एकाधिकारी का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएं, उद्देश्य, सीमाएं

एकाधिकारी का अर्थ एवं परिभाषा

एकाधिकार बाजार उस स्थिति को कहते हैं जो वस्तु का केवल एक ही विक्रेता होता है विशुद्ध एकाधिकार के अंतर्गत विक्रेता को प्रतिस्पर्धा का कोई भय नहीं होता है जिसके कारण यह काल्पनिक स्थिति मानी जाती है वास्तविक साधारण एकाधिकार ही पाया जाता है एकाधिकार की यह विशेषता यह होती है कि एकाधिकार की वस्तु की कोई भी निकट स्थान वस्तु नहीं होती है तथा एकाधिकार को उत्पादक का उत्पादन एवं कीमत पर पूरा पूरा नियंत्रण किया जाता है सामान्यता एकाधिकार उत्पादक अपनी एकाधिकारी शक्ति को बढ़ाने के लिए वस्तु की बहुत ऊंची कीमत लगाता है उपभोक्ताओं भी विवश होते हैं उस वस्तु को खरीदने के लिए और वस्तु के अभाव में उन्हें ऊंची कीमत वाले वस्तु ही खरीदने ही पढ़ते हैं इस प्रकार एकाधिकारी उत्पादक ऊंचा लाभ कमाकर वक्ताओं का आर्थिक शोषण करता है इससे समझ में आ जाता है कि आज समानता वितरण होता है एकाधिकारी स्वयं वस्तु की कम मात्रा का उत्पादन कर नए फार्म को उद्योग में प्रवेश करने पर रुकावटें उत्पन्न करता है जिससे देश का आर्थिक विकास पिछड़ जाता है।

एकाधिकार की विशेषताएं

एकाधिकार के विशेषताएं प्रमुख निम्नलिखित हैं—

1. एकाधिकार में किसी वस्तु विशेष का एक ही निर्माता होता है।

2. एकाधिकार वस्तु में निर्माता के अनुसार पूर्ति पर पूरा नियंत्रण किया जाता है ताकि वह वस्तु की पूरी मात्रा को अपने निर्णय अनुसार परिवर्तित कर सकते हैं।

3. एकाधिकार के अंतर्गत उत्पत्ति वस्तु कि कोई स्थान व वस्तु बाजार में नहीं ले जा सकते।

4. एकाधिकार में वस्तु की मांग की लोच शुन्य हो जाती है।

5. एकाधिकार में फार्म एवं उद्योग का अर्थ एक ही होता है।

6. एकाधिकार की स्थिति में नई फार्म बाजार में प्रवेश नहीं कर पाती है क्योंकि वास्तव में एकाधिकार की स्थिति तभी रहती है जब तक नहीं फार्म बाजार में प्रवेश नहीं करती है।

7. एकाधिकार स्वतंत्रता पूर्वक अपने मूल्य नीति स्वयं निर्धारित करता है क्योंकि एकाधिकार किए मूल्य नीति किसी अन्य फार्म का प्रभाव नहीं पड़ सकता है वह अपने अनुसार कार्य करता है।

8. पूर्ण एकाधिकार व्यक्ति की स्थिति वास्तव में बहुत ही कम देखी जाती है।

एकाधिकार के उद्देश्य

बाजार की स्थिति चाहे जैसी भी होती है पूर्ण प्रतियोगिताअपूर्ण प्रतियोगिता अथवा एकाधिकार प्रत्येक दशा में उत्पादन करता फार्म का उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त कर लेता है और फार्म के संतुलन उस बिंदु पर निर्धारित रहती है जब उसकी  सीमांत लागत के बराबर होती है  पूर्ण प्रतियोगिता में फार्म की संख्या अधिक होने के कारण प्रत्येक उत्पादक को केवल सम मान्यताएं उत्पादक की पूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण करना पड़ता है और एकाधिकार को सामान्य लाभ से अधिक प्राप्त करने की इच्छा रहती है और उसकी कुल लाभ अधिक से अधिक हो जाए प्रो.मार्शल के अनुसार एकाधिकारी का उद्देश्य होता है कि उत्पादन के अधिक कुल वास्तविक आय प्राप्त करना ही होता है।

एकाधिकार  की सीमाएं 

एकाधिकार की सीमाएं निम्न प्रकार की होती है

1. संभावित प्रतियोगिता का भय होना— यदि कोई एकाधिकार अपनी वस्तु का मूल्य ऊंचा रखता है तो अधिक लाभ कमाता है यदि वह मूल्य को नीचा रखता है तो लाभ कम होगा और इसी तौर पर अधिक लाभ से आकर्षित होकर कुछ शक्तिशाली प्रतियोगी अपने क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं जिससे उसका एकाधिकार समाप्त हो सकता है।

2. विदेशी प्रतिद्वंद्वियों का भय होना— एक एकाधिकार को अपनी वस्तु का मूल्य बढ़ाते समय यह ध्यान में रखना पड़ता है कि समय का भय भी होता है और किसी वस्तु के कहीं अधिक महंगी हो जाने पर विदेशी उत्पादक उसके क्षेत्र में ना कूद पड़े।

3. उपभोक्ताओं की मांग में परिवर्तन का भय— उपभोक्ताओं की मांग को परिवर्तन एकाधिकार अपनी वस्तु का मूल्य अधिक रखने पर तो उपभोक्ता उसकी वस्तु का प्रयोग त्याग देते हैं और किसी अन्य स्थान पर वस्तु को खरीदने लगते हैं

4. स्थानीय वस्तुओं का भय होना— यदि एकाधिकार वस्तु का मूल्य ऊंचा  रखता है तो अपने उत्पाद वस्तु कि किसी निकट स्थान पर वस्तु की खोज के लिए पर्यटन किए जा सकते हैं इस प्रकार की खोज करने के लिए अपनी वस्तु का मूल्य कम रखना पड़ता है।

5. विपरीत जनमत का भय होना— एकाधिकार उच्चा मूल्य रखता है तो अपने उत्पाद की किस्म को गिरावट में लाता है तो उपभोक्ताओं अपना साथ बनाकर अपनी वस्तु का बहिष्कार कर सकते हैं और राज्य को अपने विरोध खड़ी कार्यवाही के लिए मजबूत कर सकते हैं।

6. सरकारी हस्तक्षेप का भय अधिक होना— यदि एकाधिकार अधिक मूल्य लेता है तो सरकारी हस्तक्षेप की संभावनाएं बढ़ जाती है जिसके कारण सरकारी एकाधिकार के शोषण पर नियंत्रण के लिए उसके उत्पादन की न्यूनतम मात्रा निश्चित कर सकती है तथा उसे उचित मूल्य निर्धारित करनी ही पड़ती है सरकारी एकाधिकार विरोधी कानून बना सकती है तथा जनहित के विरुद्ध कार्य भी कर सकती है एकाधिकार संस्था की राष्ट्रीय कारण भी कर सकती है।


  

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