मूल्य वृद्धि का अर्थ, परिभाषा, मूल्य वृद्धि के कारण

 मूल्य वृद्धि पर निबंध 

मूल्य वृद्धि का अर्थ

मूल्य अर्थात (Price) या हम यह कह सकते हैं कि इसका दाम। 

वृद्धि अर्थात बढ़ जाना या बढ़ना तो हम यह कह सकते हैं कि किसी वस्तु के मूल्यों का बढ़ जाना ही मूल्य वृद्धि कहलाता है।

साधारण भाषा में , मूल्य वृद्धि क्या है

उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी वस्तु की कीमत या मूल्य आज के समय में ₹10 हैं तो आने वाले कुछ समय में  उसका मूल्य ₹20 हो जाता है तो उसे ही हम मूल्य वृद्धि कहते हैं ।

किसी भी अर्थव्यवस्था की विकास प्रक्रिया में कीमतों का बढ़ना स्वाभाविक होता है। विकास योजना को लागू करने पर वस्तुओं तथा साधनों की मांग तथा आपूर्ति के बीच सामंजस्य होना अनिवार्य है। निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या, सुरक्षा, प्रशासकीय, आविकास  दबाव के कारण मांग में वृद्धि होती है। परंतु मांग के अनुरूप पूर्ति में परिवर्तन नहीं हो पाता, क्योंकि अर्द्धविकसित देशों में ऐसी परियोजनाओं पर विनियोजन किए जाते हैं जो परिपक्व होने में बहुत समय लेते हैं। पिछड़ी तकनीकी, निम्न कुशलता, अपूर्ण बाजार तथा अन्य अड़चनें उपभोक्ता वस्तुओं की पूर्ति को नियंत्रित करती हैं। मांग तथा पूर्ति के बीच का यह अंतर कीमतों में वृद्धि कहलाता है।

         भारत एक विशाल देश है। यहां भी पिछले 50 वर्षों से मूल्य वृद्धि ने एक जटिल रूप धारण कर लिया है। प्रथम पंचवर्षीय योजना को छोड़कर शेष अवधि में यहां प्रतिवर्ष 5 से 10% की दर से कीमतों में वृद्धि हुई है। और यह प्रक्रिया आगे भी चलती जा रही है।

मूल्य वृद्धि के कारण

1. कालाबाजारी

वस्तुओं की कृत्रिम कमी करके उसे ऊंचे मूल्य पर बेचना कालाबाजारी कहलाता है। व्यापारियों के जरिए अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए पहले वस्तुओं की कृत्रिम कमी कर दी जाती है, बाद मे मांग अधिक होने पर मूल्य वृद्धि कर वस्तुओं को बेचा जाता है ।

2. जमाखोरी

इसमें अनिवार्य वस्तुओं का एक जगह भंडार कर लिया जाता है। बाद मे जब वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है तब इसके मूल्य में वृद्धि करके वस्तुओं को बेचा जाता है।

3. तस्करी

तस्करी का अर्थ बिना आयात शुल्क चुकाए, चोरी - छिपे विदेशी वस्तुओं को देश में लाकर बेचने से है, यहाँ भी वस्तुओं को ऊँचे दामों पर बेचा जाता है।

4.भ्रस्टाचार

अनुचित एवं अवैधानिक रूप से आर्थिक लाभ प्राप्त करना भ्रस्टाचार कहलाता है। इसके अंतर्गत वैकतिक हितों के लिए सामूहिक हितों की अवहेलना की जाती है। भौतिकवादी समाज मे धन ही अच्छे बुरे का मापदंड है । फलस्वरूप प्रतिएक ब्यक्ति अधिक से अधिक धन अर्जित कर अपने आप को संपन बनाने का प्रयास करता है । साधन बदलने से हमारी अवश्यकताएं बढ़ जाती है। अतः मूल्य वृद्धि की समस्या उत्पन्न होती है। 

मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए शासन द्वारा उपाय 

मूल्य वृद्धि से परेशान लोग आय में वृद्धि न कर पाने के कारण चोरी, लूटपाट, डकैती आदि कार्य करने लगते हैं । जिससे समाज का नैतिक पतन होने लगता है, तथा समाज में अशांति एवं राजनीतिक, अस्थिरता का जन्म होता है । इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ने अनेक उपाय किए हैं। 

1. राशनिंग

सरकार अनिवार्य आवश्यकता की वस्तुओं को आवंटित करने के लिए राशनिंग की प्रणाली को अपनाती है। वस्तुओं की एक निश्चित मात्रा उपभोक्ता को प्रदान की जाती है, ताकि कम पूर्ति की समस्या को दूर किया जा सके। 

2.  मूल्य नियंत्रण

उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से अनिवार्य वस्तुओं का अधिकतम मूल्य निश्चित किया जाता है, ताकि मूल्य वृद्धि को रोका जा सके।

3. बैंक ब्याज दर

मूल्य वृद्धि को नियंत्रण करने के लिए सरकार समय-समय पर बैंक दर में परिवर्तन करती है। 

4. उत्पादन में वृद्धि

मूल्य वृद्धि पर रोक लगाने के लिए सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हेतु आवश्यक मशीन तकनीक पूंजी आदि का आयात किया जा रहा है, तथा कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए सरकार कृषकों को कम ब्याज पर ऋण देती है, तथा प्रमाणित बीज दवाओं का वितरण करती है।

5. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय की स्थापना

अक्टूबर 1974 ई. को केंद्र सरकार ने उद्योग एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय के अंतर्गत एक नागरिक आपूर्ति एवं सहकारिता विभाग की स्थापना की किंतु अब केंद्र में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय का कार्य आवश्यक वस्तुओं की वितरण व्यवस्था में सुधार करने तथा केंद्रीय व राज्य सरकारों के नागरिक आपूर्ति मंत्रालय में सहयोग करना है, जिससे कि आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति निर्धारित मूल्यों पर बनाए रखी जा सके।

6. अनिवार्य जमा योजना

19 जुलाई 1974 ई. को एक अध्यादेश से आयकर अधिनियम में परिवर्तन किया गया है। जिसके अनुसार वर्तमान समय में ₹40000 से अधिक आय वाले करदाताओं को अपनी आय का एक भाग सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर अनिवार्य रूप से जमा कराने की व्यवस्था की गई है।

7. जमाखोरी व कालाबाजारी पर रोक

सरकार द्वारा ऐसे व्यापारियों पर कठोर नियम लागू करना चाहिए जो वस्तुओं का कृत्रिम अभाव उत्पन्न कर अधिक लाभ कमाते हैं प्रशासनिक सजगता और कुशलता के द्वारा ऐसे लोगों पर अच्छी तरह अंकुश लगाया जा सकता है। 

1. जो लोगजमाखोरी और कालाबाजारी करते पाए जाए उन पर तत्काल कानूनी कार्रवाई किया जाना चाहिए। 

2. वस्तुओं के भंडारण की एक निश्चित सीमा निर्धारित की जाए, उससे अधिक भंडारण होने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए।

Comments

  1. Bahut hi sundar lekh,,kintu aapne definition nhi likha hai sir ,fir v helpful rha , Thank you,, (cg new raipur)

    ReplyDelete
  2. It's really helpful for delivering speech in school .thank you so much sir

    ReplyDelete
    Replies
    1. Apna anubhav Share karne ke liye Dhanyawad ❤️❤️❤️ have a Good Day. ☺️

      Delete

Post a Comment

Hello, दोस्तों Nayadost पर आप सभी का स्वागत है, मेरा नाम किशोर है, और मैं एक Private Teacher हूं। इस website को शौक पूरा करने व समाज सेवक के रूप में सुरु किया था, जिससे जरूरतमंद लोगों को उनके प्रश्नों के अनुसार उत्तर मिल सके, क्योंकि मुझे लोगों को समझाना और समाज सेवा करना अच्छा लगता है।