मांग से आशाय एवं मांग को प्रभावित करने वाले तत्व

                                   मांग से आशय (mang kise kahate hain)

मांग से आशय एक दी हुई वस्तु के उन मात्राओं से होता है जिन्हें उपभोक्ता एक बाजार में किसी भी समय में विभिन्न मूल्यों पर क्रय कर सकते हैं वस्तु के लिए केवल इच्छा होना ही वस्तु की मांग नहीं कहलाती है अपितु उस इच्छा की पूर्ति के लिए व्यक्ति के पास पर्याप्त साधन भी होने चाहिए विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने यह कहा है कि भिन्न भिन्न प्रकार परिभाषित किया गया है जिन्हें में से मुख्य विचार निम्नलिखित है|

                                  मांग की परिभाषा (mang ki paribhasha)

1. पेन्सन के अनुसार— मांग प्रभावपूर्ण इच्छा होती है और इसमें तीन तत्व शामिल होते हैं ( 1)किसी वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा (2 )वस्तुओं को क्रय करने के लिए साधन (3 )वस्तु को खरीदने के लिए साधन को खर्च करने की तत्परता।

2. जे. एस. मिल के अनुसार— मांग का तात्पर्य किसी वस्तु की मात्रा से है जिससे व्यक्ति दिए हुए मूल्य पर खरीदने को तैयार हो जाता है।

3. जी.जे. एडवर्ड्स के अनुसार— मांग एक वस्तु या सेवा की वह मात्र है जो एक निश्चित समय में दी हुई कीमत पर खरीदी गई है।

4. मेयर्स के अनुसार— किसी वस्तु की मांग उस मात्रा की होती है जिन्हें विक्रेता एक समय विशेष पर सभी संभव मूल्यों पर किराए के लिए तैयार हो जाता है।

मांग को प्रभावित करने वाले तत्व

मांग को बहुत से आर्थिक सामाजिक और राजनैतिक घटक प्रभावित करते हैं परंतु हर परिस्थिति में उस व्यक्तिगत प्रभाव अलग-अलग होते हैं इसलिए अब शास्त्री को किसी विशेष स्थिति में उनके महत्व के अनुसार उस पर विचार करना चाहिए की मांग को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित 

हैं—

1. वस्तु का मूल्य—मांग को प्रभावित करने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व मूल्य होता है मूल्य और मांग में विपरीत संबंध पाए जाते हैं मूल्य अधिक होने पर मांग कम होता है मूल्य कम होने पर मांग अधिक हो जाते हैं कोई उपभोक्ता किसी निश्चित कीमत पर वस्तु की जिस मात्रा की मांग करता है उसे मूल्य मांग कहा जाता है कृषि अर्थव्यवस्था में मूल्य परिवर्तन शीघ्र होते हैं जबकि औद्योगिक अर्थव्यवस्था में अपेक्षाकृत धीमा होता है मूल्य में परिवर्तन होने की संभावना मांग को प्रभावित करती है

2. संबंधित वस्तुओं का मूल्य—किसी वस्तु की मांग अन्य संबंधित वस्तुओं के मूल्य से प्रभावित होती है संबंधित वस्तुओं दो प्रकार के होते हैं स्थानापन्न तथा पूर्ण स्थानापन्न वह वस्तु है जिसका वस्तु के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है जैसे चाय एवं काफी डालडा एवं घी एक दूसरे के नजदीकी स्थानापन्न संभावना होती है क्योंकि वस्तु कॉफी को उपभोक्ता अधिक खरीद लेंगे और चाय को कम कर देंगे । जिसका प्रयोग अन्य वस्तु के साथ होता है स्वतंत्रता और रूप से नहीं। जैसे स्कूटर एवं पेट्रोल, कलम एवं स्याही, एक दूसरे के पूरक हैं यदि कलम की कीमत बढ़ जाती है तो स्याही की कीमत घट जाएगी स्थानापन्न वस्तुओं की कीमत और मांग में सुधार संबंध होता है जबकि पूरक वस्तु में विपरीत इस संबंधित वस्तुओं के मूल्य परिवर्तन के कारण किसी वस्तु के मांग पर पड़ने वाले प्रभाव को मांग कहते हैं।

3. आय—वस्तु की मांग लोगों की आय पर भी निर्भर करती है लोगों की आय जितनी अधिक होगी वह उतनी ही अधिक मात्रा में वस्तु खरीदना पसंद करते हैं अधिक आय का मतलब है कि अधिक कर सकती आय बढ़ाने से मांग घटती है और आए घटाने से घटती है उदाहरण के तौर पर भारत में योजना काल जनता की आय बढ़ाने से उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ती है परंतु यह आवश्यक नहीं है कि जितना परिवर्तन आए में हो उतना ही प्रत्येक वस्तु में होना चाहिए आए परिवर्तन का प्रभाव विभिन्न वस्तुओं पर भिन्न भिन्न होता है आए और मांग के संबंध में आए मांग कहा जाता है।

4. रूचि और फैशन—मांग पर उपभोक्ता की रूचि ,आदत, फैशन प्रथा का भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है जिसका वस्तु के प्रति उपभोक्ताओं की रूचि बढ़ेगी उसकी मांग बढ़ जाएगी उपभोक्ता की रुचियां एवं फैशन बदलने जिनसे उनकी मांग में परिवर्तन होता है उदाहरण के लिए कुछ वर्ष पूर्व लोगों की रुचियां कोका कोला के अधिक अनुकूल हो जाने के कारण मांग में बहुत वृद्धि हो गई थी तकनीकी प्रगति और आवश्यक अविष्कार भी रूचि और फैशन को परिवर्तित करते हैं जैसे टी.वी. की खोज ने रेडियो और ग्रामोफोन की मांग कम कर दी है।

5. भविष्य में मूल्य परिवर्तन की आशा—यदि भविष्य में उपभोक्ता को मूल्य बढ़ाने की आवश्यकता होती है तो वे वर्तमान समय में अधिक मात्रा में वस्तु खरीदने लग जाते हैं ताकि बाद में अधिक मूल्य ना देना पड़े इसी कारण जब उपभोक्ता को यह उम्मीद होता है कि भविष्य में वस्तु की कीमत व घट जाती है तो वे वर्तमान समय में कम सामान खरीदते हैं और मांग कम की जाती है।

6. जनसंख्या—जनसंख्या की वृद्धि और मांग में वृद्धि और कमी करती है जिस देश की जनसंख्या अधिक होती है उन देशों की मांग कम जनसंख्या वाले देशों से अधिक होते हैं जिस देश की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ जाती है वह बच्चों का अनुपात बूढ़ों से अधिक होगा अतः खिलौने ,बिस्कुट ,दूध की बोतल, स्कूल के मांग बढ़ेगी ,इसके विपरीत जिस देश की जनसंख्या घट रही है तो धीमी गति से बढ़ रही है तो वह बच्चों की अनुमान कम और बड़ों की अधिक होगी अतः बनावटी दांत, छड़ी और कीमत बढ़ेगी।

7. धन का वितरण—धन और धन का वितरण दोनों मांगों को प्रभावित करते हैं धन का वितरण समान हो जाता है तो बहुत संख्या जनता के हाथों में धन रहता है ऐसी दशा में आवश्यक है कि आरामदायक वस्तुओं जैसे कि कपड़ा, मकान की मांग बढ़ेगी देख सकते हैं कि धन का वितरण आसमान होता है तो धन कुछ थोड़े से धनी व्यक्तियों के हाथों में होता है विलासिता की वस्तुएं जैसे शराब हीरा जवाहरात कीमत मांग अधिक हो जाएगी।

8. धार्मिक विचार—धार्मिक विचार मांग को प्रभावित करने वाले जो लोग धर्म प्रवृत्तियों को मानते हैं पूजा आदि में विश्वास करते हैं साधारण उन लोगों के द्वारा भोजन स्व मकान पूजा सामग्री की मांग की जाती है जबकि भौतिक में रखने वाले व्यक्तियों को विलासिता और तड़क भड़क के सामानों की आवश्यकता होती ही है।

9. भौगोलिक परिस्थितियां—भौगोलिक परिस्थितियों से हम यह जान सकते हैं कि जलवायु एवं मौसम और सकता हूं कि सीधा प्रभाव डालते हैं इंग्लैंड जैसे ठंडे देश में प्रत्येक व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार गर्म कपड़े, शराब, भोजन आदि की मांग करते हैं जबकि भारत में ऐसा नहीं है भारत में इनकी मांग अपेक्षाकृत कम हो जाती है भारत में भी वर्षा ऋतु में छाते की, शीत ऋतु में ऊनी कपड़े की और ग्रीष्म ऋतु में सूती कपड़े की मांग अधिक हो जाती है।

10. बचत प्रवृत्ति—जिस क्षेत्र यहां देश में व्यक्ति व्यास की तुलना में बचत पर ध्यान देता है वह वस्तु की मात्रा घटेगी इसके विपरीत यदि लोग उपभोग संस्कृति से प्रभावित है और बचत कम करते हैं तो वे अधिक व्यय करेंगे ऐसी दशा में वस्तुओं की मांग बढ़ेगी।

11. मुद्रा की मात्रा—यदि देश में मुद्रा एवं साख की मात्रा तेजी से बढ़ रही है तो मुद्रा प्रसार के कारण लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने के कारण मांग बढ़ने की संभावना होती है। इसके विपरीत हम देख सकते हैं कि मुद्रा संकुचन की हालत में मांग घटती है अगर बैंक में विपरीत संस्थाएं सस्ते दामों पर उधार दे रहे होते हैं तू देश में वस्तु की मांग बढ़ती है।

12. व्यापार चक्र—व्यापार चक्रों का सीधा प्रभाव मांग पर पड़ता है तेजी के समय में वस्तुओं की मांग बढ़ती है जब मंदी के समय घटती है तो पूंजीवादी देश में व्यापार के उच्च वचन मांग में भी उतार-चढ़ाव होता हि रहता है



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