GK के कुछ महत्वपूर्ण Qustions आपके बहुत काम आ सकता है

मैग्मा किसे कहते हैं 

पृथ्वी के स्थलमंडल या भू परपट्टी के निचले भाग को मेटल कहते हैं, मेटल के बाहरी क्षेत्र में पिघले हुए शैल, भाप तथा कुछ गैंसें  होती है| पिघले हुए शैल भाप तथा गैसों के मिश्रण को ही मैग्मा कहते हैं| 

           मैग्मा जैसे ही ज्वालामुखी द्वारा भू पृष्ठ या जमीन  पर आता है वैसे ही भाप और गैस उसमें से निकल जाती है| जमीन पर पिघले हुवे शैलों के इस रूप को लावा कहते हैं |


ज्वालामुखी क्या है

स्थलमंडल के निचले भाग को प्रावार कहते हैं। इस प्रावार के ऊपरी भाग में पिघलती हुई चट्टाने  तथा गैसें हैं जिन्हें मैग्मा कहते हैं। इस भाग में  मैग्मा की विशाल संवहन तरंगें मंद गति से प्रवाहित होती हैं। इन  संवहन तरंगों का कारण यह है कि गर्म मैग्मा हल्का होने के कारण ऊपर उठता है जबकि ठंडा भारी मैग्मा केंद्र की दिशा में नीचे की ओर जाता है| मैग्मा पृथ्वी की सतह पर पाई जाने वाली दरारों से बाहर भी आता रहता है| लेकिन कभी-कभी इस प्रकार के निकास द्वार किसी कारण से बंद हो जाते हैं , जिन्हें इन द्वारों से निकलने वाली गर्म गैसें  तथा पिघली चट्टानों जिन्हें संयुक्त रूप से लावा कहते हैं| इनका मार्ग अवरुद्ध या बंद  हो जाता है इस स्थान पर लावा के एकत्र होने के कारण दाबाव या प्रेशर अधिक बढ़ जाता है | और लावा मार्ग को रोकने  वाले पदार्थों को तोड़कर विस्फोट के रूप में बाहर निकलने लगता है इसे ही ज्वालामुखी कहते हैं।


पृथ्वी पर जीवो की उत्पत्ति किस प्रकार हुई

यह एक किताबी भाषा मे  है असल मे कैसे हुई ये आप कॉमेंट  मे बताना______

प्राचीन वातावरण में सभी गैंसें  तथा दूसरे तत्व उपस्थित थे, लेकिन ऑक्सीजन नहीं थी यह तत्व बादलों की टकराहट और समुद्री तरंगों तथा बिजली के चमकने से उर्जा लेकर आपस में क्रिया करने लगी तथा सरल रासायनिक कार्बनिक अणुओं का निर्माण किया तत्पश्चात ये कार्बनिक अणु  जटिल अणुओं  में रूपांतरित हो गए, वे जटिल कार्बनिक अणु  प्राचीन सरल जीवो में रूपांतरित हो गए इस प्रकार पृथ्वी पर प्रथम जीव की उत्पत्ति जल में ही हुई|


क्या आपको पता है ओजोन परत हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है

अगर नहीं तो देखो,

                     तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से मिलकर ओजोन परमाणु बनता है| इसका रासायनिक सूत्र O2 है| पृथ्वी की सतह से लगभग 16 किलोमीटर ऊपर वायुमंडल में सूर्य की किरणों के प्रभाव से कुछ ऑक्सीजन ओजोन में परिवर्तित हो जाती हैं| इस ऊंचाई से ऊपर 23 किलोमीटर की ऊंचाई तक ओज़ोन की मात्रा बढ़ती जाती है| इस प्रकार ओज़ोन की एक मोटी परत पृथ्वी के चारों ओर  एक मोटी परत बनी हुई है, इसे ही ओज़ोन परत कहते हैं |

          ओजोन की परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी प्रकाश को अवशोषित कर लेती हैं तथा इन्हें पृथ्वी पर पहुंचने से रोकती हैं यह पराबैंगनी किरणे जीव-जंतुओं एवं मानव के लिए अत्यंत हानिकारक है| इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है| इस प्रकार ओज़ोन परत इन हानी कारक विकिरणों  से हमारी रक्षा करती हैं|


क्या आपको पता है कोयले का निर्माण किस प्रकार हुआ| अगर नहीं तो आगे जानेंगे |


       आज से लगभग 25 - 26 करोड़ों वर्ष पूर्व महाद्वीपों के अधिकांश भाग दलदल भूमि में ढके थे| और इन दल दलों में विशालकाय फर्न के सघन वन पाए जाते थे। इन वनों द्वारा विशाल मात्रा में सौर ऊर्जा का अवशोषण किया जाता था, इस प्रक्रिया में वायुमंडलीय CO2 के कार्बन कार्बोहाइड्रेट के रूप में जैव  द्रव्यमान में परिवर्तित हो गई और ऑक्सीजन मुक्त हुई। संयोगवश इसी समय वनों के विकास तथा सघन होने के तुरंत बाद कुछ क्रमबद्ध घटनाओं के कारण पृथ्वी की सतह फट गई तथा उस समय के पेड़  पृथ्वी के फटने से बने हुए (गहरे गड्ढों) में समा गए उसके पश्चात यह ऑक्सीजन की पहुंच से दूर हो गए इसके बाद समय-समय पर होने वाली परिवर्तनों के कारण बनती जाने वाली परतों में ये  वनस्पतियां और अधिक गहराइयों में सुरक्षित रूप से दब गया।  लंबी अवधि तक ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में इस प्रकार दबे रहने एवं उच्च दाब के कारण वनस्पतियों का द्रव्यमान कोयले में परिवर्तित हो गया

                    तो  इस प्रकार पृथ्वी के अंदर करोड़ों वर्षों तक दबे रहने से कोयले का रूप ले लिया ।



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