समाजशास्त्र का मनोविज्ञान के साथ संबंध

समाजशास्त्र का मनोविज्ञान के साथ संबंध: मनुष्य के मन को विषय बनाकर मनोविज्ञान (Psychology) का विकास हुआ है।  मनुष्य जो सोचता है और जिस प्रकार से कार्य करता है व जिन परिस्थितियों में मनुष्य रहता है और उनका उसके मन पर क्या प्रभाव पड़ता है, मनुष्य कौन से कार्य आंतरिक प्रेरणा से करते हैं और कौन से कार्य बाह्य प्रभाव के द्वारा करते हैं इन सब का अध्ययन मनोविज्ञान में किया जाता है।

मनुष्य जिस स्थान पर रहते हैं वहां किस प्रकार के व्यवहार करते हैं इन सबका अध्ययन हम मनोविज्ञान में करते है। लेकिन मनुष्य के इन व्यवहारों का संबंध समाज के साथ है। समाज में मनुष्य एक सदस्य के रूप में अन्य मनुष्यों के साथ संबंध स्थापित होने के कारण ही मनुष्य कई प्रकार के व्यवहार करते हैं। और इन्हीं व्यवहारों का अध्ययन समाजशास्त्र भी करता है, अतः समाजशास्त्र और मनोविज्ञान दोनों ही मनुष्य के आचरण और व्यवहारों का अध्ययन करते हैं इस तरह से समाजशास्त्र और मनोविज्ञान के साथ संबंध स्थापित हुए हैं।

और मनोविज्ञान की एक प्रमुख शाखा है जिसे हम सामाजिक मनोविज्ञान (Social Psychology) कहते हैं। इसका विषय मनुष्य के सामाजिक व्यवहार ही है। इसका विषय समाजशास्त्र के अंतर्गत ही आता है। अतः समाजशास्त्र मनुष्य के बाह्य रूप का विवेचना करता है और मनोविज्ञान मनुष्य के आंतरिक रूपों का विवेचना करता है। अतः बाह्य रूप को समझे बिना आंतरिक रुप को समझना कठिन है और आंतरिक रुप को समझे बिना बाह्य रूप को समझना असंभव है।

इस विषय में मैकाइवर ने लिखा है- “समाजशास्त्र मनोविज्ञान को सहायता देता है ठीक वैसे ही जैसे मनोविज्ञान समाजशास्त्र की सहायता करता है।”‌

प्यार, विरोधी, द्वेष, घृणा, सहयोग इन सबके कारण मनुष्य एक दूसरे से कई प्रकार के संबंध बनाते हैं, वे मानसिक तत्व ही हैं। इन्हीं के कारण ही मनुष्य उन संबंधों का निर्माण करते हैं जिनके जाल को हम समाज कहते हैं। समाजशास्त्र में इन्हीं तत्वों को Facts के रूप में अध्ययन किया जाता है। लेकिन यह तत्व मनोविज्ञान के विषय हैं क्योंकि ये मानसिक तत्व ही हैं, लेकिन मनुष्य के सभी व्यवहार और संबंध इन्हीं मानसिक तत्वों पर आश्रित नहीं होते हैं। बल्कि इन्हें भौतिक व अन्य परिस्थितियां भी प्रभावित करती हैं।

एक समय में भारत की नारियां पति के शव के साथ ही आत्मदहन करती थी। इस प्रथा का कारण उनकी मानसिक भावनाएं थी। इसलिए सामाजिक व्यवहारों के अध्ययन के लिए मनोविज्ञान का बहुत उपयोग है। किसी भीड़ भाड़ में जब बहुत से मनुष्य एक साथ एकत्र हो जाते हैं तो उनके मन एक विशेष दिशा में काम करने लगते हैं। किसी सांप्रदायिक दंगे के समय इस सामूहिक मन के कारण व्यक्ति इस प्रकार के आचरण व व्यवहार करने लगते हैं जो कि सामान्य स्थिति में वे कभी नहीं करते हैं। सामूहिक मन की समस्या भी इस प्रकार की है जिसका संबंध मनोविज्ञान और समाजशास्त्र दोनों के साथ होता है। इस विज्ञान के घनिष्ठ संबंध के कारण ही सामाजिक मनोविज्ञान का एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकास हुआ है, जिसका अध्ययन समाजशास्त्र और मनोविज्ञान दोनों में किया जाता है, इस प्रकार समाजशास्त्र और मनोविज्ञान के साथ संबंध हैं। 


निष्कर्ष

तो आज का यह हमारा Post समाजशास्त्र और मनोविज्ञान के साथ घनिष्ठ संबंध को लेकर है। हम आशा करते हैं कि आपको आपके प्रश्नों का उत्तर मिल गया होगा, हमारा यह पोस्ट आपको पसंद आया तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।


हम आगे भी इसी तरह के प्रश्नों के उत्तर आपको आसान शब्दों में लाते रहेंगे।

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