रबंध के चार प्रशासनिक कार्य इस प्रकार से हैं

1. वित्तीय पूर्वानुसार- वित्तीय प्रबंधक अपने उपक्रम में लक्ष्यों, योजनाओं, विकास एवं कार्यों की प्रकृति के अनुरूप वित्तीय आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाना होता है।

2. वित्तीय नियोजन- वित्तीय पूर्वानुमानों के आधार पर वित्तीय प्रबंधक वित्तीय नियोजन का कार्य करता है, जिसके अंतर्गत पूंजी की मात्रा व अवधि, वित्त के स्रोत, ऋण अंशपूंजी अनुपात, लेखांकन का प्रारूप आदि के संबंध में निर्णय लिए जाते हैं।

3. वित्तीय नियंत्रण- वित्त प्रबंधक वित्त विभाग का प्रमुख अधिकारी होता है, किस विभाग को कितनी राशि स्वीकृत करना है तथा कुल राशि का अनुमान लगाना आदि का लेखा जोखा वित्त नियंत्रण संबंधी कार्य वित्त प्रबंधक को करना पड़ता है।

4. विभागों में समन्वय- उत्पादन की प्रत्येक विभाग से वित्त का प्रत्यक्ष संबंध होता है अतः वित्त प्रबंधक अन्य विभागों में वित्त के संबंध में एक समन्वय कार्य करता है ताकि प्रत्येक विभाग का बजट सुदृढ़ ढंग से बनाया जा सके।


वित्तीय प्रबंध के कार्य लिखिए

वित्तीय प्रबंधन के कार्य को निम्न तीन भागों में बाँटा जा सकता है, वित्तीय प्रबंधन के कार्य इस प्रकार से हैं।

1. प्रशासकीय कार्य

  1. वित्तीय पूर्वानुमान लगाना
  2. वित्तीय नियोजन
  3. वित्तीय संगठन
  4. विभागों में समन्वय
  5. वित्तीय नियंत्रण

2. क्रियात्मक कार्य

  1. वित्तीय व्यवस्था करना
  2. कोषों का आबंटन
  3. आय का प्रबंध करना
  4. रोकड़ प्रबंध
  5. पूंजी उत्पादकता में वृद्धि
  6. लाभ नियोजन
  7. प्रतिवेदन प्रस्तुत करना
  8. अभिलेख रखना
  9. विनियोग संबंधी निर्णय लेना
  10. संपत्तियों की प्रबंध नीतियों का निर्माण करना
  11. वित्तीय निर्णय लेना
  12. वित्तीय साधनों से संपर्क
  13. वित्तीय निष्पादन का विश्लेषण
  14. उच्च प्रबंधक को परामर्श।

3. दैनिक एवं सलाहकारी कार्य

  1. संपत्ति का प्रबंध
  2. रोकड़ का प्रबंध
  3. वित्तीय लेखा रखना
  4. वित्तीय प्रतिवेदन
  5. अन्य कार्य

वित्तीय प्रबंधन का महत्व

वित्तीय प्रबंधन का महत्व को हम निम्न बिंदुओं पर स्पष्ट कर सकते हैं, वित्तीय प्रबंध का महत्व इस प्रकार से है.

1. उपक्रम की सफलता का आधार- उपक्रम का स्तर छोटा हो या बड़ा, निर्माणी संस्था हो या किसी प्रकार की सेवा देने वाली संस्था, सभी संस्था की सफलता का मूल आधार वित्तीय प्रबंध का उचित नियोजन है। एक लाभ देने वाले उपक्रम को अकुशल वित्तीय प्रबंध सब कुछ तहस नहस कर सकता है।

2. विनियोक्ताओं के लिए महत्व- देश की जनता अपनी छोटी-छोटी बचतों या पैसों को किसी कंपनी या संस्था में विनियोग या Invest करते हैं इसके लिए वित्तीय प्रबंध का ज्ञान होना अति आवश्यक है, अन्यथा दलालों और बिचौलियों की मदद लेकर आम लोग कभी-कभी परेशानी में पड़ सकते हैं।

3. वित्तीय संस्थाओं के लिए महत्व- वित्तीय संस्थाओं के लिए वित्तीय प्रबंध का विशेष महत्व है, क्योंकि किसी संस्था या व्यक्ति को ऋण देना या ना देना इसके लिए निर्णय हेतु वित्तीय प्रबंध का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। ताकि धन की सुरक्षा बनी रहे।

4. कर्मचारियों के लिए महत्व- वित्तीय प्रबंध कर्मचारियों के लिए प्रत्यक्ष रूप से महत्व देता है, वित्तीय प्रबंध से संस्था का विकास होगा, साथ ही साथ संस्था के कर्मचारी भी अपना विकास चाहते हैं, अतः अच्छे वित्तीय प्रबंध से कर्मचारियों को वित्तीय लाभ मिलते हैं।


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