प्रवर्तक का अर्थ और परिभाषा, प्रवर्तक के कार्य, अधिकार, कर्तव्य

प्रवर्तक का अर्थ; आइए हम प्रवर्तक का अर्थ हिन्दी में जानते हैं, प्रवर्तक का आशय ऐसे व्यक्तियों से है जो अपनी Compney का निर्माण करने के लिए आवश्यक वस्तु, सामग्री को एकत्र करते हैं और Compney को चलाने की रूपरेखा तैयार करते हैं, उसे प्रवर्तक कहते हैं। Compney के निर्माण और विकास में प्रवर्तकों का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है।

प्रवर्तक की परिभाषा

1. लार्ड ब्लैकबर्न के आनुसार— "प्रवर्तक शब्द उन व्यक्तियों को संबोधित करने का सुविधापूर्ण ढंग है जो उस मशीन को चालू करते हैं जिससे कि वह कंपनी उन सदस्यों को सम्मानित  करने योग्य बना देती है।"


2. सर फ्रांसिस पामर के आनुसार "प्रवर्तक एक व्यक्ति होता है जो कंपनी का निर्माण करता है वह नियमों को ध्यान में रखते हुए उस कंपनी का निर्माण करता है और प्रथम संचालकों को वह चुनता है जिससे कि उसे प्रारंभिक अनुबंधों एवं विवरण की शर्तों को तय करता है विवरण को प्रकाशित करने तथा पूंजी एकत्र करने  का प्रबंध करता है।"


3. कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2 (69) — के तहत प्रवर्तक से आशय उस व्यक्ति से होता है जिसका नाम प्रविवरण मे  प्रवर्तक के रूप में लिखा जाता है अथवा जिसकी पहचान कंपनी की वार्षिक विवरण में प्रवर्तक के रूप में कराया जाता था अंश धारी व संचालक अन्य किसी रूप में कंपनी के कार्य पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में नियंत्रण हो इसलिए सलाह या निर्देशों के अनुसार कंपनी का संचालक मंडल कार्य करने का अभ्यास करता है, यदि  कोई व्यक्ति अपनी पेशेवर क्षमता से सलाह या निर्देश देता है तो उसे प्रवर्तक नहीं माना जाएगा।"


4. गुथमैन एवं डूंगल के आनुसार — "प्रवर्तक वह व्यक्ति होता है जो कंपनी के निर्माण की योजना बनाता है वह अपने कंपनी को एक कृत्रिम व्यक्ति से जोड़ता है और उसे अस्तित्व में लाया जाता है।"

प्रवर्तक के प्रमुख कार्य | प्रवर्तक के प्रमुख कार्य लिखिए

1. निर्माण व संभावनाओं को देखना-Compney का निर्माण करके उनकी जरूरतों को पूर्ण करने का प्रयास करना।

2. योग्य व्यक्तियों का चयन- Compney को चलाने के लिए योग्य व्यक्तियों का चयन करना।

3. Compney के लिए नियम तैयार करना- Compney चलाने के लिए कुछ निश्चित नियम तैयार करना।

4. प्रमाण पत्र प्राप्त करना- Compney की Registry करा कर समामेलन प्राप्त करना।

5. बैंकों की नियुक्ति करना- प्रवर्तकों द्वारा Compney के लिए बैंकों को निर्धारित करना।

6. विवरणों की व्यवस्था करना- विवरण बना कर Compney के लिए विज्ञापन की समुचित व्यवस्था करना।

7. व्यय का भुगतान करना- प्रारम्भिक व्यय को स्वयं भुगतान करने की व्यवस्था करना।

प्रवर्तकों के अधिकार

1. व्यय लेने का अधिकार- Compney को बनाने एवं चलाने में जो धनराशि व्यय किया गया हैं उन्हें वह कंपनी से वसूल कर सकता है यह उनके अधिकार हैं, लेकिन धनराशि को वसूल करने के लिए उनके पास आवश्यक प्रमाण पत्र होने चाहिए।

2. सह-प्रवर्तक से अनुपातिक राशि प्राप्त करने का अधिकार- Compney के विवरण में मिथ्यावर्णन के फलस्वरुप सह प्रवर्तक में से किसी एक प्रवर्तक द्वारा क्षतिपूर्ति करनी पड़ेगी या वह गुप्त लाभ अर्जित कर ले तो वह प्रवर्तक अन्य सह प्रवर्तकों से अनुपातिक राशि वसूल कर सकता है।

3. पारिश्रमिक पाने का अधिकार- प्रवर्तक कंपनियों के निर्माण एवं उन्हें चलाने के लिए बहुत कठिन परिश्रम करते हैं, इसलिए कंपनियां उन्हें उनके प्रतिफल के रूप में परिश्रमिक देती है।
प्रवर्तक Compney से इस प्रकार  से परिश्रमिक प्राप्त कर सकता है-
1. लाभ   
2.परिश्रमिक
3.एकमुश्त राशि
4. कमीशन

प्रवर्तक के कर्तव्य

1. विश्वास बनाए रखना- प्रवर्तक का Compney के भावी सदस्यों के प्रति विश्वास का संबंध होता है, जिसे बनाए रखना आवश्यक है उसे विश्वास खंडन का कोई कार्य नहीं करना चाहिए।

2. सत्य प्रकट करना- प्रवर्तक को कंपनी की समस्त बातों को प्रकट कर देना चाहिए।

3. जानकारी गुप्त ना रखना- कंपनी के प्रवर्तन के संबंध में कोई भी जानकारी गुप्त नहीं रखनी चाहिए जानकारी गुप्त रखना गलत है।
 
4. अर्जित लाभ का प्रकट ना करना- अर्जित लाभ का प्रकट ना करना अवैध एवं वर्जित है, किसी कंपनी के आधार पर कमाया गया लाभ वैध है।


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