लाभ का अर्थ (Meaning of Profit)
उत्पादन के पाँच प्रमुख साधन होते हैं — भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन एवं साहस (उद्यमिता)।
इनमें से साहस को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि किसी भी कार्य को करने के लिए साहस की आवश्यकता होती है।
साहसी (उद्यमी) ही पूँजी, श्रम तथा अन्य साधनों को संगठित कर उत्पादन की प्रक्रिया को संभव बनाता है।
उत्पादन के सभी साधनों को उनके निर्धारित भुगतान करने के बाद जो अवशिष्ट आय (residual income) बचती है, वही साहसी का प्रतिफल या लाभ (Profit) कहलाती है।
अर्थशास्त्र के अनुसार, राष्ट्रीय आय का वह भाग जो उत्पादन के वितरण में उद्यमी को प्राप्त होता है, वही लाभ कहलाता है।
दूसरे शब्दों में, वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादन में लागत व्यय — जैसे किराया (Rent), मजदूरी (Wages), ब्याज (Interest) आदि — निकालने के बाद जो राशि शेष रहती है, वही लाभ है।
मार्शल ने इसे “प्रबंध की कमाई” कहा है, जबकि कुछ अन्य अर्थशास्त्रियों ने इसे “विशिष्ट आय” (Special Income) की संज्ञा दी है।
अर्थात कुल उत्पादन में से जब मजदूरी, किराया और ब्याज निकाल दिए जाते हैं, तब जो बचत उद्यमी को प्राप्त होती है, वही उसका लाभ होता है।
लाभ की परिभाषाएँ (Definitions of Profit)
शुम्पीटर (Schumpeter) के अनुसार:- “लाभ साहसी के कार्य का प्रतिफल है। यह जोखिम, अनिश्चितता और नवप्रवर्तन (Innovation) के लिए दिया जाने वाला पुरस्कार है।”
जैकब ऑसर (Jacob Auser) के अनुसार:- “किसी व्यवसाय की आंतरिक तथा बाह्य मजदूरी, ब्याज और किराया देने के बाद जो शेष बचता है, वही लाभ कहलाता है।”
थॉमस के अनुसार:- “लाभ साहसी का पुरस्कार है।”
वाकर (Walker) के अनुसार:- “लाभ योग्यता का लगान है।”
लाभ की विशेषताएँ (Characteristics of Profit)
हानि की संभावना:- लाभ के अंतर्गत हानि (Loss) होना सामान्य बात है, जबकि किराया, मजदूरी और ब्याज में हानि नहीं होती।
अस्थिरता:- लाभ में उतार-चढ़ाव अधिक होता है क्योंकि यह बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है, जबकि मजदूरी, किराया और ब्याज अपेक्षाकृत स्थिर रहते हैं।
अनिश्चितता:- लाभ अन्य उत्पादन आय की अपेक्षा अधिक अनिश्चित और विशिष्ट होता है।
लाभ के प्रमुख सिद्धांत (Theories of Profit)
1. लाभ का मजदूरी सिद्धांत (Wage Theory of Profit)
प्रतिपादक: टांसिग (Taussig) और डेवेनपोर्ट (Davenport)
इस सिद्धांत के अनुसार, लाभ साहसी की मजदूरी है — जो उसकी विशेष योग्यता एवं प्रबंधकीय सेवाओं के लिए दी जाती है।
जिस प्रकार श्रमिक को उसके शारीरिक श्रम का प्रतिफल मजदूरी के रूप में मिलता है, उसी प्रकार उद्यमी को उसके मानसिक श्रम का प्रतिफल लाभ के रूप में प्राप्त होता है।
आलोचनाएँ:-
1. लाभ जोखिम का पुरस्कार है, जबकि मजदूरी प्रयास का।
2. मजदूरी सदैव धनात्मक होती है, लाभ ऋणात्मक भी हो सकता है।
3. अपूर्ण प्रतियोगिता में लाभ बहुत अधिक होता है, पर मजदूरी नहीं।
4. लाभ उत्पादन लागत घटाने से बढ़ता है, जबकि मजदूरी लागत बढ़ाती है।
2. लाभ का समाजवादी सिद्धांत (Socialist Theory of Profit)
प्रतिपादक: कार्ल मार्क्स (Karl Marx)
मार्क्स के अनुसार, लाभ श्रमिकों के श्रम के शोषण का परिणाम है।
उद्यमी श्रमिक द्वारा सृजित अतिरिक्त मूल्य (Surplus Value) को हड़प लेता है, यही उसका लाभ होता है।
आलोचनाएँ:
1. यह सिद्धांत अधूरा है; लाभ केवल शोषण का परिणाम नहीं है।2. उत्पादन के अन्य साधन (भूमि, पूँजी आदि) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।3. लाभ जोखिम और अनिश्चितता के कारण भी उत्पन्न होता है, न कि केवल शोषण से।
3. लाभ का लगान सिद्धांत (Rent Theory of Profit)
प्रतिपादक: प्रो. वाकर (Walker)
यह सिद्धांत रिकार्डो के लगान सिद्धांत पर आधारित है।
वाकर के अनुसार, उद्यमी को प्राप्त लाभ भी “योग्यता का लगान” है।
सबसे कम योग्य उद्यमी को सामान्य लाभ (Normal Profit) मिलता है, जबकि अधिक योग्य उद्यमी को अतिरिक्त लाभ।
4. लाभ का सीमांत उत्पादकता सिद्धांत (Marginal Productivity Theory of Profit)
प्रतिपादक: प्रो. मार्शल (Marshall)
इस सिद्धांत के अनुसार, उद्यमी भी अन्य उत्पादन साधनों की भाँति उत्पादक होता है, अतः उसका प्रतिफल भी सीमांत उत्पादकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
आलोचनाएँ:-
एक उद्योग में केवल एक उद्यमी होता है, अतः सीमांत उत्पादकता मापना कठिन है।
अप्रत्याशित लाभ की व्याख्या नहीं कर पाता।
यह केवल माँग पक्ष पर बल देता है, आपूर्ति पक्ष की उपेक्षा करता है।
5. लाभ का गतिशीलता सिद्धांत (Dynamic Theory of Profit)
प्रतिपादक: प्रो. जे. बी. क्लार्क (J. B. Clark)
क्लार्क के अनुसार, लाभ अर्थव्यवस्था में होने वाले गतिशील परिवर्तनों (Dynamic Changes) का परिणाम है।
स्थिर अर्थव्यवस्था में लाभ नहीं होता, परंतु जब अर्थव्यवस्था में परिवर्तन होते हैं — जैसे
- जनसंख्या में परिवर्तन
- उत्पादन विधियों में परिवर्तन
- औद्योगिक संरचना में परिवर्तन
- पूँजी की मात्रा में परिवर्तन
उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं में परिवर्तन
— तब लाभ उत्पन्न होता है।
आलोचनाएँ:
यह सिद्धांत केवल गतिशीलता पर बल देता है, जोखिम को नहीं मानता।
यह सिद्धांत लाभ के सभी कारणों की पूर्ण व्याख्या नहीं करता।
निष्कर्ष (Conclusion)
लाभ उत्पादन का एक अनिवार्य और प्रेरक तत्व है।
यह उद्यमी की योग्यता, साहस, और जोखिम उठाने की क्षमता का पुरस्कार है।
लाभ के बिना कोई भी उद्यमी उत्पादन कार्य में जोखिम नहीं उठाएगा, अतः यह आर्थिक विकास का प्रमुख आधार है।
Comments
Post a Comment
Hello, दोस्तों Nayadost पर आप सभी का स्वागत है, मेरा नाम किशोर है, और मैं एक Private Teacher हूं। इस website को शौक पूरा करने व समाज सेवक के रूप में सुरु किया था, जिससे जरूरतमंद लोगों को उनके प्रश्नों के अनुसार उत्तर मिल सके, क्योंकि मुझे लोगों को समझाना और समाज सेवा करना अच्छा लगता है।